पेंच लड़ाती, एक दूसरे की डोर में उलझी दो पतंगें अपने-अपने खिलाड़ी की छत से बहुत दूर निकल आईं थीं. हवा, जो एक घंटा पहले तक धीमी-सी बह रही थी, अचानक तेज़ हो गई थी. उड़ाने वालों से पतंगें संभल नहीं रहीं थी. वापिस अपनी तरफ़ खींचना तो दूर पतंगें सीधी संभल भी नहीं पा रही थीं. [….]