इस दुनिया में जो भी घटता है, वह इस देह पर ही घटता है. इसी केंद्रीय विचार के साथ रची गई लम्बी कविता ‘देह’ पर आधारित नाटक की प्रस्तुति प्रयागराज की रंग संस्था ‘बैकस्टेज’ की तरफ़ से कल शाम को होगी. शरद कोकास की इस कविता में देह की विकासगाथा है और देह के इतिहास का आख्यान भी. विज्ञान, इतिहास, दर्शन और साहित्य की स्मृतियों में गुंथी इस कविता में जीवन के तमाम नए अर्थ खुलते हैं और निष्कर्ष यह कि मानव काया सचमुच एक पहेली है. इसे जानने की कितनी ही कोशिशों के बावजूद यह अबूझ बनी रहती है. नाटक के डायरेक्टर प्रवीण शेखर हैं.
तारीख़ः 29 सितम्बर, 2020
समयः शाम को साढ़े छह बजे.
जगहः बैकस्टेज रूफ़टॉप, जॉर्ज टाउन