फ़ीफ़ा | राउंड अप और ब्राज़ील की जीत की भविष्यवाणी

फ़ुटबॉल विश्व कप किसी भी एकल खेल की सबसे बड़ी और निसंदेह सबसे लोकप्रिय खेल प्रतियोगिता है. कमाल यह है कि 1930 में शुरू हुई इस प्रतियोगिता को शुरुआती दौर में अधिकांश देशों ने और विशेष रूप से यूरोपीय देशों ने ख़ास तवज्जो नहीं दी थी. आज उसी प्रतियोगिता में सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व यूरोप महाद्वीप का ही है.

इस प्रतियोगिता का 22वां संस्करण इन दिनों खाड़ी के देश क़तर में चल रहा है. मध्य-पूर्व में यह प्रतियोगिता पहली बार हो रही है और शनै-शनै अपने चर्मोत्कर्ष की और अग्रसर है. 20 नवंबर से शुरू हुई इस प्रतियोगिता का पहला चरण, जो कि राउंड रोबिन लीग के आधार पर खेला जाता है, अब ख़त्म हो चुका है और प्री-क्वार्टर फ़ाइनल (राउंड ऑफ़ 16) के मुक़ाबले तय हो चुके हैं.

यहां से रोमांच का एक नया दौर शुरू होने वाला है, जिसमें दुनिया-जहान के खेल प्रेमियों को डूब-डूब जाना है. क्योंकि यहां सिर्फ़ एक ही नारा काम करता है, ‘करो या मरो’. यानि या तो जीतो और आगे बढ़ो या हारो और बाहर हो जाओ. यहां से वापसी का कोई रास्ता नहीं है. चूक की कोई गुंजाइश नहीं है.

राउंड रोबिन लीग में कम से कम वापसी की एक गुंजाइश होती है. टीमें कुछ हद तक रिलैक्स रहती हैं. यह राउंड रोबिन की मेहरबानी है कि अर्जेंटीना और मैस्सी अब भी विश्व कप में बने हुए हैं और बहुतों के लिए विश्व कप में दिलचस्पी अब भी बाक़ी है.

बावजूद इसके कि पहले चरण में नॉक आउट चरण जैसा रोमांच नहीं होता, क़तर विश्व कप का पहला चरण भी कम रोमांचक नहीं रहा है. तमाम बड़ी टीमें पहले चरण में ही बाहर हो गईं. कुछ अदना टीमों ने असाधारण खेल सिखाया और आगे बढ़ गईं. खेल के परंपरागत पावर हाउस और मठ ढह गए और नए शिखर बन गए. कुछ चमकते सितारों की चमक फीकी पड़ गई और कुछ नए सितारे फ़ुटबॉल आकाश में जगमगाने लग गए.

यूं तो कोई भी प्रतियोगिता या कोई फ़ुटबॉल विश्व कप कम रोमांचक नहीं रहा है, लेकिन फ़ुटबॉल इतिहास में इस विश्व कप को विशेष रूप से याद रखा जाना है, यह तय है. न केवल इस बात के लिए कि इस बार पहले चरण में सबसे ज़्यादा अपसेट हुए बल्कि इस बात के लिए भी ये अब तक के सबसे विवादास्पद खेल भी रहे. उलटफेर हर बार होते हैं, विवाद भी हर बार होते हैं, मगर इस बार जैसे पहले कब हुए और कहां हुए!

दरअसल इस प्रतियोगिता की बुनियाद ही विवाद पर रखी गई थी. 2010 में क़तर को इस प्रतियोगिता का आवंटन हुआ तो क़तर पर रिश्वत देकर इसे अपने नाम आवंटित कराने के आरोप लगे. तब से लेकर यह प्रतियोगिता और इसका आयोजन लगातार विवादों के घेरे में रहा. स्टेडियम निर्माण और इसकी तैयारियों में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका,बांग्लादेश के अप्रवासी मज़दूरों के साथ अमानवीय व्यवहार के आरोप लगे. पश्चिमी मीडिया में साढ़े छह हज़ार से ज़्यादा मजदूरों की मौत का आरोप लगाया गया. बाद में समलैंगिकों को मान्यता न देने और स्टेडियमों में दर्शकों के बीयर पीने पर रोक लगाने जैसे नियमों के चलते ख़ास तौर पर पश्चिमी देशों में ख़ासी आलोचना हुई.

दरअसल यह विवाद इतना बढ़ गया कि फ़ीफ़ा को भाग लेने वाले देशों से लिखित अपील करनी पड़ी कि ‘विवादों के बजाय फ़ुटबॉल को केंद्र में रहने दें’. ऐसा प्रयास किसी के द्वारा किया गया हो यह तो पता नहीं पर जब एक बार खेल शुरू हुआ तो ख़ुद-ब-ख़ुद फ़ुटबॉल केंद्र में आ गया और सारे विवाद किनारे धरे रह गए. फ़ुटबॉल का जादू सिर चढ़कर बोलने लगा. फ़ुटबॉल का नशा दर्शकों पर चढ़ गया.

खेल के तीसरे दिन सऊदी अरब ने प्रतियोगिता के संभावित विजेता अर्जेंटीना को 2-1 से हराकर अविस्मरणीय जीत हासिल की. उसके बाद उलट-फेर का यह सिलसिला उस समय तक नहीं थमा जब 02 दिसंबर को पहले चरण के अंतिम दिन कैमरून ने ब्राज़ील को 1-0 से हरा नहीं दिया. चौथे दिन जापान ने जर्मनी को 2-1 हराकर प्रतियोगिता का दूसरा धमाका किया. फिर कोस्टारिका ने जापान को 1-0 से, विश्व नंबर दो बेल्जियम को मोरक्को ने 2-0 से, दक्षिण कोरिया ने पुर्तगाल को 2-1 से, ट्यूनीशिया ने फ्रांस को 1-0 से, ऑस्ट्रेलिया ने डेनमार्क को 1-0 से हराकर पहले चरण को रोमांचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस बार पहले चरण में कुल 12 अपसेट हुए, जो किसी दूसरे विश्व कप से ज़्यादा हैं.

इस पहले चरण में पुराने सितारों का जादू भी खूब चला. रोनाल्डो ने जब घाना के विरुद्ध गोल किया तो वे पांच विश्व कप में गोल करने वाले विश्व के पहले खिलाड़ी बने. पोलैंड के लेवोन्दोस्की ने अपना विश्व कप का पहला गोल किया. लेकिन पुरनियों से ज़्यादा नए चमके. स्पेन के 17 साल के गावी, पेले के बाद विश्व कप में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने. नीदरलैंड के गकपो पहले चरण के तीनों मैचों में गोल करने वाले 2002 के बाद पहले यूरोपियन खिलाड़ी बने. कनाडा के अल्फांसो डेविस, घाना के मोहम्मद कुदुस, इंग्लैंड के फिल फोडेन और दक्षिण कोरिया के सोन हूएन मिन ने अपने खेल से सबको चमत्कृत किया.

स्पेन की कोस्टारिका पर 7-0 से और इंग्लैंड की ईरान पर 6-2 से जीत इस चरण की सबसे बड़ी जीत रहीं हालांकि इस बार पहली प्रतियोगिताओं की तुलना में इस चरण में कम गोल हुए. इसे इस बात का संकेत भी माना जाना चाहिए कि यूरोप व दक्षिण अमेरिका और बाक़ी विश्व की टीमों के बीच खेल के स्तर का अंतर कम हो रहा है और ये भी कि खेल अधिक प्रतिस्पर्धात्मक हो रहा है. इस बार इस चरण की एक महत्वपूर्ण बात बहुत अधिक अतिरिक्त समय दिया जाना रहा. कई बार तो ये समय 13 मिनट तक पहुंच गया और इस बात की मांग उठने लगी कि इस अतिरिक्त समय की अधिकतम सीमा 10 मिनट से ज़्यादा न रहे.

इस विश्व कप का पहला चरण अफ्रीका और विशेष रूप से एशियाई फ़ुटबॉल के उठान के रूप में भी देखा जाएगा. मोरक्को ने शानदार खेल दिखाया और अंतिम 16 में पहुंचा. अफ्रीका से नॉक आउट दौर में पहुचने वाली दूसरी टीम है सेनेगल. लेकिन सबसे शानदार खेल एशियाई टीमों ने दिखाया और एशिया आशियाना क्षेत्र की तीन टीमें-दक्षिण कोरिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया पहली बार नॉक आउट चरण में पहुंची. सऊदी अरब ने अर्जेंटीना को हराकर बड़ा उलट-फेर किया. उसने प्रतियोगिता में शानदार खेल दिखाया, हालांकि अगले दौर में नहीं पहुंच पाई. दक्षिण कोरिया एक रोमांचक मैच में घाना से 2-3 से हार गया, पर उरुग्वे से ड्रा खेला और पुर्तगाल पर 2-1 से शानदार जीत हासिल कर अगले दौर में प्रवेश किया. सबसे शानदार खेल जापान का रहा. यह उसका लगातार सातवां विश्व कप था. उसने पहले ही मैच में जर्मनी को 2-1 से हराकर बड़ा उलट-फेर किया. हालांकि जापान कोस्टारिका से 0-1 से हार गया परंतु एक और उलटफेर में स्पेन को 2-1 से हरा दिया और नॉक आउट में जगह बनाई.

पहले चरण के दो मुकाबले फ़ुटबॉल के कारण नहीं बल्कि राजनीतिक कारणों के चलते महत्वपूर्ण बन गए. लेकिन कुछ अलग नहीं हुआ. अमेरिका ने ईरान को 1-0 से हरा दिया और इंग्लैंड ने वेल्स को 3-0 से.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि ईरान की टीम ने महासा अमिनी और हिजाब हटाने के आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया. यह पहला चरण और यह विश्व कप स्टेडियम के अंदर ईरान सरकार के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प के लिए, फिलिस्तीन के समर्थन में उसके झंडे लहराए जाने के साथ ही इजरायल के दर्शकों को क़तर में आने की अनुमति देने के लिए और क़तर के अमेठी द्वारा अपने राजनीतिक विरोधी देश सऊदी अरब के मैच के दौरान सऊदी अरब का झंडे पहनने के लिए भी याद किया जाएगा.

याद रखिए नॉक आउट में तीन एशियाई, दो दक्षिण अमेरिकी, दो अफ्रीकी और अमेरिका के अलावा आठ टीमें यानी आधी यूरोप की हैं. यूरोप का दबदबा अब भी बना हुआ है. बावज़ूद इसके कि जर्मनी, बेल्जियम और डेनमार्क की टीमें पहले ही दौर में बाहर हो गई हैं और इटली जैसी टीम विश्व कप के लिए लगातार दूसरी बार क्वालीफ़ाई करने में विफल रही है.

उम्मीद की जानी चाहिए जिस प्रतियोगिता का आग़ाज़ इतना तूफानी और इतना रोमांचक हो, उसका समापन भी कम रोचक और रोमांचक नहीं होगा. मैस्सी, एमबापे, रोनाल्डो, लेवोन्दोस्की, सोन, नेमार जैसे खिलाड़ी मैदान में हों, वहां भरपूर संघर्ष और रोमांच के अलावा भला और क्या उम्मीद की जा सकती है.

नीलसन की ओर से आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस आधारित एप्लीकेशन के ज़रिये जुटाए गए डेटा के विश्लेषण के अनुसार एक सेमीफ़ाइनल अर्जेंटीना व ब्राज़ील और दूसरा फ्रांस व स्पेन के बीच खेला जा सकता है और फ़ाइनल ब्राज़ील व स्पेन के बीच, जिसमें विजेता ब्राज़ील को होना है. यह एक रोचक भविष्यवाणी है. यह एक ड्रीम लाइनअप माना जा सकता है. एक सेमीफ़ाइनल दक्षिण अमेरिकी कलात्मकता का और दूसरा यूरोपियन पावर का और उसके बाद यूरोप और दक्षिण अमेरिका का फ़ाइनल.

आप तो बस दिल थामकर बैठ जाइए. आगे जो कुछ भी होगा वो रोमांच और जादू का पर्याय ही होगा.


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.