एएमयू | डॉ. बशीर बद्र को 48 साल बाद पीएचडी की डिग्री

अलीगढ़ | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के 48 साल बाद डॉ.बशीर बद्र को उनकी डिग्री भी मिल गई. विश्वविद्यालय ने एक तस्वीर जारी की है जिसमें वह डिग्री अपने सीने से लगाए हुए हैं.
सन् 1969 में एएमयू से उर्दू में एमए करने के बाद बशीर बद्र ने 1973 में यहीं से पीएचडी की. ‘आज़ादी के बाद की ग़ज़ल का तनकीदी मुताला’ पर अपनी थीसिस जमा करने के अगले साल बाद ही उन्हें मेरठ कॉलेज के उर्दू विभाग में नौकरी मिल गई. सन् 1990 तक वह लेक्चरर के तौर पर मेरठ में ही रहे.

इस दौरान शायरी की दुनिया में मकबूल हुए डॉ.बशीर बद्र मुशायरों में तो बहुत बार अलीगढ़ आए लेकिन डिग्री लेने के इरादे से नहीं, न ही उन्होंने किसी से इसका कोई ज़िक़्र किया.

फ़िलहाल भोपाल में रह रहे डॉ. बद्र कुछ अर्से से अल्जाइमर से पीड़ित हैं. बीमारी की वजह से उनकी याददाश्त बहुत प्रभावित हुई है. अक्सर वह किसी को पहचानते नहीं, यहां तक कि अपने शेर भी भूल जाते हैं. यही वजह है कि वह मुशायरे में भी नहीं जाते.

एएमयू में जनसंपर्क विभाग के एमआईसी प्रो. शाफे किदवई ने बताया कि पुरानी बातें याद करते हुए डॉ.बशीर बद्र ने एक बार पीएचडी की डिग्री के बारे में अपनी पत्नी को बताया. डॉ. बशीर बद्र की साली डॉ. रजिया हामिद कुछ दिनों पहले एएमयू आई थीं. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से गुजारिश की थी कि डॉ. बशीर बद्र तक पहुंचाने के लिए डिग्री उन्हें दे दी जाए. इसे विशेष मामला मानते हुए विश्वविद्यालय ने डिग्री लेने के लिए डॉ. बशीर बद्र को ख़ुद उपस्थित होने के नियम से छूट दे दी और डिग्री उन्हें भिजवा दी.

प्रोफेसर किदवई ने बताया कि डॉ. बशीर बद्र की पत्नी ने डिग्री के साथ उनकी तस्वीर विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजी है. इस तस्वीर में डॉ. बशीर बद्र डिग्री को अपने सीने से लगाए हुए दिखाई दे रहे हैं.

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