जालंधर में पुराने कोर्ट रोड पर आबाद प्लाज़ा बार के बारे में बताने के लिए लोगों के पास बहुत कुछ हो सकता है, मगर वह उतना ख़ास नहीं सकता जितना कि रवींद्र कालिया के संस्मरण में है. [….]
मेहनतकशों के चहेते, इंकलाबी शायर मख़दूम मुहिउद्दीन का शुमार उन शख़्सियत में होता है, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी अवाम की लड़ाई लड़ने में गुज़ार दी. सुर्ख़ परचम के तले उन्होंने आज़ादी की तहरीक में हिस्सेदारी की और आज़ादी के बाद भी उनका संघर्ष असेंबली और उसके बाहर लोकतांत्रिक लड़ाइयों से लगातार जुड़ा रहा. [….]