चचा रामगोपाल के कंधे पर टिका सिर मैंने उठाया तो उनका चेहरा धुंधला नजर आया. तब मुझे लगा कि मेरी आंखों में आंसू तैर रहे हैं. वह कह रहे थे, ‘अब तो चचा के गले लग जाओ बेटा, मतदान हो चुका. जो होना होगा वह पेटी में बंद हो चुका है. समझो, चुनाव ख़त्म हुआ.’ [….]