पेरिस | नवाचारों के साथ ओलंपिक खेलों को तैयार

पेरिस शहर. दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत शहर. सपनों का शहर. प्रेम का शहर. रोशनी का शहर. फ़ैशन का शहर. कला और साहित्य का शहर. स्थापत्य का शहर. एक शहर जिसने इतिहास मिटते देखा और इतिहास बनते देखा. शहर जिसके चप्पे-चप्पे में आर्थिक और सांस्कृतिक वैभव की निशानियां बिखरी हुई हैं. एक शहर जो आर्थिक वैभव की रोशनी से नहाया हुआ है. एक शहर जो सांस्कृतिक वैभव की रोशनी से गुलज़ार है. एक ऐसा शहर जो कला, साहित्य व अन्य क्षेत्रों में न जाने कितने नवाचारों का, नए-नए आंदोलनों का साक्षी रहा, केन्द्र रहा. स्वप्न सरीखा शहर. स्वप्नों का शहर. शहर जिसने उत्कृष्टता के नए शिखर बनाए, नए पैमाने गढ़े.

सपनों के इसी शहर में 26 जुलाई से 11 अगस्त तक दुनिया के कोने-कोने से 10500 खेल कलाकार, 32 खेलों की 329 स्पर्धाओं में, अपने कौशल और प्रतिभा की रोशनी से न केवल इस शहर को बल्कि विश्व भर को चकाचौंध कर देंगे. यहां 19 दिनों तक वे अपने सपनों को साकार करेंगे और उत्कृष्टता के नए पैमाने रचेंगे. और इसके लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देंगे. वे सब ‘सिटियस, अल्टियस, फोर्टियस ‘ के इस महायज्ञ में अपने कला कौशल और योग्यता की आहुति देंगे और खुद को साबित करेंगे, कुछ और अधिक तेज़, कुछ और अधिक ऊंचा, कुछ और अधिक शक्तिशाली.

फ़्रांस की राजधानी पेरिस ठीक सौ साल बाद फिर से ओलंपिक खेलों की मेज़बानी कर रही है.

इससे पहले 1924 में यहाँ ओलंपिक खेल हुए थे. वो इन खेलों का सातवां आयोजन था और ये 33वां.

यह शहर नए प्रयोगों और नवाचारों के लिए ही बना है. कला से लेकर साहित्य तक और अर्थ से लेकर राजनीति तक नए प्रयोगों और नवाचारों का शहर है ये. फिर ऐसा कैसे ही सकता है कि इस शहर में इतना बड़ा खेल आयोजन हो और उनमें कुछ नवीनता न हो. नए प्रयोग न हों.

1924 के ओलंपिक खेलों में भी इस शहर ने कुछ नवीन परंपराएं स्थापित की और पुरानी को छोड़ा था. और इस बार भी ऐसा ही होने जा रहा है.

1924 में जब पेरिस में ओलंपिक खेल आयोजित किए जा रहे थे तो ये दूसरा अवसर था कि पेरिस में ओलंपिक खेल हो रहे थे. इससे पहले 1900 में दूसरे ओलंपिक खेल भी पेरिस में ही हुए थे. इस प्रकार 1924 में पेरिस दुनिया का पहला शहर बन रहा था, जिसे दो बार ओलंपिक खेलों के आयोजन का गौरव प्राप्त हुआ.

1924 के पेरिस ओलंपिक में पहली बार रेडियो पर इन खेलों का सजीव प्रसारण किया गया था.

इतना ही नहीं, इन खेलों में पहली बार खेल गांव बनाया गया था और सारे खिलाड़ी एक साथ इस खेल गांव में रुके थे.

समापन समारोह के आयोजन की परंपरा भी इन्हीं खेलों से आरम्भ हुई, जिसमें ओलंपिक कमेटी के अलावा मेज़बान और अगले मेज़बान देश का ध्वजारोहण किया गया था.

इन खेलों में पहली बार आयरलैंड को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता और भाग लेने की अनुमति दी गई थी और आयरलैंड ने पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग लिया.

और ये भी कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी के पियरे दी कुबर्टीन के निर्देशन में ये अंतिम ओलंपिक खेल थे.

नवाचारों की परंपरा यह शहर अभी भी निभा रहा है. बहुत कुछ इस बार भी नया होने जा रहा है.

इस बार के खेलों का सबसे बड़ा प्रयोग उद्घाटन समारोह में होने जा रहा है. इस बार का उद्घाटन समारोह स्टेडियम में न होकर सीन नदी पर होगा. इसमें दर्शकों पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होगा. प्रत्येक देश की टीम एक बोट पर होगी, जिस पर कवरेज के लिए कैमरे लगे होंगे. ये बोट क़रीब छह किलोमीटर का फ़ासला तय करेंगी.

ये अब तक के पहले खेल होंगे, जिसमें पुरुष और स्त्री खिलाड़ियों की संख्या एकदम बराबर होगी. पचास-पचास फ़ीसदी.

एक बात ये भी कि ये खेल बहुत अधिक सस्टेनेबल होंगे. इसके लिए नए ढांचों का निर्माण नहीं किया गया है. बल्कि पहले से स्थापित स्ट्रक्चर्स को ही सुदृढ़ कर उन्हें प्रयोग में लाया जा रहा है. या फिर कुछ अस्थायी ढांचों का निर्माण किया गया है, जिन्हें इस आयोजन के लिए ही बनाया गया है.

जिस समय पेरिस को खेल आयोजन का अधिकार मिला था, उस समय उसने चार नए खेलों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव किया था. ये खेल थे-स्केटबोर्डिंग, सर्फ़िंग, स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग और ब्रेकिंग (ब्रेक डांस). इनमें से पहले तीन तो टोक्यो में ही शामिल कर लिए गए थे और इस बार भी इन्हें शामिल किया गया है. जबकि ब्रेकिंग पहली बार ओलंपिक खेलों में शामिल किया जा रहा है.

ज़्यादातर खेल तो पेरिस और उसके उपनगरों वर्साइल, सेंट डेनिस, ले बोर्गेट, नैनटरे, वेरेस सुर मोर्ने में आयोजित किए जाएंगे. लेकिन कुछ खेल पेरिस से काफ़ी दूर स्थित जगहों पर भी होंगे. मसलन बास्केटबॉल और हैंडबॉल का आयोजन पेरिस से 225 किलोमीटर दूर लिली में होगा जबकि नौकायन प्रतियोगिता और कुछ फ़ुटबॉल मैच भू-मध्यसागरीय शहर मार्साइल में खेले जाएंगे जो पेरिस से 777 किलोमीटर दूर है. फ़ुटबॉल के मैच पांच अन्य शहरों में भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें लीग क्लब के गृह मैदान नीस, बोर्डो, लियोन, सेंट एटीन और नैनटेस शामिल हैं.

सर्फ़िंग की प्रतियोगिता तो पेरिस से 15717 किलोमीटर दूर फ्रेंच पोलिनेशिया के गांव ताहुपोहो में होंगी.

इन खेलों के आयोजकों का दावा है कि ये खेल अधिक हरित, अधिक स्वच्छ और अधिक सुरक्षित होंगे. लेकिन इसी के चलते ही शायद एक बड़ा विवाद भी खड़ा हो गया है. तमाम मानवाधिकार संगठन और एनजीओ ये आरोप लगा रहे हैं कि सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई की बिना पर उन क्षेत्रों से अस्थाई रूप से निवास कर रहे निर्धन लोगों, जिनमें से आधे से अधिक शरणार्थी हैं और जो सड़कों पर रहते हैं, को बेदख़ल किया जा रहा है जहां पर्यटकों के आने की संभावना है और जो क्षेत्र खेल आयोजन स्थलों के आसपास हैं. हालांकि आयोजकों ने इन आरोपों का खंडन किया है.

विवाद और चिंताएं और भी है. इज़रायल और हमास युद्ध के चलते इज़रायल को भाग लेने की अनुमति विवाद का एक बड़ा मुद्दा है और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस और बेलारूस की टीमों को तटस्थ दल के रूप में अनुमति दिया जाना भी विवाद का विषय है. इसके अलावा पर्यावरण संबंधी मुद्दे, खिलाड़ियों और दुनिया भर से आने वाले खिलाड़ियों के लिए मूलभूत ढांचे और सुविधाओं की उपलब्धता जैसे मुद्दे और चिंताएं मौजूद हैं. सदियों से सड़कों पर सामान बेचने वाले विक्रेताओं को खेलों के शुरू होने से पहले हटाने का मुद्दा भी बड़ा है और गर्म मौसम भी खिलाड़ियों और आयोजकों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है.

चुनौतिया और चिंताएं चाहे जैसी हो, इन खेलों के भव्य और सफल आयोजन के बारे में शायद ही किसी को संदेह होना चाहिए.

अस्तु, कल भारतीय दल की संभावनाओं पर एक नजर.

कवर | mguzmas from Pixabay“>पिक्साबे

सम्बंधित

और इस बार का शुभंकर आज़ादी का प्रतीक रही टोपी

रिफ़्यूज़ी उनका दर्जा, पर खेल उनकी ताक़त


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.