सीताराम गारखेल की कहानी बंटवारे के मारे बेशुमार कुनबों से बहुत अलग नहीं है. भरा-पूरा कारोबार पीछे छोड़कर उनके पिता अपना कुनबा लेकर जब हिंदुस्तान आए तो उनके पास पुराने दिनों की स्मृतियां थीं और परिवार के भरण-पोषण लायक़ कमाने के ज़रिये की तलाश. [….]
आगरा | किसी के लिए भी ‘शीरोज़ हैंगआउट’ में दाख़िल होना गहरे दुःख और संत्रास का सबब होता है. महिलाओं के विरुद्ध होने वाली एसिड हिंसा के ख़िलाफ़, एक ख़ास उद्देश्य और विचार के प्रचार-प्रसार के लिए बना रेस्त्रां! आगरा में बसा यह यह ऐसा पड़ाव है जिसे ‘एसिड अटैक’ में ज़ख़्मी होने के बाद बच निकली बहादुर लड़कियां ख़ुद चलाती हैं. [….]