चिट्ठियाँ भले बिसरीं, पर डाक सेवा क़ाएम है

  • 11:15 pm
  • 9 October 2023

हर साल 9 अक्टूबर को दुनिया भर में डाक दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य परंपरागत डाक सेवा का महत्व रेखांकित करना है. विश्व डाक दिवस के लिए हर साल एक नई थीम होती है, इस बार यह थीम ‘टुगेदर फ़ॉर ट्रस्ट: कोलेबरेटिंग फ़ॉर अ सेफ़ एण्ड कनेक्टेड फ़्यूचर’ है. दुनिया भर की क़रीब 82 फ़ीसदी आबादी को घर बैठे चिट्ठी, संदेश, पार्सल डाक के ज़रिए पहुंचते हैं.
आइए, डाक सेवा के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जानें,

■ भारत में सबसे पहले शेरशाह सूरी ने बंगाल और सिंध के बीच घोड़ों के ज़रिए डाक सेवा की शुरुआत की थी.
■ सन् 1766 में रॉबर्ट क्लाइव ने एक नियमित डाक प्रणाली की स्थापना की.
■ 1852 में सर बार्टले फ़्रेरे ने सिंधी जिले में पहली बार डाक टिकटों का इस्तेमाल किया था. फ़्रेरे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रशासक थे.
■ एशिया का पहला चिपकने वाला डाक टिकट जिसे ‘सिंडी डॉक’ कहा जाता है, 1 जुलाई 1852 को सिंध प्रांत में लॉन्च किया गया था.
■ भारत में केंद्र सरकार द्वारा संचालित इंडिया पोस्ट की स्थापना 1854 में उस समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने की थी.
■ पहला डाक टिकट, जो पूरे भारत में कहीं भी डाक के लिए मान्य था, उस पर क्वीन विक्टोरिया की तस्वीर छपी थी. यह टिकट अक्टूबर 1854 में जारी किया गया. ये 1/2 आना, 1 आना, 2 आना और 4 आना मूल्य के थे.
■ आज़ाद भारत में मीरा बाई के बाद डाक टिकट पर प्रदर्शित होने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. यह डाक टिकट 1 अक्टूबर 1952 को जारी किया गया था. इस डाक टिकट पर हिंदी में “मीरा” छपा था.
■ 1950 में गणतंत्र की स्थापना के उपलक्ष्य में जारी चार टिकटों में एक पर चरखा तथा दूसरे पर गांधी का प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ अंकित था.
■ दुनिया की पहली आधिकारिक एयरमेल उड़ान 18 फरवरी 1911 को भारत में हुई, जिसने इलाहाबाद से नैनी तक 18 किलोमीटर की दूरी तय की.
■ डाक सेवा में वास्तुशिल्प के उत्कृष्ट नमूने वाली 38 विरासत इमारतें हैं, जिनमें कोलकाता और मुंबई में मुख्य डाकघर की इमारतें भी शामिल हैं.
■ डाकघर की सभी बचत योजनाओं के तहत खाताधारकों की अनुमानित संख्या 33.03 करोड़ से अधिक है.
■ बदलते दौर के साथ डाक व्यवस्था को नई तकनीक से जोड़ा गया है. डाक विभाग ने सामान की सुरक्षित और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए मेल वैन में जीपीएस डिवाइस लगाई गई हैं.
■ भारत सरकार ने पूरे भारत में 1.5 लाख डाकघरों को डिज़िटल करने का फ़ैसला लिया है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के 1.3 लाख डाकघर भी शामिल हैं.
■ डाक टिकटों के संग्रह में रुचि रखने वाले लोग इंडिया पोस्ट के स्मृति डाक टिकट अब विभिन्न ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे शॉपक्लूज़ और स्नैपडील आदि पर भी खरीद सकते हैं.
■ भारतीय डाकघरों में सभी बचत प्रमाणपत्रों और योजनाओं के तहत जमा रक़म 6,19,317.44 करोड़ रुपये से ज़्यादा है.
■ आजाद भारत का पहला डाक टिकट 21 नवंबर, 1947 को जारी किया गया था. इस डाक टिकट पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज छपा था.
■ गांधीजी पहले व्यक्ति थे, जिनकी तस्वीर आज़ाद भारत के पहले डाक टिकट पर छपी थी.
■ 1984 में सबसे रंगीन टिकटों की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में कोचीन टिकटों को दूसरे स्थान पर रखा गया था.
■ पिन (पोस्टल इंडेक्स नंबर) कोड, जिसके बिना भारत में कोई भी डाक पता अधूरा है, 15 अगस्त 1972 को पेश किया गया था.
■ भारत के डाक नेटवर्क को 23 डाक सर्किल में बांटा गया है, हर सर्किल के शीर्ष पर एक मुख्य पोस्टमास्टर जनरल होता है. एक महानिदेशक की अध्यक्षता में एक बेस सर्कल भी मौजूद है, जो भारत के सशस्त्र बलों को डाक सेवाएं प्रदान करता है.
■ भारतीय सेना के डाकघरों के लिए सभी पोस्टल इंडेक्स नंबर की शुरुआत 9 से होती है.
■ ईएमएस स्पीड पोस्ट सेवाएं, बड़े पैमाने पर लोग जिसका इस्तेमाल त्वरित डिलीवरी के लिए करते हैं, सन् 1986 में शुरू हुई.
■ हिमाचल प्रदेश में हिक्किम, समुद्र तल से 15,500 फीट की ऊंचाई पर, दुनिया का सबसे ऊंचा डाकघर है.
■ श्रीनगर में डल झील के पानी के ऊपर, भारत का एकमात्र तैरता हुआ डाकघर स्थित है. इसे “फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस” कहा जाता है. वास्तव में यह एक हाउसबोट है, जो डाकघर और डाक टिकट संग्रहालय दोनों के रूप में कार्य करता है.
■ एक समय में पोस्ट ऑफ़िस 100 मील दूर चिट्ठी पहुंचाने पर दो आना शुल्क वसूल करते थे.
■ दुनिया का पहला डाक टिकट 1840 में 6 मई को ही जारी किया गया था. यह ब्लैक पेनी के नाम से मशहूर है.
■ आज़ादी के वक्त देश में कुल 23,344 डाकघर थे, इनमें 19,184 ग्रामीण इलाकों और 4,160 शहरी क्षेत्रें में विद्यमान थे.
■ 1,55,618 डाकघरों और 5,66,000 से अधिक कर्मचारियों के साथ भारत में दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है.
■ यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) के सबसे शुरुआती और सबसे सक्रिय सदस्यों में से भारत एक है. यूपीयू संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है.


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.