कोई पांच दशक पुरानी बात होगी, इलाहाबाद में हमेशा की तरह कुंभ पड़ा था. मैं कीडगंज में अपनी ननिहाल आया हुआ था. ननिहाल में रहना मुझे बहुत भाता था. हर उसे मौक़े पर जब छुट्टी हो, मैं वहीं चला जाता. ख़ासतौर से कुंभ मेला हो, हर साल पड़ने वाला माघ मेला हो या दधिकांदो का जुलूस… मेले का कोई मौक़ा हो, मैं वहीं होता था तो उस कुंभ [….]