पोस्टकार्ड | मध्य प्रदेश के फ़ोटोजेनिक शौचालय
खंडवा | चिचली खुर्द गांव में बने इस सामुदायिक स्वच्छता परिसर को पूरे सूबे के गांवों में बने सार्वजनिक शौचालयों का प्रतिनिधि भी मान सकते हैं. स्वच्छता अभियान के तहत कमोबेश सारे गाँवों में बन गए ऐसे परिसर स्वच्छता का ऐसा शो-केस हैं, जिन्हें देखकर ही ख़ुश हुआ जा सकता है.
नर्मदा परिक्रमा के दौरान पिछले 70 दिनों में मैं मध्य प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर गांवों में रुका हूं. बढ़िया रंग-रोगन वाली ऐसी फ़ोटोजेनिक इमारतें सभी जगह देखने को मिलती रही हैं. मगर दो-तीन जगहों को अपवाद मान लें तो ये सब देखने और फ़ोटो खींचने के लिहाज से बढ़िया हैं, पर इन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
पुनासा तहसील के इस गांव में नृसिंह धाम आश्रम के क़रीब बने इस स्वच्छता परिसर के बारे में पूछने पर लोगों ने बताया गया कि पानी की दिक़्क़त है, इसलिए इसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
कुछ जगहों पर पानी और सफ़ाई दोनों के झमेले से बचने के लिए इन्हें बन्द ही रखा जाता है. कुछ जगहें ऐसी भी मिलीं जहाँ रंग की हुई सजीली दीवार और दरवाज़ों के पीछे कुछ नहीं था. वहां रहने वाले गुणीजनों ने इसके बारे में जो विस्तार से बताया, उसका सार यह है कि दीवार-दरवाज़ों की फ़ोटो सरकारी दफ़्तर में जमा करके पूरी रक़म निकाली जा चुकी है..रही शौचालय की बात तो जब इसकी ज़रूरत होगी, तब देखेंगे.
ऐसे में अक्सर मुझे और इस यात्रा में साथ चल रहे मेरे दोस्तो को अपने दिन की शुरूआत मुँह अंधेरे ही करनी पड़ती है. हमें वही रास्ता अख़्तियार करना पड़ता है, जिससे छुटकारा दिलाने के सरकारी दावे का नतीजा ये स्वच्छता परिसर हैं. अब तो मुझे भी लगने लगा है कि गांव में स्वच्छता बनाए रखने के लिए ये परिसर ऐसे ही भले हैं.
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