गिद्धों की दुनिया

  • 10:57 am
  • 2 September 2023

पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण किरदार गिद्धों के संरक्षण की ज़रूरत दुनिया भर में महसूस की जा रही है. लोगों को इस बारे में समझने और सचेत होने के उद्देश्य से सितंबर के पहले शनिवार को ‘अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है.

गिद्ध एक विशाल मांसाहारी पक्षी है, जो अपनी मुर्दाखोर और गंदगी खाने की प्रकृति के लिए जाना जाता है. पारिस्थितिक तंत्र को बनाये रखने में इस पक्षी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि गंदगी खाकर यह कई प्रकार की बीमारियों के प्रसार को रोकता है.

गिद्धों के बारे में कुछ रोचक तथ्य,

■ गिद्ध की प्रजातियों दो समूहों में विभाजित हैं : नई दुनिया के गिद्ध और पुरानी दुनिया के गिद्ध. नई दुनिया के गिद्ध अमेरिका और कैरिबियन देशों में पाए जाते हैं, जबकि पुरानी दुनिया के गिद्ध यूरोप, एशिया और अफ्रीका में पाए जाते हैं.

■ दुनिया भर में गिद्ध की 23 प्रजातियाँ हैं.

■ ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर कम से कम एक प्रजाति का गिद्ध अवश्य पाया जाता है.

■ गिद्ध का जीवनकाल प्रजाति के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है. ब्लैक वल्चर का जीवनकाल क़रीब 10 वर्ष होता है, जबकि किंग वल्चर का जीवनकाल लगभग 30 वर्ष होता है.

■ गिद्ध सबसे ऊँची उड़ान भरने वाला पक्षी है. इसकी प्रजाति Rueppell’s Griffon Vulture ने 1973 में आइवरी कोस्ट में सबसे ऊँची उड़ान 37000 फ़ीट की भरी थी. यह ऊँचाई माउंट एवरेस्ट (29029 फ़ीट) से भी बहुत अधिक है. इतनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण अन्य पक्षी प्रायः मर जाते हैं.

■ कई रैप्टर्स के विपरीत गिद्ध अपेक्षाकृत सामाजिक होते हैं. वे अक्सर बड़े झुंडों में रहते हैं, साथ उड़ते हैं और खाते हैं. गिद्धों के समूह को ‘कमेटी’, ‘वेन्यू’ या ‘वोल्ट’ कहा जाता है. उड़ान भरते हुए गिद्धों के समूह को ‘केटल’ कहा जाता है. जब गिद्धों का समूह मरे हुए जानवर को एक साथ खा रहा हो, तो उस समूह को ‘वेक’ कहा जाता है।

■ गिद्ध मांसाहारी होते हैं. वे ऐसे मृत पशुओं और सड़ा हुआ मांस खा सकते हैं, जो अन्य जानवरों के लिए विषाक्त हो सकता है.

■ ऐसा नहीं है कि गिद्ध सिर्फ़ सड़ा हुआ मांस ही खाते हैं. पाम नट वल्चर अखरोट, अंजीर, मछली और पक्षियों को भी खाते हैं. ये कीड़े और ताज़ा मांस भी पसंद करते हैं.

■ अफ़्रीकी गिद्ध प्रजाति लैप्पेट फेस्ड वल्चर मुर्गी के जीवित चूज़ों को खाना बहुत पसंद करते है.

■ भोजन करते समय गिद्ध अपनी सामाजिक व्यवस्था बनाए रखते हैं. आकार में बड़े और मजबूत चोंच वाले गिद्ध पहले भोजन करते हैं. छोटे गिद्ध बड़े और प्रमुख प्रजातियों के गिद्ध द्वारा छोड़े गए भोजन के अवशेष खाते हैं.

■ गिद्ध की दृष्टि और गंध क्षमता तेज होती है. इस कारण वे एक मील या इससे भी अधिक दूरी से मृत जानवर खोज सकते हैं.

■ पुरानी दुनिया के गिद्धों की सूंघने की शक्ति बहुत अच्छी नहीं होती. इसलिए शिकार खोजने के लिए वे अपनी तीव्र दृष्टि पर अधिक निर्भर होते है. इसके विपरीत नई दुनिया के गिद्धों की सूंघने की शक्ति तेज होती है.

■ गिद्ध एक बार में अपने शरीर के वजन का 20% भोजन खा सकते हैं.

■ गिद्धों के सिर और गर्दन पर पंख नहीं होते. इस कारण जब वे मृत और सड़े हुए जानवरों को खाते हैं, तो बैक्टीरिया और अन्य परजीवी उनके पंखों में घुसकर संक्रमण का कारण नहीं बन पाते. इसलिए भी ऐसी सामग्री खाकर भी ये स्वस्थ रह पाते हैं, जिन्हें खाकर अन्य जानवर संक्रमित हो जाएँ.

■ गिद्धों को अक्सर दूसरे मांस खाने वाले जानवरों के साथ शिकार को खाते हुए देखा जाता है. इसका कारण गिद्ध के नाखून कुंद और पैर कमज़ोर होते हैं. यदि मृत जानवर का शरीर चीर कर खोलने के हिसाब से बहुत कठोर हो, तो दूसरे शिकारी जानवरों द्वारा उसको चीरे जाने का इंतजार करते है और फिर उसे खाते हैं.

■ गिद्ध के पेट का अम्ल दूसरे जानवरों या पक्षियो के पेट में पाए जाने वाले अम्ल से काफ़ी तीव्र और प्रबल होता है. इस कारण गिद्ध खतरनाक बैक्टीरिया से संक्रमित सड़े हुए जानवरों को खा पाता है. ये अम्ल उन बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं और इस तरह गिद्ध उनके दुष्प्रभाव से बेअसर रहता है।

■ गिद्ध के पेट में पाया जाने वाला अम्ल हैज़े और एंथ्राक्स जैसी बीमारियों के जीवाणुओं को भी नष्ट कर सकता है.

■ Bearded Vulture दुनिया का एकमात्र ऐसा जीव है, जो अपने भोजन में 70 से 90% तक हड्डियों को खा लेता और आराम से पचा जाता है.

■ 100 African white-backed vultures का समूह 3 मिनट में मृतजीव के 50 किलो मांस को चीर सकता है.

■ यह एक मिथक है कि गिद्ध स्वस्थ पशुओं का शिकार करते हैं. गिद्ध अधिकांशतः मृत जानवरों को खाते हैं. जब भोजन दुर्लभ हो और आस-पास कोई मरा हुआ जानवर उपलब्ध न हो, तो सामान्यतः वे बीमार, घायल या दुर्बल जीव का शिकार करते हैं.

■ गर्म दिनों में अपने पैरों को ठंडा करने के लिए गिद्ध उस पर पेशाब करते हैं. इस प्रक्रिया को यूरोहाईड्रोसिस कहा जाता है. उनकी ये आदत उन्हें बीमारियों से बचाने में भी सहायक होती है. मृत जानवरों के सड़े हुए मांस पर चलने और बैठने से जो बैक्टीरिया या परजीवियों इनके पैरों पर जा जाते हैं, वे इनके मूत्र में पाए जाने वाले अम्ल से नष्ट हो जाते हैं.

■ पुरानी दुनिया के गिद्धों के पैर अपेक्षाकृत मजबूत होते हैं, लेकिन नई दुनिया के गिद्धों के पैर कमजोर होते हैं.

■ दुनिया का सबसे बड़ा और भारी गिद्ध दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला एंडियन कंडक्टर है. इसके पंखों का विस्तार 10-11 फीट तक होता है.

■ दुनिया का सबसे छोटा गिद्ध ‘Hooded vulture’ है. उप-सहारा अफ्रीका में पाया जाने वाला ये गिद्ध कौवे के आकार का होता है. इसके पंखों का विस्तार मात्र 5 फीट तक होता है.

■ राजा गिद्ध (King Vulture) सबसे रंग-बिरंगे गिद्ध होते हैं. उनके सिर और गर्दन का रंग लाल, पीला और नीला होता है. आँखें लाल रंग के छल्लों के बीच सफ़ेद रंग की होती हैं. शरीर ऊपर से बादामी और नीचे से सफेद होता है। गर्दन का किनारा स्लेटी रंग का होता है। उनके पंखों का फैलाव लगभग 2 मीटर होता है और शरीर लगभग 31 इंच लंबा होता है. राजा गिद्ध दक्षिणी मैक्सिको से अर्जेंटीना तक पाए जाते हैं.

■ Ruppell’s griffon vulture सूर्योदय के लगभग दो घंटे बाद उड़ना शुरू करते हैं और पूरा दिन ऊँचाई पर उड़ान भरते हुए बिताते हैं.

■ जब गिद्ध को डराया जाए, तो गिद्ध अपने शरीर के वजन को हल्का करने के लिए उल्टी करते हैं, ताकि वे आराम से ऊँची उड़ान भर सकें. उल्टी शिकारियों को रोकने के लिए एक रक्षा तंत्र के रूप में भी कार्य करती है.

■ अधिकांश गिद्ध खुले स्थानों में निवास करते हैं. अक्सर वे चट्टानों पर, ऊँचे पेड़ों या जमीन पर समूहों में घूमते हैं. पुरानी दुनिया के गिद्ध कभी-कभी पेड़ों या फिर चट्टानों पर लकड़ी का मचान जैसा समतल घोंसला बनाते हैं. कुछ गिद्ध घोंसला नहीं बनाते.

■ गिद्ध आकाश में आस-पास उड़ते हुए एक-दूसरे को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं. नर गिद्ध मादा को आकर्षित करने के लिए अपना उड़ान कौशल दिखाते समय उसके पंखों के किनारों को छूता है.

■ सामान्यतः गिद्ध आजीवन एक ही साथी के साथ रहते हैं.

■ पुरानी दुनिया के अधिकांश बड़े गिद्ध एक बार में केवल एक ही अंडा देते हैं. नई दुनिया के छोटे गिद्ध एक बार में दो अंडे देते हैं और एक महीने से अधिक समय तक उन्हें सेते हैं. जबकि नई दुनिया के बड़े आकार के गिद्ध एक बार में एक अंडा देते हैं और उसे लगभग दो महीने तक सेते हैं.

■ अन्य शिकारी पक्षियों की तुलना में गिद्ध धीरे-धीरे परिपक्व होते हैं.

■ गिद्ध एक बच्चे जन्म के बाद 2 से 3 महीने तक घोंसले में रहते हैं और भोजन के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर रहते हैं.

■ 3 से 6 महीने की उम्र में गिद्ध के बच्चे उड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाते हैं. उस समय उनका आकार पूर्ण परिपक्व गिद्ध के समान विकसित हो चुका होता है और उनके पूरे पंख भी आ चुके होते हैं.

■ कुछ गिद्ध लगभग ख़ामोश रहते हैं. उनमें सिरिंक्स नहीं होता. उनकी आवाज़ घुरघुराने, सिसकने, चोंच किटकिटाने तक ही सीमित हैं, जिन्हें जटिल सिरिंक्स की आवश्यकता नहीं पड़ती.

■ अधिकांश गिद्धों के गले में एक बड़ी थैली होती है,जहाँ वे भोजन संचित करके रखते हैं.

■ उष्ण वायु गिद्ध को अधिक ऊँचाई में उड़ान भरने और बिना पंख फड़फड़ाये लंबे समय तक उड़ने में सहायक होती हैं.

■ Tibetan sky burial एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें शरीर को काटकर गिद्धों को खिलाया जाता है.

■ 1990 के दशक के बाद 97 से 99% गिद्धों विलुप्त हुए हैं. इसका प्रमुख कारण पशु दवा डाइक्लोफ़िनक है, जो पशुओं के जोड़ों के दर्द की दवा है. जब कुछ देर पहले इस दवा का सेवन किया हुआ पशु मर जाता है और उसे गिद्ध खा लेता है, तो उसके गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं और वह मर जाता है. इस दवा के दुष्प्रभाव को देखते हुए पशुओं के जोड़ों के दर्द की नई दवा मेलोक्सिकाम ईजाद कर ली गई है.

■ विषाक्तता से साथ ही गिद्धों को पवन टरबाइन, बिजली के तार, निवास स्थान के विनाश, खाद्य हानि और अवैध शिकार का भी खतरा है, जो उनकी विलुप्ति का कारण बन रहे हैं.

■ गिद्ध की प्रजातियों में से लगभग 16 संकटग्रस्त है. अफ्रीका और भारत में गिद्ध विलुप्ति के कगार पर हैं.

■ भारत में पाई जाने वाली गिद्ध की प्रमुख प्रजातियाँ हैं : भारतीय गिद्ध (Gyps Indicus), लंबी चोंच का गिद्ध (Gyps Tenuirostris), लाल सिर वाला गिद्ध (Sarcogyps Calvus), बंगाल का गिद्ध (Gyps Bengalensis) और सफ़ेद गिद्ध (Neophron Percnopterus Ginginianus).

■ वर्तमान में भारत में गिद्धों की संख्या 1980 के 40 मिलियन से घटकर 100000 रह गई है.

तस्वीरें | pixabay.com


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