गांव वालों का आग्रह – सीडीओ हलफ़ उठा लें कि श्रमदान नहीं हुआ
बांदा में एक गांव के लोगों को सूबे के मुख्यमंत्री को लिखा है कि वह उनके ज़िले के सीडीओ से कहें कि हलफ़ उठाकर वह इतना भर कह दें कि घरार नाले की सफ़ाई का काम उन लोगों के श्रमदान से नहीं हुआ, बल्कि मनरेगा में कराया गया है. लोगों ने इस मामले की सच्चाई की जांच कराने का आग्रह किया है. यह भी कहा है कि झूठा साबित होने पर वे ख़ुद सज़ा पाने के लिए प्रस्तुत रहेंगे.
नरैनी ब्लॉक के गांव भंवरपुर के 49 लोगों के दस्तख़त वाले इस एफ़िडेविट में अफ़सोस और ऐतराज़ की वाजिब वजहें भी बताई गई हैं. बताया गया है कि वे लोग गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र में मजदूरी करने वाले लोग हैं, जो लॉकडाउन के दौरान अपने गांव लौटे थे. चूंकि उन लोगों को मनरेगा में भी काम नहीं मिल सका और वे ख़ाली बैठे थे तो उन सबने मिलकर श्रमदान करने की ठानी. पन्ना की घाटियों से निकलकर बांदा की रंज नदी में मिलने वाली पहाड़ी नदी में, जिसे स्थानीय लोग घरार नाला कहते हैं, इन लोगों ने 10 से 18 जून तक श्रमदान किया. झाड़-झंखाड़ साफ़ करके बंद नाले को प्रवाह के लायक़ बनाया. अब सीडीओ उनके श्रमदान को मनरेगा में कराया गया काम साबित करने पर तुल गए हैं.
इस ख़त के मुताबिक़ सीडीओ ने वहां मनरेगा का बोर्ड लगवा दिया है और प्रेस कांफ्रेंस करके श्रमदान की बात को ग़लत बताया है. गांव वालों ने आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री सीडीओ से कहें कि श्रमदान वाली जगह पर नदी की जलधारा में खड़े होकर गंगा की शपथ लेकर वह कह दें कि उन लोगों ने श्रमदान नहीं किया है.
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