‘सतरंगी दस्तरख़्वान’ के बारे में बात शुरू करने के पहले मुझे अपनी ओर से भी कुछ कहना है. सोशल मीडिया में इस किताब के आने की सूचना के साथ जिस चीज़ ने मुझे झट से बाँध लिया था, वह इसके कवर की तस्वीर है – सरपत की पत्तियों, सूजे और लोटे के गिर्द हरी धोती पहने बैठीं दो हुनरमंद औरतों [….]