दुधवा | मिट्ठू उर्फ मिथुन सोमवार को आख़िरकार दुधवा नेशनल पार्क पहुंच ही गया. चंदौली से चार महावतों के साथ ख़ास ट्रक में आए मिट्ठू को दक्षिणी सोनारीपुर रेंज की गुलरा चौकी पर लाया गया. [….]
महोबा | कुलपहाड़ तहसील. रोज़ जैसा ही मंज़र, लेकिन गर्मी कुछ ज्यादा…और पारा 39.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद भी तहसील परिसर में लोगों की भीड़. बेसब्री इस क़दर कि छोटी-सी ख़बर पर भी उछल पड़ते. और आख़िर में वह ख़बर आई, वह फ़ैसला जिसे सुनने के फेर में ही वे इतनी गर्मी में यहाँ डटे हुए थे. [….]
माधवगंज | …और अब सोशल मीडिया में इस नए ट्विस्ट ने अलखराम को परेशान कर डाला है. उन्होंने जो सपने संजोए और उसे पूरा करने को जो हौसला बांधा, उसमें अड़चन आ पड़ी है. सोचा था कि 18 जून को अपने ब्याह में वह सदियों पुरानी रूढ़ि से पार ज़रूर पा जाएंगे. [….]
मनाली | नेहरू फ़ेजेंटरी के मोनाल प्रजनन केंद्र में पहली बार एक साथ तीन मोनाल जन्मे हैं. बीस दिनों के मोनाल के तीनों बच्चे अपनी मां के साथ पिंजरे में खेलते देखे जा सकते हैं. बताया गया है कि मनाली के प्रजनन केंद्र में मोनाज का प्रजनन दूसरी बार हुआ है. [….]
पौड़ी | महामारी की वजह से हुए ‘रिवर्स माइग्रेशन’ का नतीजा है कि अर्से से वीरान हो चुके गांवों में हलचल दिखाई देने लगी है. ज़िले के ऐसे ही एक गांव में तीन परिवार लौट आए हैं. गांव के ही दो और परिवार लौटने की तैयारी में हैं. [….]
यों कहावत है कि ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’ मगर कहा तो यह भी गया है कि ‘हिम्मत-ए-मरदां तो मदद-ए-ख़ुदा’. ये कहानियाँ उन लोगों की हैं, जिन्होंने अपने संकल्प पूरे करने की ठानी और हौसला नहीं छोड़ा. [….]
बाकेगंज | काशी वाइल्डलाइफ़ ऑफ़िस के कम्पाउण्ड में डेढ़ साल से मेहमानी कर रहे मिट्ठू को दुधवा टाइगर रिज़र्व लाने के लिए मथुरा से एलीफ़ैंट केयर सेंटर के एक ख़ास ट्रक मंगाया गया है. [….]
महोबा | पहाड़ों के सौंदर्य के बीच बसे बुंदेलखंड के इस छोटे से ज़िले के चार ब्लॉकों में एक है पनवाड़ी. इसी पनवाड़ी ब्लॉक के गांव माधवगंज में ऐसा पहली बार होगा, जब अनुसूचित बिरादरी का कोई दूल्हा घोड़ी चढ़कर अपनी दुल्हन लेने जाएगा. गांव के अलखराम अहिरवार का ब्याह 18 जून को तय हुआ है. [….]
बस्ती | समुद्र में डूब रहे जहाज से पानी में कूदे तो कई लोग मगर तूफ़ान का यह असर कि लहरें उन्हें ख़ूब ऊंचा उछाल रही थीं. बहते हुए वे सब एक-दूसरे से काफी दूर चले गए. तूफ़ान की भयावहता के बीच लाइफ़ जैकेट के भरोसे पानी में डूबते-उतराते हुए ज़िंदगी की आस छोड़ चुके थे. [….]
तीस मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाने की वजह सन् 1826 में इसी तारीख़ को देश में हिंदी के पहले अख़बार ‘उदन्त मार्तण्ड’ के प्रकाशन की स्मृति है. कलकत्ते से छपना शुरू हुए इस हफ़्तावार अख़बार की उम्र हालांकि बहुत लंबी नहीं रही [….]