ट्रेन हादसा | सोलह मजदूर अब कभी घर नहीं पहुंचेंगे

  • 2:45 pm
  • 8 May 2020


वे अब कभी अपने घर नहीं पहुंच सकेंगे. कल रात तक पटरी पकड़कर चलते हुए, सुस्ताते हुए, साथ बैठकर खाते हुए, थकान से पस्त काया को आराम देने के इरादे से थोड़ी नींद लेने से पहले तक उनके दिमाग़ में घर वालों के चेहरे रहे होंगे, जो पीछे छोड़कर चले आ रहे थे उसकी छाया में अपनी और परिवार के कल की फ़िक्र भी रही होगी. मां-पिता, बीवी-बच्चे, भाई-बहन, मोह में खींचने वाले कितने ही रिश्ते रहे होंगे तभी तो परदेस में मौत के ख़ौफ़ से घबराकर ज़िंदगी की सलामती के लिए निकले रहे होंगे.

वे कुल सोलह लोग थे, जिनके बारे में अभी तक इतना ही मालूम हुआ है कि कटनी, शहडोल और उमरिया ज़िले के गांवों के रहने वाले थे और मध्य प्रदेश जाने वाली स्पेशल ट्रेन पड़ने के लिए वे औरंगाबाद जा रहे थे. जालना से भुसावल की तरफ़ जाने वाली पटरी से साथ वे बीस लोग चलते रहे थे. क़रीब 45 किलोमीटर के सफ़र के बाद आराम के ठहरे तो नींद आने पर ट्रैक पर ही सो गए. शुक्रवार को तड़के उधर से गुज़री मालगाड़ी की चपेट में आकर चौदह लोग तो मौक़े पर ही मारे गए और दो लोगों ने बाद में दम तोड़ दिया.
रेल मंत्रालय का ट्वीट है – मालगाड़ी के लोको-पायलट ने ट्रैक पर कुछ मजदूरों को देखने के बाद ट्रेन रोकने की बहुत कोशिश की मगर उन्हें बचाया नहीं जा सका. रेलवे ने जांच के आदेश दे दिए हैं. प्रधानमंत्री ने इस हादसे पर अफ़सोस जताते हुए ट्वीट किया है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार एक ख़ास विमान और टीम औरंगाबाद भेज रही है. मृत श्रमिकों के घर वालों को पांच-पांच लाख रुपये की मदद दी जाएगी.


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