साइकिल हल में खोजा महंगाई का तोड़

बिलासपुर | शाहतलाई के किसानों की साइकिल हल की ईजाद उनकी ज़रूरतों और डीज़ल-पेट्रोल की बेतहाशा महंगाई का नतीजा है. और यह ईजाद फ़िलहाल तो उनके ख़ूब काम आ रही है.

बहुतेरे किसान बैल पालना कभी का छोड़ चुके हैं. और इसकी वजह यह कि ट्रैक्टर से जुताई उन्हें कम झंझट वाली लगने लगी और इसमें समय भी बचता. इन दिनों जब बारिश के बाद मक्के की बुवाई शुरू हो गई है, ट्रैक्टर का भाड़ा आसमान छू रहा है.

डीज़ल पर महंगाई का हवाला देकर ट्रैक्टर मालिक अब नौ सौ से एक हज़ार रुपये घंटा भाड़ा वसूलने लगे हैं. जिन कुछ लोगों के पास बैल हैं, वह भी महंगाई की बात कह के बुआई के लिए 1500 रुपये दिहाड़ी मांग रहे हैं.

ऐसे में किसी को ख़ुद मशक़्क़त करने की सूझी और इस तरह साइकिल हल का ख़्याल आया. कई किसानों का कहना है कि साइकिल का हल सब से सस्ता है तथा खेत का रक़बा कम होने पर भी बुवाई करने में दिक़्कत नहीं होती.


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