विंडरमेयर में थिएटर फ़ेस्टिवल 11-12 अक्टूबर को

  • 12:19 am
  • 9 October 2025

बरेली | विंडरमेयर थिएटर में दो दिन का ‘संहिता मंच 25’ नाट्य उत्सव शनिवार से शुरू होगा. 11 से 12 अक्टूबर तक चलने वाले इस उत्सव में दो नाटकों की प्रस्तुति होगी—उजागर ड्रामैटिक एसोसिएशन और वेद सत्पति का नाटक ‘मिथ्यासुर’, और कहे विदूषक ग्रुप का नाटक ‘रोमियो एंड शकुंतला’. इससे पहले 10 अक्टूबर की शाम ड्रामाटिक रीडिंग और रंग-विमर्श के नाम रहेगी.

पिछले सात सालों से मुंबई और बंगलूरु जैसे महानगरों में होने वाला ‘संहिता मंच’ का थिएटर फ़ेस्टिवल बरेली में पहली बार होगा. दया दृष्टि चैरिटेबिल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. बृजेश्वर सिंह ने मीडिया को यह जानकारी देते हुए बताया कि इस थिएटर फ़ेस्टिवल में मुंबई और बंगलूरु के नाट्य दल शिरकत करेंगे. ये दोनों नाट्य प्रस्तुतियाँ एकदम नई कहानियों पर तैयार की गई हैं.

10 अक्टूबर | शाम 7:00 बजे
ऑल दैट मैटर्स (हिंदी नाटक) की ड्रामाटिक रीडिंग और निर्देशक रसिका अगाशे के साथ रंग-कर्म पर ख़ास बातचीत का आयोजन होगा. रसिका अगाशे नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा की ग्रेजुएट हैं. वह हिंदी और मराठी थिएटर की कामयाब अभिनेत्री व निर्देशक हैं. उन्होंने ‘देस’, ‘हारुस मारुस’, ‘इस कम्बख़्त साठे का क्या करें’ जैसे असरदार नाटकों का निर्देशन किया हैं. बतौर निर्देशक उनकी पहली फ़िल्म ‘सिटी पर्सोनिफ़ाइड’ को कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.

इस आयोजन में प्रवेश निःशुल्क होगा.

नाटककार: मीरा सीतारमन | निर्देशक: रसिका अगाशे
सार: 1984 में हुई एक हत्या की अदालती सुनवाई 2024 में होनी है, लेकिन आरोपी की मौत को कई दशक बीत चुके हैं. पीड़ित कमला नाम की एक गाय है, जो अलग तरह का न्याय पाने के लिए लौट आई है. कई सच्ची घटनाओं पर आधारित यह नाटक दरअसल एक सच्ची कहानी है.

11 अक्टूबर | शाम 7:00 बजे
मिथ्यासुर (हिंदी नाटक)
नाटककार: प्रणव पांडे | निर्देशक: अजीत सिंह पलावत

सार: मिथ्यासुर नाटक मानवता के विकास में कहानियों और मिथकों के महत्व की पड़ताल करता है. यह अज्ञानता, विज्ञान, तथ्य, सत्य और असत्य के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है—ख़ासकर जब राज्य और धर्म की आड़ में इनका दुरुपयोग किया जाता है. कहानी 18वीं सदी के हिंदुस्तान में घटित होती है, जहाँ एक स्वप्न-राक्षस की बात मानकर एक मंदिर का पुजारी अचानक दिव्य दर्शन की अपनी शक्ति खो देता है. जैसे-जैसे आस्था डगमगाती है, पुजारी और एक विज्ञान-प्रेमी राजकुमारी को मिथक, सत्य और शक्ति के बीच धुंधली रेखाओं का सामना करना पड़ता है.

12 अक्टूबर | शाम 7:00 बजे
रोमियो और शकुंतला (अंग्रेज़ी नाटक)
नाटककार: अविनाश मट्टा | निर्देशक: श्रीनिवास बीसेट्टी

सार: एक नाटककार एक नया नाटक लिखना चाहता है, जो शेक्सपियर और कालिदास दोनों को श्रद्धांजलि हो, रोमियो और जूलियट जैसी त्रासदी वाला एक भारतीय नाटक! हालाँकि, यह नाटक लिखने और निर्देशित करने की कोशिश में वह विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने का ढोंग रचता है. उसे इस बात का ज़रा भी भान नहीं होता कि ऐसा करने से उसके अपने और उसके आसपास के लोगों के पूर्वाग्रह किस तरह खुलते जाएंगे. और अंततः जब नाटक का प्रीमियर शो ख़ुद ही त्रासदी साबित होता है, तो श्रद्धांजलि की यह कोशिश, अपनी ही पहचान से जूझने की एक बदमज़ा कोशिश बनकर रह जाती है!

ज़ीशान अय्यूब और रसिका अगाशे का सफल प्रयोग
‘संहिता मंच’ के तहत देश भर से कुछ ख़ास कहानियाँ चुनकर उन पर नाटक तैयार कराए जाते हैं और फिर अलग-अलग शहरों में थिएटर फ़ेस्टिवल के रूप में उनका मंचन किया जाता है. इस बार इस थिएटर फ़ेस्टिवल के लिए मुंबई और बंगलूरु के साथ-साथ बरेली के विंडरमेयर थिएटर को भी चुना गया है. इस अनूठे प्रयास के पीछे ज़ीशान अय्यूब और रसिका अगाशे जैसे कलाकार हैं. इतना ही नहीं, रामगोपाल बजाज और अनुराधा कपूर जैसी दिग्गज हस्तियाँ संहिता मँच की सलाहकार समिति में शामिल हैं. एन.एस.डी. ग्रेजुएट तथा जाने-माने फ़िल्म और थिएटर कलाकार ज़ीशान अय्यूब अब तक ‘रईस’, ‘राँझना’, ‘नो वन किल्ड जेसिका’, ‘तनु वेड्स मनु’, ‘आर्टिकल 15’ और ‘स्कूप’ जैसी कामयाब फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं, मगर थिएटर आज भी उनका पहला प्यार है.

सोमवार को ‘वेटिंग फ़ॉर नसीर’

संहिता मंच थिएटर फ़ेस्टिवल के अगले ही दिन सोमवार यानी 13 अक्टूबर को बंगलूरु की संस्था ‘कहे विदूषक’ के कलाकार ‘वेटिंग फ़ॉर नसीर’ का मंचन करेंगे. यह शो भी 7 बजे शुरू होगा. अपने चहीते कलाकार नसीरुद्दीन शाह के नाटक का आख़िरी बचा टिकट हासिल करने की होड़ में जुटे दो कलाकार इस नाटक में प्रतीक्षा के मार्मिक अनुभव को साझा करेंगे. चिंतन के साथ-साथ कुछ गुदगुदाता सा यह नाटक सपन सरन ने लिखा है और श्रीनिवास बीशेट्टी ने निर्देशित किया है.


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