पिक्चर पर्फ़ेक्ट कॉन्टेस्ट | उत्तम रायचौधरी की तस्वीर को पहला इनाम
नई दिल्ली | ‘पिक्चर परफ़ेक्ट’ की ओर से आयोजित अखिल भारतीय फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता के नतीजों की घोषणा हो गई है. प्रतियोगिता में वाराणसी के फ़ोटोजर्नलिस्ट उत्तम राय चौधरी की तस्वीर को पहला इनाम मिला है. वह दैनिक जागरण के लिए काम करते हैं.
बंगलुरू के फ़ोटोग्राफ़र एच.सतीश की तस्वीर को दूसरा और मुंबई के सतीश वखार्कर की तस्वीर को तीसरा स्थान मिला. देवास के कैलाश सोनी और जालंधर के हरीश कुमार की तस्वीरें चौथे और पाँचवें स्थान पर रहीं.
‘पिक्चर परफ़ेक्ट’ के प्रमुख जगदीश यादव के मुताबिक, देश भर से मिली प्रविष्टियों को दस फ़ोटोग्राफ़र्स के निर्णायक मंडल को भेजा गया. तस्वीरों की तकनीकी गुणवत्ता और कन्टेंट के आधार पर उन्हें मिले अंकों के हवाले से विजेताओं का चयन किया गया. 11 तस्वीरों को ‘ऑनरेरी मेंशन’ के लिए चुना गया है.
श्री यादव ने कहा कि प्रतियोगिता में मिली तस्वीरों में चुनींदा 50 तस्वीरों की एक प्रदर्शनी मई में मुंबई के नेशनल सेंटर फ़ॉर द पर्फ़ामिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में लगाई जाएगी.
निर्णायक मंडल
मुकेश परपियानी, संदीप शंकर, अनिल रिसाल सिंह, प्रभात सिंह, प्रभाष राय, राजेश गोयल, क्रेज़ी ब्याय (राजेश कुमार), राजू पंवार, एस.के.यादव और श्रीराम चौहान.
पहले स्थान पर रही तस्वीर पर संस्कृतिकर्मी और कवि व्योमेश शुक्ल की प्रतिक्रियाः
तस्वीर की अंतर्वस्तु बीहड़ है. हमारे-आपके जैसा एक मनुष्य मैल के जानलेवा कुऍं में – सीवर के अनंत में – उतरा हुआ है. इस कोशिश में कई बार जान चली जाती है और हम लोग देखते रह जाते हैं. यह मुश्किल कभी ख़त्म न होगी. जब तक शहर होंगे, तब तक सीवेज-सिस्टम होगा और समय-समय पर उसमें बिगाड़ आया ही करेगा. आदमी का बच्चा जान हथेली पर रखकर उस बिगाड़ को ठीक करने जाएगा ही. मौक़े पर उस वीर की जान बचाने के साधन जुटाने और सफ़ाई से जुड़े सरल मानवीय नियम बनाने का काम सरकारों और समाजों का है, लेकिन यह उत्सर्ग अमिट है. अमिट रहेगा. अगर इतिहास इसे दर्ज नहीं करेगा तो एक ईमानदार और संवेदनशील तस्वीर यह काम करेगी.
अपनी राय हमें इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.
अपना मुल्क
-
हालात की कोख से जन्मी समझ से ही मज़बूत होगा अवामः कैफ़ी आज़मी
-
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
-
सहारनपुर शराब कांडः कुछ गिनतियां, कुछ चेहरे
-
अलीगढ़ः जाने किसकी लगी नज़र
-
वास्तु जौनपुरी के बहाने शर्की इमारतों की याद
-
हुक़्क़ाः शाही ईजाद मगर मिज़ाज फ़क़ीराना
-
बारह बरस बाद बेगुनाह मगर जो खोया उसकी भरपाई कहां
-
जो ‘उठो लाल अब आंखें खोलो’... तक पढ़े हैं, जो क़यामत का भी संपूर्णता में स्वागत करते हैं