गुजराती में असफल ढब्बू जी हिंदी में तीस साल चले
प्रयागराज | दृश्यकला विभाग और केंद्रीय सांस्कृतिक समिति की ओर से आयोजित स्व.शिक्षार्थी स्मृति आयोजन के दूसरे दिन प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट, साहित्यकार और पर्यावरणविद् आबिद सुरती ने विद्यार्थियों से संवाद किया. संवाद की शुरुआत में उन्होंने पानी से जुड़े अपने काम की विस्तृत चर्चा की. बताया कि ऐसे दौर में जब धर्म का नकारात्मक इस्तेमाल किया जा रहा है, तब पानी के बचाने के अभियान के लिए उन्होंने धर्म का सकारात्मक इस्तेमाल किया. इस अभियान को लोकप्रियता भी मिली. उन्होंने बताया कि कैसे पानी के लिए किए गए बचपन के संघर्षों का अनुभव उन्होंने इस अभियान में लगाया और एक-एक बूंद बचाने की बात कही. उत्तर प्रदेश सरकार के पुरस्कार की राशि उन्होंने इस काम में ही लगा दी.
धर्मयुग के अपने बेहद लोकप्रिय कार्टून ढब्बू जी की शुरुआत पर भी उन्होंने विस्तार से बात की, बताया कि कैसे धर्मवीर भारती के कहने पर वह पराग से धर्मयुग में आए और उन्होंने गुजराती के असफल कार्टून चरित्र को हिंदी में रूपांतरित कर दिया और छह महीने में ही जिसे अपार लोकप्रियता मिली और वह चरित्र तीस सालों तक धर्मयुग के पाठकों को गुदगुदाता रहा. विद्यार्थियों से उन्होंने फ़िल्मों से जुड़े अपने अनुभव भी साझा किए. कहा कि चौथे असिस्टेंट के तौर पर उन्होंने फ़िल्मों में अपनी यात्रा शुरू की थी.
जेजे स्कूल ऑफ़ आर्ट्स के दिनों और प्रेम के अपने अनुभव भी सुनाए. उन्होंने बताया कि बहादुर के कैरेक्टर को जींस और कुर्ता पहनाकर उन्होंने पूरब और पश्चिम के समन्वय की कोशिश की थी.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आलोचक प्रो.राजेंद्र कुमार ने कहा कि पूरी दुनिया ही किसी का बनाया कार्टून है. छोटा-सा कार्टून शब्दों की भंगिमा से अर्थ बदल देता है. कार्टून आज भी ज्यादा प्रासंगिक है. शब्द दीर्घजीवी होते हैं तो कार्टून भी कम दीर्घजीवी नहीं. विसंगतियां जब तक रहेंगी कार्टून की सार्थकता बनी रहेगी. उन्होंने कार्टूनिस्ट शंकर और प्रधानमंत्री नेहरू के क़िस्सों से कार्टून की सहज उपस्थिति का भी ज़िक्र करते हुए आज के समय में कार्टून की स्थिति पर चिंता व्यक्त की.
अमितेश कुमार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए आबिद सुरती का विस्तृत परिचय दिया. प्रो. अजय जेटली ने उनका स्वागत किया. सांस्कृतिक समिति की सदस्य अमृता ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम में नवीन पटेल, प्रो.संजय सक्सेना, प्रो.संतोष भदौरिया, प्रवीण शेखर, प्रो.अनिता गोपेश, अनुभव शिक्षार्थी, भावना शिक्षार्थी, दीनानाथ मौर्य, विशाल विजय, सचिन, सौमिक, अंशुमान कुशवाह समेत शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद थे.
कार्टूनों पर दृश्यकला विभाग में लगी प्रदर्शनी 19 फ़रवरी तक जारी रहेगी.
कवर | प्रवीण शेखर
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