दावे न वादे, सिर्फ़ संवाद
रस्मी तौर पर हमारा परिचय तो बस इतना ही है.
हम ख़बरों की दुनिया से वाबस्ता लोग रहे हैं, सो जानते हैं रोज़ाना की राजनीति
और धमाचौकड़ी वाली ख़बरों की गंभीरता. और ऐसी ख़बरों में दिलचस्पी रखने
वालों के लिए इंटरनेट की दुनिया में कितने ही ठिकाने हैं. उसी भीड़ में शामिल
होने का हमारा कोई इरादा भी नहीं. इसीलिए किसी से तेज़ या किसी को पछाड़
कर आगे होने में भी हम बिल्कुल यक़ीन नहीं रखते.
हमारी ख़्वाहिश तो ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाने की है, जहां ख़बरें बेशक हों मगर ज़िंदगी
के उन तमाम पहलुओं के बारे में संवाद भी संभव हो, मुख्यधारा मीडिया में
जिसकी जगह ख़त्म हो चुकी है या फिर बराए नाम रह गई है.
यह भी कि हम अपने लेखन को सतही या एकरस होने से बचाए रख सकें,
अपनी कहन को दिलचस्प और भाषा में गंभीरता और ताज़गी बनाए रख पाएं.
हम क़िस्सागो नहीं हैं मगर ज़िंदगी की कहानियां सुनने और सुनाने के ख़्वाहिशमंद
लोग हैं.
‘संवाद’ यानी http://samvadnews.in हमारी ऐसी ही ख़्वाहिशों, और ऐसे ही
सपनों का नतीजा है, आपके सहयोग से जिसे और बेहतर बनाना हमारा संकल्प है.
उम्मीदों और सपनों को पूरा करने के हौसले और दोतरफ़ा संवाद की पेशकश के
साथ हम आपके बीच हैं.
प्रभात, सम्पादक
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(उत्तर प्रदेश)
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