जानकीपुल ट्रस्ट ‘जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान’ 2025 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित कर रहा है. हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार स्मृतिशेष शशिभूषण द्विवेदी की स्मृति में जानकीपुल ट्रस्ट द्वारा ‘जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान’ वर्ष 2024 में स्थापित किया गया था. पहला सम्मान निर्णायकों प्रियदर्शन और मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा कथाकार दिव्या विजय को [….]
कारा एंटोनेली की बनाई एनिमेटेड फ़िल्म ‘द क्लॉक टॉवर’ में एक ख़ूबसूरत बैलेरीना नर्तकी को श्राप देकर एक चुड़ैल एक घंटाघर की सबसे ऊपरी मंज़िल में क़ैद कर लेती है. वो घंटाघर एक मनोरम शहर के बीचोबीच खड़ा है जिसके चारों तरफ हरियाली, रंगीन फूलों की छटा और प्राकृतिक ख़ूबसरती बिखरी है. चुड़ैल बैलेरीना नर्तकी को यह कहकर फुसला लाती है कि अगर उसे [….]
(दिल्ली शहर के पुराने घंटाघरों के बहाने ख़ूबसूरत इमारतों, उनके स्थापत्य और इतिहास के साथ ही इंसानी सभ्यता में इसकी ज़रूरत और उपयोगिता के बारे में इस लंबे और शोधपरक मगर दिलचस्प लेख की पहली कड़ी में आपने दिल्ली में चाँदनी चौक इलाक़े के घंटाघर के बारे में पढ़ा. इस दूसरी कड़ी में [….]
बरेली | शहर के प्रतिष्ठित विंडरमेयर थिएटर फ़ेस्टिवल में इस बार अवार्ड्स का एक नया अध्याय जुड़ गया है. फ़रवरी में होने वाले नाट्य उत्सव के 15वें संस्करण में देश भर के नाट्य दलों को शामिल होने का मौक़ा देने और उनकी प्रतिभा को एक नायाब मंच मुहैया कराने के इरादे से इसे प्रतिस्पर्धी कला उत्सव बनाने का फ़ैसला लिया गया है. [….]
तंज़ की दुनिया के बादशाह पतरस बुख़ारी साहेब अपनी कहानी “मरहूम की याद में” में एक जगह लिखते है –
एक दिन मिर्ज़ा साहब और मैं बरामदे में साथ-साथ कुर्सियाँ डाले चुप-चाप बैठे थे. जब दोस्ती बहुत पुरानी हो जाए तो गुफ़्तुगू की चंदाँ ज़रूरत बाक़ी नहीं रहती [….]
“चित्रकला वह कविता है, जिसे देखा जाता है और कविता वह चित्रकला है, जिसे महसूस किया जाता है।”
-लियोनार्डो दा विंची [….]
नई दिल्ली | गीतकार-कवि शैलेन्द्र के गीतों पर केन्द्रित किताब ‘उम्मीदों के गीतकार शैलेन्द्र’ का आवरण साहित्य आजतक के कार्यक्रम में शनिवार को जारी किया गया. राजकमल प्रकाशन से आने वाली इस किताब को विविध भारती (मुम्बई) के रेडियो उद्घोषक युनूस ख़ान ने लिखा है. [….]
मधुकरी की-सी उस मीठी-अद्भुत गुंजार ने पेन का तो चल पाना ही दूभर कर दिया. सजग हुए कानों को लगा कि किसी की चूड़ियों ने धीमे से एक गीत गाकर चुपके-चुपके कुछ कहना चाहा है. देखने की बेताबी में नज़र घूमी तो दिखा कि अचानक एक देवदार ठीक बाज़ू में आ उगा है. या फिर गमकता-महकता-सा पूरा का पूरा एक बग़ीचा कमरे में लम्बवत आ खड़ा हुआ है [….]
मुझको मरे हुए 16 साल हो चले हैं, पैदा हुए 90 और तुझ से रुख़सत हुए क़रीब 77 साल जमा तीन महीने. अब सोच तेरी याद में दिन गिने के नहीं? पैदा हुआ मैं तेरी फ़िज़ाओं में और आख़िरी सांस ली दिल्ली के अशोक विहार इलाक़े में. पैदाइश और मौत के बीच और भी कई शहरों में पड़ाव रहे पर सब बेमानी रहे. तेरे से जुदा हो के दिल कहीं और लगा ही नहीं, दिल्ली [….]
लखनऊ | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व चेयरमैन प्रो. डी.पी.सिंह को अकादमिक लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड-2024 से नवाजा गया है. नई दिल्ली के डा.प्रीतम सिंह फाउण्डेशन की ओर से 21 नवम्बर को उन्हें यह सम्मान दिया गया. फ़रीदाबाद की मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित चौथे प्रिज़्म सम्मेलन के समापन समारोह में चार दशकों [….]
सामने के कमरे से टीवी की आवाज़ आनी बंद हो गई थी. रसोई में रात भर जलने वाली हलकी नीली बत्ती किसी ने जला दी थी. घर शांत था. किताब से आँखें उठा कर मैंने घड़ी देखी तो समय था 10.35. [….]
रात दिवाली की है.गुडगाँव के जिस हिस्से में हम रहते हैं, वहां के बाशिंदो पे पटाख़े चलाने की कोई पाबन्दी लागू नहीं होती चाहे वो सरकार की हो, सुप्रीम कोर्ट की हो या गलाघोंटू प्रदूषण की हो. धमाके, शोर, आवाज़ें, धुआँ और अमावस के काले आसमान को भी चौंकाने वाली हवाइयों से फूटते रंगीन सितारे यक़ीनन लंका से लौटते राम को भी परेशान कर रहे होंगे. देवी [….]