केदारनाथ अग्रवाल के बारे में रामविलास शर्मा ने लिखा है कि वह ज़िंदगी भर बांदा में एक ही मकान में रहे. उनकी लाइब्रेरी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि मोटी ज़िल्द वाली ढेरों किताबें जिन्हें जाने कब से पढ़ा नहीं गया होगा मगर केदार उनकी धूल बराबर झाड़ते रहते हैं. [….]