कोको गफ़ बनीं फ्रेंच ओपन की नई चैम्पियन

यह पेरिस के रोला गैरों मैदान का सेंटर कोर्ट फ़िलिप कार्तिए है. उसने इस साल के फ्रेंच ओपन के पहले ही दिन अपने सबसे प्रिय और चहेते खिलाड़ी राफ़ेल नडाल को एक शानदार विदाई दी है. उस के बाद से वो कुछ उदास है. उसने शायद मन ही मन ये सोचा होगा कि किसी से कितना भी प्रेम क्यों न हो जाए, पुरानों को छोड़कर जाना ही होता है. वे चले ही जाते हैं. उनसे क्या मुरव्वत रखनी. शायद इसीलिए उसने उसी दिन यह तय कर लिया होगा कि उसे इस बार एक नई चैंपियन चाहिए. और ईश्वर से मिलकर उसने कुछ ऐसा ही विधान किया कि जीते कोई भी, उसे इस बार एक नई चैंपियन मिले. उसे नई चैंपियन मिली.

उसने ये भी निश्चित किया होगा कि चैंपियनशिप वाला अंतिम मुक़ाबला दिलचस्प हो और संघर्ष भरा भी. दो प्रतिद्वंद्वियों में कमाल का कंट्रास्ट था. उनमें से एक अश्वेत ,एक श्वेत. एक सुदूर पश्चिम से, एक पूरब से. एक अमेरिका के फ्लोरिडा से, एक बेलारूस के मिंक्स से. कोई पांच हजार मील की दूरी. एक 21 वर्षीय अपनी खेल उम्र के उरूज पर, एक 27 साला खेल उम्र की ढलान के प्रारंभिक बिंदु पर. एक की किटी में केवल एक ग्रैंड स्लैम खिताब, एक के पास तीन तीन.

वे दो बालाएं अपने अपने सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में एक बार फिर आमने-सामने खड़ी थीं. इस बार सपनों के शहर पेरिस में. कठिन और ख़ूबसूरत द्वंद्वों के मैदान रोला गैरों में. रोलां गैरों के ऐतिहासिक सेंटर कोर्ट फ़िलिप कार्तिए पर. एक थीं कोको गफ. एक थीं एरीना सबलेंका.

उनके बीच भिन्नता चाहे जितनी हो पर संघर्ष का कारण और उस संघर्ष के लिए ज़रूरी हथियार दोनों के पास समान थे. उनका लक्ष्य एक था-जीत. वे दोनों ही पहली बार फ्रेंच ओपन जीतना चाहती थी. वे दोनों ही सुजाने लेंग्लेन ट्रॉफ़ी को दोनों हाथों से कसकर पकड़ना चाहती थीं.

वे दोनों ही आक्रामक और पावर गेम में महारत रखने वालीं थीं. दोनों के पास शक्तिशाली फोरहैंड ग्राउंडट्रोक थे. दोनों ही हार्डकोर्ट की विशेषज्ञ खिलाड़ी थीं. दोनों ही लाल मिट्टी पर असहज महसूस करती हुई. लेकिन दोनों ही यहां की परिस्थितियों से अनुकूलन करती हुई.

इस कोर्ट की धीमी और अधिक उछाल से मिलने वाले अतिरिक्त समय को दोनों ने ही शक्तिशाली फोरहैंड ग्राउंड स्ट्रोक्स को और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए प्रयोग किया. दोनों ने दिखाया कि वे यहां अब तक सहज हो चुकी हैं. दोनों बिना कोई सेट खोए फ़ाइनल तक जो पहुंची थीं. सबालेंका ने सेमीफ़ाइनल में यहां की तीन बार की चैंपियन और लगातार 26 मैच जीतने वाली इगा स्वियातेक के विजय अभियान को विराम दिया तो कोको ने वाइल्ड कार्ड से प्रवेश पाने वाली लुईस बोइसन के स्वर्णिम सफर पर पूर्ण विराम लगाया.

फ़ाइनल जीतकर उन दोनों के ही पास खेल के बीते समय की एक घटना को दोहराने और एक की पुनरावृति रोकने का अवसर था.

यकीनन गफ 2022 के फ्रेंच ओपन के फ़ाइनल को पलटना चाहती रही होगी जिसमें उन्हें इगा स्वीयातेक ने सीधे सेटों में बेतरह हरा दिया था. बल्कि वे चाहती रही होगी कि वे 2023 के यूएस ओपन के फ़ाइनल को दोहराएं. वहां वे सबालेंका से पहला सेट हारकर दूसरे सेट में एक के मुकाबले चार गेम से पीछे थीं और मुकाबला हारने वाली ही थीं कि उन्होंने वापसी की और मैच जीतकर अपना पहला और एकमात्र ग्रैंडस्लैम जीता था. निःसंदेह सबालेंका की चाहना गफ की कामना से एकदम उलट रही होंगी. और अतीत की इन स्मृतियों ने उनके बीच होने वाले संघर्ष को धार दी होगी.

तो मुक़ाबला बराबरी का होना तय था. हुआ भी. दोनों समान प्रतिभाशाली, आक्रामक पॉवरगेम से लैस. दोनों अब तक हुए दस मुक़ाबलों में से पांच-पांच की बराबरी पर.

दोनों ने सेंटर कोर्ट में विश्वास भरे अंदाज़ में प्रवेश किया. सबालेंका नाइके के डस्टी कैक्टस यानी ग्रे ग्रीन कलर के स्पोर्ट्स आउटफिट में थी जिसमें गहरे लाल और सफेद रंग की डिटेलिंग थी. जबकि कोको गफ ने न्यू बैलेंस की मार्बल-पैटर्न वाली नीले-ग्रे रंग की ड्रेस में प्रवेश किया. उन दोनों के आउटफिट सेंटर कोर्ट की लाल मिट्टी के बैकड्रॉप के कंट्रास्ट में बेहतरीन लग रहीं थीं. वे आउटफिट खेल के रोमांच में ग्लैमर का तड़का लगा रहे थे. दरअसल ये खेल मैदान में बाजार की उपस्थिति थी और उसका महत्व भी. लेकिन इस ग्लैमर को कुछ ही देर में खेल के रोमांच में तब्दील हो जाना था.

सबालेंका ने एक बार फिर शानदार शुरुआत की. उन्होंने दो बार कोको की सर्विस ब्रेक की और 4-1 की बढ़त के ली. लेकिन ये बढ़त ज्यादा देर कायम न रह सकी. सबालेंका ने धैर्य खो दिया जबकि कोको ने बनाए रखा. स्कोर 4-4 हुआ फिर 6- 6. टाईब्रेक किसी तरह 7-5 से सबालेंका ने जीता. कोको ने पहल सेट जरूर गंवाया पर अपना संयम और धैर्य बनाए रखा. यही जीत की चाभी थी. यही जीत का मंत्र था. यही जीत का सूत्र था. सबालेंका ने ये सबक याद नहीं रखा, कोको ने रखा. कठिन समय को धैर्य और संयम की पतवार के सहारे ही पार किया जा सकता है.

सबालेंका बार-बार अधीर हुई जाती थीं और बार बार अनफ़ोर्स्ड एरर यानी बेजा गलती करती जातीं. दूसरे सेट में कोको ने इसका फ़ायदा उठाया और तीन बार सर्विस ब्रेक कर सेट आसानी से 6-2 से जीत लिया. तीसरे सेट में एक बार फिर जोरदार संघर्ष देखने को मिला. दोनों ने एक दूसरे की सर्विस ब्रेक की. लेकिन सबालेंका अपनी बेजा गलतियों पर नियंत्रण अभी भी नहीं रख पा रही थीं. वे तीसर सेट 6-40 से हार गईं. अब वे केवल सेट ही नहीं हार रही थीं, बल्कि मैच और चैंपियनशिप भी हार रही थीं.

प्रतिभा और योग्यता में दोनों समान थीं. बस अंतर ये था कि सबालेंका ने अपना संयम और धैर्य खो दिया, वे अधीर हो हो जातीं और बेजा गलतियां करती जातीं. उन्होंने पूरे मैच के दौरान 70 अनफ़ोर्स्ड एरर कीं. दूसरी और कोको ने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखा. शांत चित्त से खेली और केवल 32 बेजा गलतियां कीं. जीत हार के लिए यही 70 और 32 का आंकड़ा ज़िम्मेदार था. जिस मानसिक दृढ़ता को कभी कोको की कमज़ोरी माना जाता था, उसी मानसिक दृढ़ता के कारण वे जीतीं.

फिलवक्त, पेरिस में फ्रेंच ओपन की एक नई मल्लिका का उदय हो चुका था. ये कोको गफ थीं.

जीत के बाद उन्होंने अपने बैग से कागज का एक टुकड़ा निकाला जो पूरा का पूरा बार-बार लिखे गए एक वाक्य से भरा था, ‘मैं 2025 का फ्रेंच ओपन जीतूंगी’. ये उन्होंने फ़ाइनल से पिछली रात को लिखा था और इसकी प्रेरणा अपने ही देशवासी एथलीट पेरिस ओलंपिक में 200 मीटर के स्वर्ण पदक विजेता थॉमस से मिली थी. इस बात से पता चलता है कि वे अपनी जीत के प्रति कितनी गंभीर थीं.

अगर आप स्मृति पर थोड़ा जोर डालेंगे तो आपको लगेगा कि ये तो 2013 के फ्रेंच ओपन के फ़ाइनल का रेप्लिका है. इस फ़ाइनल में अमेरिका की सेरेना विलियम्स के मुक़ाबिल रूस की मारिया शारापोवा थीं. सेरेना ने शारापोवा को हरा दिया था. 12 साल बाद फिर से वही दोहराया जा रहा था. बस संघर्ष कुछ अधिक सघन हो गया था.

कोको गफ जीतते ही लाल मिट्टी से एकाकार हुईं. फिर उठीं. अगले ही पल फिर घुटनों के बल बैठ गईं. दोनों हाथों से लाल मिट्टी को छुआ. मानो वे उसकी तासीर को महसूस कर रही हों. मानो उसके प्रति अपनी जीत के लिए कृतज्ञता जाहिर कर रही हों. उनकी आँखें छलछला रही थीं.

कुछ देर बाद वे अपनी चिरपरिचित काले रंग की लेदर जैकेट में दो बार की पूर्व चैंपियन जस्टिन हेनन से सुजान लेंग्लेन ट्रॉफ़ी ग्रहण कर रही थीं और उनकी प्रतिद्वंद्वी सबलेंका उनके बारे में कह रही थीं, ‘तुम इसे डिजर्व करती हो,तुम बेहद परिश्रमी हो, एक योद्धा हो.’

वे काली जैकेट में एक चैंपियन की आभा से परिपूर्ण लग रही थीं. एक योद्धा के माफिक जँच रही थीं.

और इस कोलाहल के पार्श्व में कोको जैज़ संगीत की कोई मधुर करुण धुन को महसूस कर रही थीं.

फ्रेंच ओपन के नए चैंपियन को बधाई.

कवर | वीडियो स्कीन ग्रैब


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