अवेकनिंग्स | सच का मोनोक्रोमेटिक जादू
बरेली | विंडरमेयर रंग-साहित्य उत्सव की तीसरी शाम को रंग विनायक रंगमंडल के नए प्रोडक्शन ‘अवेकनिंग्स’ का पहला शो अनुभूति के तल पर अद्भुत और अद्वितीय रहा. ‘अवेकनिंग्स’ नाटक ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट और प्रकृतिवादी ऑलिवर सैक के इसी नाम वाले उपन्यास पर आधारित है, जो एक ख़तरनाक बीमारी से जूझ रही दुनिया और लोगों के इलाज की ख़ातिर एक डॉक्टर के जुनून और उसके नतीजों का बयान है. तक़रीबन मोनोक्रोमेटिक मंच पर चले इस नाटक में इंसानी जिजीविषा के कई शेड्स नज़र आते हैं और इतनी सघनता से अभिव्यक्त होते हैं कि दर्शक हिल उठते हैं.
‘अवेकनिंग्स’ की कहानी बीसवीं सदी की शुरुआत में फैली एक अकल्पनीय बीमारी, उससे जूझते मरीज़ों और उन्हें ठीक करने के लिए अपना सब कुछ दाँव पर लगा देने वाले डॉक्टर सैक्स की ज़िंदगी पर केंद्रित है. ‘एनसेफ़ेलाइटिस लथार्जिका’ नाम की इस बीमारी के मरीज़ों का शरीर पूरी तरह जड़ हो जाता था. दशकों तक वे एक ही मुद्रा में रहने को मजबूर हो जाते. उस दौर का विज्ञान और हिकमत जब इलाज में नाक़ाम हो गए तो तमाम सहयोगियों के एतराज़ के बाद भी डॉ. सैक ने एल-डोपा नाम की दवा के इस्तेमाल का प्रयोग किया.
मरीज़ ठीक तो होने लगे मगर गंभीर दुष्परिणाम यह हुआ कि उनका शरीर पूरी तरह अनियंत्रित हो जाता था और एक ही हरकत लगातार होती रहती थी. इस साइड इफ़ेक्ट ने उनका जीना दूभर कर दिया. उम्मीद की किरण फिर से अंधेरे में डूब गई. फिर भी, उन मरीज़ों का जीवट और डॉक्टर सैक्स का जुनून इतिहास में दर्ज हो गया. ये मरीज़ डॉक्टर के उपन्यास का विषय बन गए, बाद में हेरॉल्ड पिंटर के नाटक और रॉबर्ट डी नीरो और रॉबिन विलियम्स की ऑस्कर के लिए नामित इसी नाम की फ़िल्म के किरदार भी बने.
इस अनूठे नाटकीय प्रयोग में अजय चौहान ने डॉ.जैक, दानिश ख़ान ने विलियम, अंशी गेरा ने रोज़ और लवीना खानचंदानी ने लीसा का रोल निभाया. रईस ख़ान, पंकज कुकरेती, राजू चौहान और मुनीश रतन डॉक्टरों की भूमिका में रहे. आयुष ने मैथ्यू, सिद्धी रस्तोगी ने मैरी, आशी सिंह ने ग्रेसी, स्पर्श पटेल ने पीटर, अभिषेक राजौरिया ने मॉरिस और मोहसिन खान ने लैब असिस्टैंट का किरदार निभाया. कोमल मौर्य और रिया कुमारी कश्यप नर्स और अभिषेक राजौरिया गार्ड की भूमिका में मंच पर आए.
‘अवेकनिंग्स’ के बैकस्टेज में स्पर्श पटेल ने स्टेज मैनेजमेंट, शुभा, लव व स्पर्श ने लाइट डिज़ाइन, ऋषभ शर्मा व राज ने साउंड डिज़ाइन, आर्यन कालरा ने लाइट एक्सीक्यूशन, राज ने साउंड एक्सीक्यूशन, शुभा व आशी ने कॉस्ट्यूम डिज़ाइन, अभिषेक, रिया, सिद्धी, आयुष व कोमल ने सेट्स, ऋतिक ने कोरियोग्राफ़ी की.
रंगमंडल के मुखिया डॉ. बृजेश्वर सिंह के मुताबिक ‘अवेकनिंग्स’ पढ़ने के बाद ही उन्होंने इस पर नाटक बनाने का इरादा किया था, फिर जब फ़िल्म देखी तो इच्छा और तेज हो गई. रंगमंडल के साथियों से उन्होंने अपनी राय साझा की. शुभा भट्ट भसीन ने उपन्यास के नाट्य रूपांतरण की ज़िम्मेदारी ली, साथ ही निर्देशन का ज़िम्मा भी. लव तोमर ने उनकी यह ज़िम्मेदारी साझा की. कुछ महीनों की मेहनत के बाद आख़िरकार यह नाटक तैयार हुआ और पहले शो में ही इसने देखने वालों को अपने जादू में बाँध लिया.
नाटक के बाद हमारे दौर की महत्वपूर्ण कवयित्री बाबुषा कोहली ने कविता पाठ किया और अपनी रचना प्रक्रिया पर मुख़्तसर बात भी की.
सम्बंधित
विंडरमेयर रंग-साहित्य उत्सव 24 से 31 जनवरी तक
अपनी राय हमें इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.
अपना मुल्क
-
हालात की कोख से जन्मी समझ से ही मज़बूत होगा अवामः कैफ़ी आज़मी
-
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
-
सहारनपुर शराब कांडः कुछ गिनतियां, कुछ चेहरे
-
अलीगढ़ः जाने किसकी लगी नज़र
-
वास्तु जौनपुरी के बहाने शर्की इमारतों की याद
-
हुक़्क़ाः शाही ईजाद मगर मिज़ाज फ़क़ीराना
-
बारह बरस बाद बेगुनाह मगर जो खोया उसकी भरपाई कहां
-
जो ‘उठो लाल अब आंखें खोलो’... तक पढ़े हैं, जो क़यामत का भी संपूर्णता में स्वागत करते हैं