बरेली | लॉरेंस फ़र्नांडिस को मुमकिन है कि आप न जानते हों मगर फ़र्न्स बेकरी से तो वाक़िफ़ होंगे. कभी एएससी के ऑफ़िसर्स मेस में बटलर रहे लॉरेंस ने 1963 में यह बेकरी शुरू की थी. उनके कुलनाम फ़र्नांडिस से ही इस बेकरी को अपना नाम मिला – फ़र्न्स. [….]
मवाना की चीनी जैसी ही शोहरत मुखत्यार सिंह की बालूशाही को मिली. यों मुख्त्यार हलवाई के हुनर, उनके नाम और बालूशाही के स्वाद की ख्याति चीनी मिल से भी पुरानी है. उनकी दूसरी और तीसरी पीढ़ी बालूशाही के पुराने खस्तेपन और सोंधेपन का किरदार बचाए हुए है. [….]
हमारे पर्व, त्योहार परम्परा सिर्फ़ मनोरंजन, सामजिकता, इतिहास की स्मृति ही नहीं हैं, सदियों से हमारे शिल्प, गीत, नृत्य, चित्रकला को सजाने-संवारने और पीढ़ी दर पीढ़ी उनको आगे ले जाने का माध्यम भी रहे हैं. [….]
यात्रा, सिर्फ़ वह नहीं होती बंधु जो एक शहर से दूसरे शहर की जाती है. यात्रा वह भी है, जब हम यात्रा से लौट कर, [….]
भारतवर्ष त्योहारों का देश है, बचपन से हिंदी की परीक्षा की तैयारी के दौरान किसी भी त्योहार पर निबंध लिखाते समय यह पंक्ति गुरूजी स्थायी रूप से बताते थे. होली, दिवाली, दशहरा, पंद्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी सभी के साथ यह एक वाक्य स्थायी रूप से जोड़ा जाता था. [….]