रह-रहकर उठती है हूक-सी कलेजे में भग्गो के. झपकाई नहीं है पूरी रात उसने अपनी आँखें. मुंह अंधेरे छोड़कर खाट मन लगाना चाहा रोज़ के कामों में. जंगल फिरने गई तो अंधेरे में वहाँ बैठे-बैठे रुलाई फूटी. न्यार कूड़ा करने गई तो लड़ावनी पर बैठकर दहाड़ मारकर रोने को मन हुआ. पथनहारे में गोबर सानते-सानते खिसियानपट आया अपने आप पर. रात से [….]
अनस उसका नाम है पर मोहल्ले वाले उसे अनस कूड़े वाला ही बुलाते हैं.
‘अनस’ का मतलब है—प्यार करने वाला, स्नेही, मिलनसार, और ये मैं अनस को कई बार बता चुका हूँ. [….]
चंडीगढ़ | पंजाब ललित कला अकादमी और वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिज़ाइन (डब्लूयूडी) की ओर से आयोजित फ़ोटो प्रदर्शनी का आज शाम को उद्घाटन हुआ. पंजाब कला भवन की सोभा सिंह आर्ट गैलरी में लगी पिक्टोरियल तस्वीरों की यह प्रदर्शनी ‘ईक्षण 2025’ 31 मार्च तक खुली रहेगी. प्रदर्शनी में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिज़ाइन के अठारह नवोदित छायाकारों [….]
पूरे आठ साल बाद अपने गाँव की होली करेगा वह! पिछले वर्षों में होली, दीपावली, रक्षा-बंधन आते रहे, जाते रहे. वह गाँव पहुँचने को अकुलाया, पर कभी बच्चों की तबियत खराब, कभी पत्नी अस्वस्थ, कभी बच्चों के स्कूल या परीक्षा का झमेला, तो कभी छुट्टी की या पैसे की समस्या के कारण हार-झींककर मन मारे उसे गाँव से सैकड़ों मील दूर झाँसी में ही पड़े [….]
नवरोज़ कॉन्ट्रैक्टर फ़ोटोग्राफ़ी और सिनेमैटोग्राफ़ी की दुनिया का वो ख़ास नाम रहा है, जिसकी दिलकश तस्वीरें हमें उत्तर भारत में ज़्यादा देखने को तो नहीं मिली पर फ़िल्मों के शौक़ीन, ख़ासकर समानांतर सिनेमा के प्रेमी उन्हें उनकी अदाकारी और कैमरा के पीछे के काम के लिए ज़रूर पहचानते होंगे. इसके बावज़ूद उनकी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों को चाहने [….]
कहानियां या फ़िल्में मुझे आसानी से भावुक नहीं कर सकती, मगर हाँ, दर्द भरी कोई कविता, दिल हिला देने वाली कोई ग़ज़ल, ठुमरी, टप्पा या गीत, और रूह को चीर देने वाले संगीत को सुन कर मैं ज़ार-ज़ार रो सकता हूँ, रोया भी हूँ, कई बार. सिनेमा में भी और नशिस्तों या बैठकों में भी. मेरा मानना है कि संगीत में किसी को भी अपनी गिरफ़्त में ले कर [….]
फ़रवरी का महीना, बसंत का मौसम और बड़े से घर की बड़ी, खुली छत पे बच्चों के मुंडन या जन्मदिन की पार्टी छोटे-बड़े बच्चे पसंद करें या न करें उनके माँ-बाप, चाचा-ताऊ, मामा-मामी, बुआ-फूफा सब इस मौक़े का लुत्फ़ उठाते हैं ख़ासकर अगर वो दिल्ली की पंजाबी बिरदारी के हों. बसंत का ख़ुशनुमा महकता समां, हल्की पीली धूप, पीले फूल और [….]
रस्किन बॉन्ड की आत्मकथा ‘लोन फ़ॉक्स डासिंग’ के हिंदी में अनुवाद करने के प्रस्ताव के साथ एक शर्त यह भी थी कि अगर मैं अनुवाद न करना चाहूँ तो कोई बात नहीं, पर मुझे भेजी गई किताब की प्रति लौटा ज़रूर दूँ. और बॉन्ड की कहानियाँ पढ़ते, अपने और दोस्तों के बच्चों को पढ़ाते रहने के अपने बरसों तजुर्बे की बिना पर मैंने हामी भर दी थी. अनुवाद [….]
मुम्बई | हिन्दी सिनेमा की सुपरिचित निर्माता, निर्देशक और लेखक सीमा कपूर की आत्मकथा ‘यूँ गुज़री है अब तलक’ का लोकार्पण बुधवार को हुआ. इस मौक़े पर अनुपम खेर, परेश रावल, बोनी कपूर, अन्नू कपूर, दिव्या दत्ता, रघुवीर यादव समेत फ़िल्म जगत की कई हस्तियाँ मौजूद रहीं. लोकार्पण कार्यक्रम का संचालन स्टूडियो रिफ्यूल के कुमार ने किया. [….]