सत्तर का दशक रहा होगा. बच्चन के उफ़ान के साथ ही काका का सितारा तक़रीबन डूबने को था. सिनेमाघरों से ज्यादा इसे सड़कों पर महसूस किया जा सकता था. इस दौर की तफ़्सील यह थी [….]