फ़ीफ़ा विश्वकप कल से शुरू होगा

फ़ीफ़ा विश्वकप इस बार खाड़ी के देश क़तर में कल यानि 20 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. 18 दिसंबर तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में पांचों महाद्वीप की 32 सर्वश्रेष्ठ टीमें अपने अद्भुत खेल कौशल, रणनीति चातुर्य और तकनीकी श्रेष्ठता का सर्वोत्तम प्रदर्शन करेंगी.

किसी व्यक्ति के हाथ भी कितने जादुई होते हैं! उनसे कितनी जादुई करामातें की जा सकती हैं, ये हम सब जानते हैं. आख़िर उक्तियाँ यूं ही थोड़े ही बनी हैं – ‘अपनी क़िस्मत अपने हाथ’ या फिर ‘अपना हाथ जगन्नाथ’. लेकिन दोस्तों यक़ीन कीजिए, पैर भी कम जादुई नहीं होते हैं. उनसे भी जादुई संसार रचा जाता है.

जब पैर लय से थिरकते हैं तो नृत्य जैसी ख़ूबसूरत-मनमोहक कला का जन्म होता है. जब उन पैरों की लय को गति और घुंघरुओं का साथ मिलता है तो व्यक्ति केलुचरण महापात्र, पं बिरजू महाराज, मृणालिनी साराभाई, गोपी कृष्ण, लच्छू महाराज, सोनल मानसिंह या फिर माइकल जैक्सन, मिखाइल बेरिश्निकोव, मैडोना, शकीरा और मार्था ग्राहम जैसे अद्भुत कलाकारों के रूप में दुनिया में जाने जाते हैं.

जब इन पैरों को लय के साथ गति और शक्ति मिलती है तो दुनिया को अविस्मरणीय दौड़ें मिलती हैं और मिलते हैं महान धावक. ये इन पैरों की करामात थी कि फेडीपिडिस मैराथन के युद्ध के मैदान से एथेंस तक एक ऐतिहासिक दौड़ दौड़ता है. इन्हीं पैरों की अद्भुत करामात से पावो नूरमी, जेसी ओवेन्स, सेबेस्टियन को, बेन जॉनसन, उसैन बोल्ट, कार्ल लेविस, ग्रिफ्फिथ जॉयनर, मो.फराह, हैली गैब्रेसिलासी, मिल्खा सिंह और पीटी उषा बनते हैं, जिनके पैरों की गति, लय और शक्ति मिलकर आपको विस्मय से भर देती हैं.

ठीक ऐसे ही, जब पैरों की गति और लय को एक अदद 60 सेंटीमीटर परिधि वाली और लगभग 300 ग्राम वजन वाली गेंद मिलती है तो फ़ुटबॉल जैसा अनोखा खेल बनता है, हमारी दुनिया के हर कोने में जिसे चाहने वाले लोग होते हैं. जो दुनिया की अधिकांश जनता का सबसे प्रिय खेल बन जाता है. 120 ग़ज़ लंबे और 80 ग़ज़ चौड़े मैदान में जब एक जोड़ी पैर इस गेंद के संपर्क में आते हैं तो पैर गति और लय से कलात्मकता का एक ऐसा जादुई संसार रचते हैं कि देखने वाले आनंद के सागर में डूब-डूब जाते हैं. ये पैर फ़ुटबॉल के उन जादूगरों के होते हैं जिन्हें हम और आप पेले, माराडोना, मेस्सी, रोनाल्डो, नेमार, बेंजीमा, पाउलो रोसी, जोहान क्रुफ, जिनेदिन ज़िदाने, फ्रांज़ बेकनबाउर, अल्फ्रेडो डी स्टिफानो या ऐसे ही न जाने कितने नामों से जानते हैं.

यूं तो ये करामाती पैरों के जादूगर साल दर साल अपने जादू से दर्शकों को एक रुमानी दुनिया में ले जाते रहते हैं. पर हर चार साल में एक बार दुनिया के किसी एक कोने में इन जादूगरों का एक मेला लगता है, जहां इनमें एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ लगी रहती है. और इस होड़ में वे अपने चाहने वालों को चमत्कृत करते रहते हैं. वहां इनकी प्रतिभा की सीमा आकाश की अनंत ऊंचाई होती है. पैरों के इन जादूगरों के इस चार साला मेले को हम और आप फ़ीफ़ा विश्व कप के नाम से जानते हैं.

इस बार ये मेला खाड़ी के देश क़तर में कल यानि 20 नवंबर से शुरू होने जा रहा है, जो 18 दिसंबर तक चलेगा. लगभग एक महीने चलने वाली इस प्रतियोगिता में पांचों महाद्वीप की 32 सर्वश्रेष्ठ टीमें अपने अद्भुत खेल कौशल, रणनीति चातुर्य और तकनीकी श्रेष्ठता का सर्वोत्तम प्रदर्शन करेंगी और फ़ुटबॉल की दुनिया का सिरमौर बनने की कोशिश में अपना सब कुछ झोंक देने को तत्पर रहेंगी.

इस बार विश्व कप के लिए पांच कॉन्फ़ेडरेशन से कुल 32 देशों ने अहर्ता प्राप्त की है. एशियन फ़ुटबॉल एसोसिएशन से छह टीम, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ अफ्रीकन फ़ुटबॉल से पांच टीम, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ नार्थ सेंट्रल अमेरिका एंड कैरेबियन एसोसिएशन फ़ुटबॉल और साउथ अमेरिकन फ़ुटबॉल असोसिएशन से चार-चार टीम और यूनियन ऑफ़ यूरोपियन फ़ुटबॉल असोसिएशन से तेरह टीमें शामिल हैं.

इन 32 टीमों से केवल 24 वे टीम हैं, जो 2018 के विश्व कप में खेली थीं. इस बार मेज़बान क़तर की एकमात्र टीम जो विश्व कप फ़ाइनल में पहली बार खेल रही है. वो मेजबान होने के नाते इसमें खेल रही है. अन्यथा यह पहला विश्व कप है जिसमें क्वालीफ़ाई करने वाली टीमों में एक भी डेब्यू नहीं कर रही है. हॉलैंड, घाना, इक्वेडोर, कैमरून और अमेरिका की पिछले विश्व कप में अनुपस्थिति के बाद फिर से वापसी कर रही हैं. कनाडा की टीम 36 साल बाद वापसी कर रही है तो वेल्स की टीम 64 साल बाद.

इस बार भी सबके ज़्यादा कमी चार बार की विश्व चैंपियन और वर्तमान यूरोपियन चैंपियन इटली की होगी. वो लगातार दूसरी बार विश्व कप के लिए क्वालीफ़ाई करने में विफल रही है.

32 टीमों को कुल आठ ग्रुप में बांटा गया है. ये लीग कम नॉक आउट आधार पर खेला जाएगा. हर ग्रुप से दो टीमें नॉक आउट चरण के लिए क्वालीफ़ाई करेंगी. यूं तो इस बार किसी भी ग्रुप को ‘ग्रुप ऑफ़ डेथ’ नहीं कहा जा रहा है लेकिन बावजूद इसके ग्रुप ई को सबसे कठिन ग्रुप माना जा रहा है. इसमें पुर्तगाल, जर्मनी, कोस्टारिका और जापान शामिल हैं.

इस बार विश्व रैंकिंग में नंबर एक टीम और पांच बार की चैंपियन ब्राज़ील सबसे फ़ेवरिट टीम मानी जा रही है. पिछली चैंपियन फ्रांस, अर्जेंटीना, पुर्तगाल, बेल्जियम भी इस बार के फ़ेवरिट हैं. इसके अलावा जर्मनी और क्रोशिया की टीम को भी कम नहीं आंका जा रहा है.

1930 में उरुग्वे से शुरू हुए फ़ीफ़ा विश्व कप का ये 22वां संस्करण है. क़तर को 2010 में मेज़बानी सौंपी गई तब से ही उसकी मेज़बानी लगातार विवादों के घेरे में रही है. कहा गया कि क़तर ने मेज़बानी के लिए फ़ीफ़ा ऑफिशल्स को घूस दी थी और क़तर मेजबानी योग्य नहीं था. सामान्यतः विश्व कप जून जुलाई में होते हैं, जबकि उस समय क़तर में भीषण गर्मी पड़ती है. इसी वजह से इसका समय बदल कर नवंबर-दिसंबर कर दिया गया. लेकिन यह कई और बड़ी लीग का समय भी होता है. इसलिए पूरा फ़ुटबॉल सीजन गड़बड़ा गया.

समलैंगिकों पर और शराब पर प्रतिबंध की भी पश्चिमी देशों की मीडिया में ख़ूब आलोचना हुई. लेकिन सबसे बड़ी आलोचना स्टेडियमों और विश्व कप के अन्य निर्माण में लगे अप्रवासी मजदूरों के शोषण के लिए की जा रही है. कथित तौर पर इन निर्माण कार्यों के दौरान छह हज़ार से ज़्यादा मजदूरों की मौत हुई.

फिलहाल विश्व कप कुल आठ स्टेडियम में खेले जाएंगे. सबसे बड़ा स्टेडियम लुसैल स्टेडियम है, जिसकी क्षमता 80 हज़ार दर्शकों की है. दूसरा बड़ा स्टेडियम अल खोर में स्थित अल बहत स्टेडियम है जिसकी क्षमता 60 हज़ार दर्शकों की है. इसके अलावा दोहा का स्टेडियम 974 और अल थमामा स्टेडियम, ख़लीफ़ा इंटरनेशनल स्टेडियम, एजुकेशन सिटी स्टेडियम, अल जैनब स्टेडियम और अहमद बिन अली स्टेडियम हैं. उद्घाटन समारोह और उसके बाद प्रतियोगिता का पहला मैच मेजबान क़तर और इक्वेडोर के बीच अल बहत स्टेडियम में होगा और फ़ाइनल मैच लुसैल स्टेडियम में.

इस बार प्रतियोगिता का शुभंकर है लाईब (la’eeb) इस अरबी शब्द का अर्थ है ‘सुपर कुशल खिलाड़ी’. ऑफ़िशियल बॉल है ‘अल रिहला’ जिसका अर्थ है ‘यात्रा’. इस बार फ़ीफ़ा ने चार आधिकारिक गीत ‘हैया हैया’, ‘हरबो’, ‘लाइट द स्काई’ और ‘तुको ताखा’ जारी किए हैं.

ये विश्व कप प्रतियोगिता इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि फ़ुटबॉल इतिहास के दो सबसे बड़े खिलाड़ी – मैस्सी और रोनाल्डो का ये पांचवा और अंतिम विश्व कप है.

जो भी हो इस विश्व कप में विश्व के सबसे शानदार खिलाड़ियों की दक्षता और प्रतिभा का मुकाबला या फिर फ़ुटबॉल की महारथी टीमों के बीच संघर्ष भर देखने को नहीं मिलेगा बल्कि विश्व के सबसे बड़े फ़ुटबॉल मैनेजरों की रणनीतियों और व्यूह रचना कौशल के संघर्ष की आजमाइश भी होगी. विभिन्न खेल शैलियों की टकराहट और मुकाबले का निदर्शन भी होगा और खेल के पीछे अलग-अलग महाद्वीपों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्यों बीच श्रेष्ठता का द्वंद्व भी.

ये आनंद और रोमांच में डूब जाने का समय है. भले ही आप क़तर में न हों, बस कल से टीवी का स्विच ऑन कर लीजिए और टीवी का रिमोट आपके हाथ में होना चाहिए.


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