लॉकडाउन में फंसे पूजा के मां-बाप, कन्यादान साजिद ख़ान ने किया
पूजा के मां-पिता रिश्तेदारी में मार्च में मुरादाबाद आए तो लॉकडाउन की वजह से वहीं फंसे रह गए. पूजा के ब्याह की तारीख़ दो जून काफ़ी पहले से तय थी. बेटी का ब्याह और मां-बाप परदेस में. उनकी दुविधा और परेशानी का अंदाज़ा तो सिर्फ़ वही लगा सकते हैं मगर लुधियाना में पूजा का ब्याह हो गया. साजिद ख़ान और उनकी पत्नी ने पूजा का कन्यादान किया और सारे रस्म-रिवाज़ के साथ पूजा को ससुराल के लिए विदा किया.
लुधियाना में माछीवाड़ा के क़रीब एक गांव है – भट्टियां. वीरेंद्र शर्मा इसी गांव के बाशिंदे हैं. कुछ महीने पहले उन्होंने अपनी बेटी का रिश्ता सुदेश के साथ कर दिया था. तब उन्हें भी यह ख़बर कहां थी कि जून में इस क़दर दुश्वारियां हो सकती हैं? वीरेंद्र अपनी पत्नी के साथ मुरादाबाद आए थे तभी लॉकडाउन की घोषणा हो गई. उन्होंने बड़ी कोशिश की कि किसी तरह मुरादाबाद से निकलकर लुधियाना पहुंच जाएं ताकि ब्याह की ज़रूरी तैयारियां कर सकें मगर यह मुमक़िन नहीं पाया. उन लोगों के बाहर होने की वजह से पूजा उनके दोस्त साजिद के परिवार के साथ रह रही थी. उन्होंने साजिद को फ़ोन करके अपने हालात बताए तो वह फ़ौरन ही यह ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हो गए.
तो दो जून की दोपहर को सुदेश कुमार छह लोगों की बारात लेकर भट्टियां पहुंच गए. साजिद खान ने लड़की वालों की तरफ से दस लोगों के साथ बारात की अगवानी की. वीरेंद्र शर्मा की जगह रहकर उन्होंने ब्याह की सारी रस्में पूरी कीं. उनकी पत्नी ने साड़ी पहनी, बिंदी लगाई और दोनों ने पूजा का कन्यादान किया. पूजा की विदाई की.
बक़ौल साजिद, “मैंने वही किया जो मेरा फ़र्ज़ है. वीरेंद्र शर्मा का फोन आया कि पूजा की शादी नहीं रुकनी चाहिए. मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि ऐसा ही होगा. सब कुछ मैं खुद करूंगा. पूजा मुझे मामा कहती है. हम लोगों का ख़ून का रिश्ता नहीं है लेकिन इंसानियत का रिश्ता तो है ही. पूजा का कन्यादान करके मुझे जो सुकून मिला, अल्लाह वह सबको बख्शें.” पूजा ने बताया, “साजिद मामा और मामी ने मुझे मां-बाप की कमी नहीं महसूस होने दी.”
पूजा के मां-बाप ने मुरादाबाद में अपनी बेटी की शादी मोबाइल पर लाइव देखी. वीरेंद्र शर्मा ने जब साजिद ख़ान को ‘शुक्रिया’ कहा तो साजिद का जवाब था कि भाई शर्मिंदा मत कीजिए. यह आपका एहसान है कि कन्यादान का मौका मुझे दिया.
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