शुक्रवार , 11  अक्टूबर  2024

मोहर्रम के दिनों में गोरखपुर में मियां बाज़ार के ऐतिहासिक इमामबाड़े में अक़ीदतमंदों का मेला हुआ करता था मगर महामारी की वजह से इस बार इमामबाड़े में सिर्फ़ इमामबाड़ा इस्टेट के लोगों को ही यहां दाख़िल होने की इज़ाजत है. भीड़ का ख़्याल करके इमामबाड़ा एहतियातन बंद रखने का फ़ैसला हुआ है.
हज़रत रोशन अली शाह के कहने पर नवाब आसफ़उद्दौला का बनवाया हुआ यह इमामबाड़ा बनाने में बारह साल लगे और 1796 में यह मुकम्मल हुआ था. छह एकड़ में फैले में इस इमामबाड़े को 15 गांव की जागीर के साथ ही नवाब ने सोने का बना एक ताजिया भेंट किया था, उनकी बेग़म ने भी चांदी का ताजिया दिया था. हर साल मोहर्रम के दिनों में ही ये ख़ास ताजिये बाहर रखे जाते हैं ताकि लोग इनकी जियारत कर सकें. हज़रत रोशन अली शाह की खड़ाऊं, चिमटा, बर्तन और उनका हुक़्क़ा भी सहेजकर रखा हुआ है. इमामबाड़े में उनके वक़्त से ही धूनी भी जलती आ रही है. हज़रत की छठी पीढ़ी में अदनान फर्रूख़ शाह के मुताबिक हज़रत रोशन अली शाह 1707 में बुखारा से यहां आए थे.
ये तस्वीरें 2015-16 में मोहर्रम के दिनों की है.

फ़ोटो | प्रभात

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