पिपिहरी से छुट्टा मवेशी भगाते हैं किसान
कानपुर देहात | यों तो वह बच्चों के खिलौने-सी पिपिहरी है मगर किसानों के लिए बड़ी कारगर निकली. कम से कम यहाँ के गाँव वालों को छुट्टा मवेशियों से छुटकारा दिलाने में कमाल की मददगार साबित हुई है.
चित्रकूट गए यहाँ के कुछ किसानों ने देखा कि लोग वहाँ बंदरों को भगाने के लिए प्लास्टिक की पिपिहरी का इस्तेमाल करते हैं और इसकी आवाज़ से बिदककर बंदर भाग भी जाते हैं. फिर क्या था, किसानों ने सोचा कि इसे अपने यहाँ के छुट्टा पशुओं पर आज़माकर देखते हैं. वे पिपिहरी ख़रीद लाए.
और दिलचस्प यह भी पिपिहरी की आवाज़ ने छुट्टा जानवरों पर भी वही असर किया जो बंदरों पर करते हुए देखा था. अब तो तमाम किसानों ने पिपिहरी मंगा ली है और इसे बजाकर अपनी फसलें बर्बाद होने से बचा पा रहे हैं.
रनियां कस्बे के विजय द्विवेदी के दस बीघा खेत हैं और श्यामू शुक्ला के पास बारह बीघे से ज्यादा. पिछले महीने अमावस्या पर दोनों चित्रकूट गए थे. वहीं से पिपिहरी ख़रीदकर लाए तो उनके घर वाले इस पर हैरान भी हुए. तो फ़िलहाल बीस रुपये की प्लास्टिक की पिपिहरी ने वह करतब कर दिखाया जो तमाम हिक़मत से संभव नहीं हो सका था. आसपास के गाँवों में भी किसानों ने यह तरीक़ा अपना लिया है.
इसकी आवाज़ से डरते हैं मवेशी
पशु चिकित्साधिकारी डॉ. तेजेंद्र सिंह कहते हैं कि तेज़ और भारी आवाज़ या ख़ास तरह की ध्वनियाँ मवेशियों में डर पैदा करती है. छुट्टा मवेशी चुपके से फसलें चरते हैं. ऐसे में अचानक पिपिहरी की तेज़ आवाज सुनकर समझ बैठते हैं कि कोई बड़ा जानवर खेत में घुस आया है और इस डर की वजह से भाग जाते हैं.
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