हिंदुस्तानी सिनेमा में यथार्थवाद की बुनियाद रखने वाले बिमल रॉय ऐसे फ़िल्मकार हुए, जिन्हें ‘स्कूल’ का दर्जा हासिल है और जो जीते-जी किंवदंती बन गए. हिंदी की महान फ़िल्मों की कोई सूची उनकी फ़िल्मों के ज़िक्र के बग़ैर पूरी नहीं होती. [….]
आरआरआर और केजीएफ-2 जैसे संक्षिप्त अंग्रेज़ी नामों वाली डब्ड दक्षिण भारतीय फ़िल्मों का अखिल भारतीय पैमाने पर हिट होना एक बड़ी परिघटना का हिस्सा है. कोविड के लॉकडॉउन और ओटीटी प्लेटफ़ार्मों के मेल ने दर्शकों के मन के स्तर पर इस परिघटना को जन्म दिया है. इस उभरते हुए क्रॉस-कल्चरलिज्म को ज़रा ब्यौरे में जाकर देखते हैं. [….]