एक मुक़म्मल हिन्दुस्तानी की तलाश
ज़रूरत है – राष्ट्रीय एकता परिषद् के लिए- एक भारतीय की, जो 50 करोड़ की आबादी वाले मुल्क़ का आदर्श बन सके..
उम्र – वैकल्पिक, पांच से पिच्चानबे साल..
लिंग – मर्द या औरत, लड़का या लड़की..
धर्म – हिन्दू या मुसलमान या ईसाई या पारसी या सिख या बौद्ध या नव-बौद्ध या जैन, या फिर अनीश्वरवादी या नास्तिक…
भाषा – तमिल या हिन्दी या तेलुगु या उर्दू या मराठी या सिंधी या गुजराती या असमिया, कन्नड़ या मलयालम या पंजाबी या पूरबी या भोजपुरी या उड़िया भाषी, वह ये सभी भाषाएं बोल सकता हो या इनमें से कोई भी नहीं- वह गूंगा और बहरा हो सकता है…
पेशा – कुछ भी – किसान या कामगार या इंजीनियर या डॉक्टर या प्रोफ़ेसर या शिक्षक या क्लर्क या अफ़सर या अफ़सर का चपरासी या होटल का बेयरा या फ़िल्मस्टार या पत्रकार या लेखक या कलाकार या फिर कवि.
त्वचा का रंग – काला, भूरा, पीला या सफ़ेद हो सकता है.
बालों का रंग – काला, भूरा, सफ़ेद, लाल, सुनहरा, श्यामला – वह अपने बाल रंगता हो/ रंगती हो या फिर नकली बालों की विग लगाता हो/ लगाती हो.
आंखों का रंग – काला, भूरा, सुनहरा, नीला, नील-हरित या फिर वह कॉन्टैक्ट लेंस लगाता हो/ लगाती हो…
शैक्षिक योग्यता – वह पीएचडी हो, एम.ए., बी.ए., बी.एस.सी., मैट्रिक पास या मैट्रिक फेल या फिर अपढ़ और अशिक्षित…
आर्थिक स्थिति – वह अमीर हो सकता है या ग़रीब या मध्यवर्ती मध्यम वर्ग का…
लेकिन
उसका मन भारतीयता की चेतना और भारतीयता की भावना से ओतप्रोत हो;
वह सभी भारतीयों में ख़ुद को देख पाने में समर्थ हो, सभी को प्यार कर सके;
वह धर्म के आधार पर लोगों में भेद न करता हो, उसके लिए सभी हिन्दुस्तानी एक हों;
वह जाति-प्रथा की पुरानी धारणाओं और रूढ़ियों में यक़ीन न करता हो;
उसे अपनी भाषा से प्यार हो; साथ ही दूसरी सभी भारतीय भाषाओं को अपना मानते हुए उनसे भी प्यार करता हो. उसे इन सभी भारतीय भाषाओं के साहित्य से लगाव हो, उनका सम्मान करता हो;
उसे केवल अपने धर्म (और धार्मिक नेताओं) में ही श्रद्धा न हो, बल्कि दूसरे सभी धर्मों (और उनके धार्मिक नेताओं) को उतने ही आदर की निगाह से देखता हो; अनीश्वरवादियों, संशयवादियों और नास्तिकों के प्रति भी सहिष्णुता का भाव रखता हो;
वह विवेक बुद्धि और तर्कवाद में भरोसा करता हो;
उसे लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था हो;
वह कश्मीरी भले ही हो मगर केरल की आज़ादी के लिए लड़ मरने की इच्छा रखता हो;
वह मराठा हो सकता है मगर उसे मैसूर के लोगों से भी प्रेम हो;
वह मैसूर का हो पर उसे महाराष्ट्र के लोगों से प्यार हो;
वह असमिया हो, मगर उसे बंगालियों से मोहब्बत हो; वह बंगाली हो मगर असमिया और बिहारियों से सहानुभूति रखता हो;
वह तमिल भाषी हो मगर हिन्दी से भी प्यार करता हो;
वह हिन्दी भाषी हो मगर तमिल साहित्य का सम्मान करता हो.
मनुष्य से प्रेम करने वाला वह ऐसा हिन्दुस्तानी हो, जो दूसरे सभी प्राणियों, दूसरी सभी चीज़ों से ऊपर मनुष्य को अहमियत देता है, उससे प्रेम करता है, इंसान और इंसानी ज़िंदगी की क़द्र करना जानता है –
गाय या बकरी या ऊंट से ज्यादा जिसे इंसान प्यारा है, ताज़िया या अलम से, खजूर या पीपल के पेड़ से भी ज्यादा प्यारा,
मस्जिद या मंदिर या गुरुद्वारे की दीवारों में लगी ईंटों और पत्थरों से भी ज्यादा प्यारा,
किसी इलाक़े, किसी शहर या किसी नदी से भी ज्यादा,
जो सभी मनुष्यों से प्रेम करता हो, सबका आदर करता हो और जिसके मन में हमवतन हिन्दुस्तानियों के लिए सबसे ज्यादा मुहब्बत हो.
जो न केवल उनकी ख़ूबियों बल्कि ख़ामियों के बावजूद उन्हें प्यार करे, उनकी ताक़त के साथ ही कमज़ोरियों को भी स्वीकार करे,
जो बुद्ध और शंकराचार्य, अशोक और अकबर, गुरू नानक और भक्त कबीर और बु अली शाह क़लन्दर और संत जेवियर्स के प्रति समादर का भाव रखता हो, क्योंकि इन सभी ने विविधता में एकता की विशिष्ट भारतीय संस्कृति में अद्वितीय योगदान किया है.
जो महात्मा गांधी और बालगंगाधर तिलक, गोखले औऱ दादाभाई नौरोजी और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह का आदर करता हो, क्योंकि इन सभी ने भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष किया है और बलिदान दिया है.
जो तमिल के सुब्रमण्यम भारती, हिन्दी के निराला और सुमित्रानंदन, उर्दू के ग़ालिब और इक़बाल और जिगर और फिराक़ और प्रेमचंद, गुजराती के मेघाणी, मलयालम् के शंकर कुरुप और तकष़ी, तेलुगु के श्री, मराठी के अत्रे और खादीदार, बंगाली के बंकिम और टैगोर और शरत और नज़रुल इस्लाम, पंजाबी के वारिस शाह और मोहन सिंह और अमृता प्रीतम के प्रति आदर और प्रेम का भाव रखता हो, क्योंकि उनका साहित्य, उनका कवित्त सारे हिन्दुस्तानियों की बहुमूल्य विरासत है. मुक़म्मल हिन्दुस्तानी वह है – जो हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान की हर शै में सभी हिन्दुस्तानियों को साझीदार मानता हो.
- 29 जून 1968
अपनी राय हमें इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.
अपना मुल्क
-
हालात की कोख से जन्मी समझ से ही मज़बूत होगा अवामः कैफ़ी आज़मी
-
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
-
सहारनपुर शराब कांडः कुछ गिनतियां, कुछ चेहरे
-
अलीगढ़ः जाने किसकी लगी नज़र
-
वास्तु जौनपुरी के बहाने शर्की इमारतों की याद
-
हुक़्क़ाः शाही ईजाद मगर मिज़ाज फ़क़ीराना
-
बारह बरस बाद बेगुनाह मगर जो खोया उसकी भरपाई कहां
-
जो ‘उठो लाल अब आंखें खोलो’... तक पढ़े हैं, जो क़यामत का भी संपूर्णता में स्वागत करते हैं