हिंदी सिनेमा में सफलता के नए आयाम स्थापित करने वाले आमिर ख़ान आज अपनी ज़िंदगी के 59 साल मुक़म्मल कर रहे हैं, सुनहरे पर्दे पर नायक के तौर पर वह 35 साल पुराने हो चुके हैं फिर भी हमेशा कुछ नया और दिलचस्प, लीक से हटकर करने की उत्सुकता और चाहत उनमें [….]
गाँव-देस में कहे-सुने जाने वाले पुराने क़िस्सों की तरह के ट्विस्ट और उनमें जगह-जगह बुना हुआ रोमांच महसूस करने जैसी अनुभूति जगाती है-‘लापता लेडीज़’. फ़र्क बस इतना है कि इसकी कहानी और किरदार हमारे दौर के हैं – उनकी ज़िंदगी और हालात, उनकी ख़्वाहिशें और [….]
फ़िल्म ‘मेरी क्रिसमस’ की रिलीज़ की तारीख़ का ऐलान होने के बाद इसके बेसब्री से इंतज़ार की कई वजहें थीं-श्रीराम राघवन की फ़िल्म, कटरीना कैफ़ और विजय सेतुपति की जोड़ी [….]
समांतर सिनेमा को छोड़ दें तो लोकप्रिय फ़िल्मों की दुनिया में ऐसी फ़िल्में गिनी-चुनी ही हैं, जो लंबे समय तक अपना असर बरक़रार रख पाई हैं. मौजूदा दौर की होड़ में तो यह थोड़ा और मुश्किल हो चला है. कई बार बहुत हो-हल्ले के साथ आने फ़िल्में भी सिनेमाघरों से उतरने के बाद ज़ेहन से उतर जाती हैं. [….]
सिर्फ़ स्पेलिंग बदल लेने से बात थोड़े ही बनती है, सो ‘डंकी’ राजकुमार हिरानी की फ़िल्म नहीं लगती, न ही यह अभिजात जोशी की स्क्रिप्ट मालूम होती है. एक्सप्लोरेशन की तर्ज़ पर मामूली-सी आगे बढ़ती है और इस कहानी को दिलचस्प बनाने की कोशिशें नाकाफ़ी मालूम होती है. [….]