बांदा | असलम ने बनाया बिना बिजली वाला भंडारघर
बांदा | भंडारण की मुश्किल से जूझने वाले छोटे किसानों के लिए असलम ख़ाँ का बनाया हुआ भंडारगृह का मॉडल वरदान साबित हो सकता है. इसकी ख़ासियत यह है कि इसके लिए न तो बिजली की ज़रूरत होगी और न ही किसी तरह के संयंत्र के. यह भंडारगृह उन्होंने अपने कृषि फार्म में ही बनाया है.
छनेहरा लालपुर गांव के रहने वाले असलम के भंडारघर का डिज़ाइन कुछ ऐसा है कि इसमें प्राकृतिक तौर पर हवा की आवाजाही बनी रहती है. बक़ौल असलम, सीज़न में प्याज़ तैयार होने पर मंडी में भाव कम था – कुल आठ या नौ सौ रुपये कुंटल. तो उन्होंने प्याज़ उसी समय बेचने के बजाय यहाँ भंडारित कर लिया. बाद में उसी प्याज़ के तीन हज़ार से पैंतीस रुपये कुंटल का भाव मिला.
असलम और उनकी पत्नी आसमां ख़ातून दोनों जैविक खेती के साथ ही खेती-बाड़ी को बेहतर बनाने के तरीक़े खोजने के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं. असलम बताते हैं कि भंडार के लिए उन्होंने जो हिक़मत की उसमें 5 से 6 महीने तक प्याज रखने पर वजन में 10 से 15 प्रतिशत तक कमी आती है मगर प्याज सुरक्षित रहता है.
यूपी में हर साल क़रीब 24 हज़ार हेक्टेयर में प्याज़ की पैदावार होती है. किसानों के सामने इसके भंडारण की समस्या रहती है. वे अपने घरों या खेतों में ही भंडारगृह बना लेते हैं, लेकिन तापमान और हवा के बारे में ज़रूरी जानकारी नहीं होने से इसे सुरक्षित नहीं रख पाते और नुकसान उठाते हैं.
कवर | असलम और उनका भंडारघर
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