श्रावस्ती | जहाँ हवाई पट्टी है, रेल लाइन नहीं

  • 6:54 pm
  • 2 February 2021

श्रावस्ती | यहाँ हवाई जहाज तो नहीं उतरते मगर पच्चीसेक साल पहले बनी हवाई पट्टी ज़रूर है. और यह भी कम त्रासद नहीं कि श्रावस्ती अब तक रेलवे के नक्शे पर नहीं आ सका है. जिले को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग पर अर्से से जूझ रहे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया जब रेलवे बजट में इस बार भी खलीलाबाद, बहराइच बाया भिनगा रेल लाइन का ज़िक्र नदारद पाया.

रेल मंत्रालय में अर्से से लंबित प्रस्ताव के मुताबिक बलरामपुर के खगईजोत गांव से श्रावस्ती होकर रेल लाइन बरदेहरा होते हुए बहराइच रेलवे जंक्शन से जुड़ेगी. इसके लिए ज़िले में क़रीब 41 किलोमीटर लाइन बिछाई जानी है, जबकि पूरी परियोजना की लंबाई 240 किलोमीटर होगी.

ज़िले के लोगों की इस आकांक्षा के लिए संघर्ष करने को सन् 2014 में भिनगा में ‘श्रावस्ती को रेल से जोड़ो संघर्ष समिति’ बनी. संघर्ष समिति ने भिनगा से लेकर दिल्ली तक आंदोलन किया, अपने प्रतिनिधियों के साथ ही कितनी ही बार रेल मंत्री को ज्ञापन दिए पर मामला जहाँ का तहाँ है.

इस इलाक़े को रेल लाइन से जोड़ने की माँग कितनी पुरानी है, इसका अंदाज़ इस बात से लगा सकते हैं कि बलरामपुर सीट से पहली बार सांसद चुने जाने के बाद अटल बिहारी बाजपेयी ने सदन में बलरामपुर के तुलसीपुर से सिरसिया और नानपारा होते हुए लखीमपुर खीरी से पीलीभीत तक नई रेल लाइन बिछाने की मांग उठाई थी. प्रधानमंत्री बने तो उन्हें याद रहा और रेल लाइन बिछाने के लिए उन्होंने सर्वे भी कराया.

पाँच जनवरी 2014 को बने ‘श्रावस्ती को रेल से जोड़ो संघर्ष समिति’ के पेज पर अलग-अलग मौक़े पर उनकी कोशिशों का ब्यौरा पढ़ा जा सकता है. 2018 के बजट में ख़लीलाबाद बहराइच बाया भिनगा के प्रस्ताव को मंज़ूरी देते हुए रेल लाइन के सर्वे और भूमि अधिग्रहित करने के लिए 4940 करोड़ आवंटित भी किए गए. 2019 में रेल मंत्रालय ने श्रावस्ती और बहराइच के कलेक्टर से सेटेलाइट सर्वे के आधार पर चिह्नित भूमि का नक्शा मांगा था. नक्शे भेज भी दिए गए. उसके बाद से ख़ामोशी है.

बौद्धकालीन नगर की ख्याति वाले श्रावस्ती में कई महत्वपूर्ण स्तूपों-विहारों के अवशेष हैं. पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस ज़िले की सीमा गोंडा और बहराइच ज़िलों से मिलती है और ट्रेन से यहाँ पहुंचने के लिए बलरामपुर स्टेशन से उतरकर जाना पड़ता है.

कवर | बुद्ध के शिष्य श्रेष्ठी अनाथपिंडिक के बनवाए स्तूप के अवशेष


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