(हमारे दौर के महत्वपूर्ण रचनाकार और संपादक धर्मवीर भारती की शख़्सियत का यह ख़ाका उनकी बेटी के हवाले से है. क़रीब दस साल पहले हुई इस बातचीत में प्रज्ञा भारती ने अपने पिता के व्यक्तित्व के ऐसे तमाम पहलुओं का ज़िक़्र किया [….]
कुछ फ़ोटो अपनी अंतर्वस्तु में इतने समृद्ध और शक्तिशाली होते हैं कि आइकनिक बन जाते हैं. वे केवल एक चित्र भर नहीं होते, बल्कि एक पूरी कहानी कहते हैं. वे एक युग का, एक पूरे काल खंड का, एक सम्पूर्ण प्रवृति का प्रतिनिधित्व करते हैं. [….]
नई दिल्ली | देश भर के संस्कृतिकर्मियों, साहित्यकारों और नौजवानों का एक ख़ास जत्था ‘ढाई आखर प्रेम’ भगत सिंह के जन्मदिन पर अलवर से रवाना होगा. सांस्कृतिक जनजागरण के लिए उद्देश्य से यह जत्था शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जयंती पर 28 सितंबर को अलवर से शुरू होगा [….]
नैनीताल | अपनी तस्वीरों के लिए देश-दुनिया में पहचाने जाने वाले फ़ोटोग्राफ़र अमिल साह का इतवार को देर रात में निधन हो गया. अमित पर्वतारोही और घुमक्कड़ होने के साथ ही मशहूर यूट्यूबर भी थे. [….]
उज्जैन में लगातार पानी बरस रहा है. इतना बरसा है कि क्षिप्रा ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है. शहर के कई पुराने मोहल्लों में घरों की पहली मंज़िल तक पानी पहुँच गया है. लोगों को वहाँ से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुँचाया जा रहा है. [….]
अगर कोई रचना कालजयी कहलाती है तो उसकी बहुतेरी ख़ूबियों में इंसानी नफ़्सियात और फ़ितरत पर पकड़ का शुमार ज़रूर होता है. काम, क्रोध, लोभ, मोह और मद के हवाले से इंसान की सारी नफ़्सियात ज़ाहिर नहीं होतीं, सभ्य होने के क्रम में उसने जो कुछ हासिल किया है [….]
‘जवान’ मुक़म्मल तौर पर एक मसाला फ़िल्म है, जिसमें लेखक व निर्देशक एटली ने बेहद संजीदगी के साथ मसाला फ़िल्मों के तक़रीबन सारे तत्व मसलन एक्शन, कुछ हल्के-फुल्के लम्हे, बदला, सुरीला संगीत और सुमित अरोड़ा के चुटीले संवादों का बखूबी इस्तेमाल किया है. [….]
नई दिल्ली | राजकमल प्रकाशन समूह और इंडिया हैबिटेट सेंटर साझा पहल के तहत विचार-बैठकी की मासिक श्रृंखला’सभा’ के आयोजन की शुरुआत कर रहे हैं. [….]
बरेली | शहर की नाट्य परंपरा को नए आयाम देने और सांस्कृतिक गतिविधियों में क़रीब दो दशकों से अपनी सक्रियता और पहल के लिए पहचाने जाने वाले डॉ. बृजेश्वर सिंह को पद्मश्री के लिए नामित किया गया है. [….]
वास्तव में उस कटरे का नाम ‘कटरा बी आर्ज़ू’ नहीं था. उसका असली नाम ‘कटरा मीर बुलाक़ी’ था. कारपोरेशन के काग़ज़ों में भी उसका यही नाम लिखा हुआ था. वह तो हुआ यूँ कि जिस दिन शहनाज़ और मास्टर बद्गरुल हसन ‘नायाब’ मछलीशहरी की शादी तै हुई उसी रात उन्होंने इस कटरे का नाम बदलकर ‘कटरा बी आर्जू’ रख दिया. [….]