सैंक्चुअरी अवॉर्ड | 136 तरह की तितलियों का ब्योरा जुटाया बृजलाल ने

  • 7:50 pm
  • 12 February 2021

बरेली | दुधवा नेशनल पार्क के ड्राइवर बृजलाल उन पाँच लोगों में शामिल हैं, जिन्हें सन् 2020 के सैंक्चुअरी वाइल्डलाइफ़ सर्विस अवॉर्ड के चुना गया. प्रकृति, पक्षियों और वन्य जीवों के प्रति उनके सरोकार और उनकी छवियों के दस्तावेज़ तैयार करने के लिए उन्हें यह अवॉर्ड मिला है.

लखीमपुर खीरी के एक गाँव के बृजलाल ने इंटर तक पढ़ाई की है. परिवार की ज़रूरतें ऐसी थीं कि आगे पढ़ने की रोजगार की तलाश में जुट गए. गाड़ी चलाना सीख लिया था और वह हुनर काम आ गया. सन् 2003 में दुधवा नेशनल पार्क में ड्राइवर की जगह निकली और बृजलाल को वहाँ नौकरी मिल गई. बाद में उनकी ज़िंदगी में आए बदलाव और नई चेतना इस नौकरी की बदौलत ही मुमक़िन हुई.

पार्क में नौकरी करते हुए उन्हें तरह-तरह के लोगों के साथ जंगलों में भटकना पड़ता. इनमें वन्यजीव विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और फ़ोटोग्राफ़र भी होते. वह उनको काम करते हुए देखते, उनकी बातें सुनते तो भला लगता. दिलचस्पी जागी तो उनसे पेड़ों के बारे में, पशुओं के बारे में पूछते भी. उन पर सबसे ज़्यादा असर बिली अर्जन सिंह की सोहबत का हुआ. बिली को लेकर जब वह जंगलों में जाते तो जंगल के जीवन के बारे में ख़ूब बतियाते.

फ़ोन पर हुई बातचीत में बृजलाल ने बताया कि लगातार जंगल में सौ-डेढ़ सौ किलोमीटर का चक्कर रोज़ का काम है. शुरुआती दिनों में जब साथ गए लोग अपने काम में व्यस्त हो जाते तो वे उन्हें देख रहे होते थे. फिर उन्हें कैमरा ख़रीदने की सूझी तो निकॉन का एक कैमरा खरीद लिया. अब उन्होंने जंगल के जीवन को कैमरे की निगाह से देखना शुरू कर दिया.

बक़ौल बृजलाल, उन्हीं दिनों भारतीय विद्यापीठ, पुणे की तरफ़ से दुधवा में एक वर्कशॉप हुई तो वह भी शरीक हुए. ‘उत्तर भारत के पक्षी’ नाम की वह किताब उन्हें तभी मिली. पक्षियों के नाम और उनके व्यवहार के बारे में पढ़कर उन्होंने जंगल में पक्षियों को पहचानना और उनकी तस्वीरें बनाना शुरू किया.

‘तितलियों पर फ़ील्ड गाइड’ हाथ लगी तो एक और रंगीन-रहस्यमयी दुनिया उनके आगे खुलने लगी. बृजलाल ने बताया कि इसे पढ़ने के बाद लगा कि ‘बर्डिंग’ पर तो पूरा भारत लगा हुआ है, बाक़ी लोग टाइगर की तस्वीरें उतारने के लिए जूझते रहते हैं, तितलियों पर कोई ख़ास ग़ौर नहीं करता.

तो उन्होंने तितलियों की फ़ोटो खींचना शुरू किया. फ़ोटो खींच लेते तो उनकी पहचान और ब्योरा जुटाने में कई बार एक-एक महीना लग जाता मगर बृजलाल पूरे धैर्य से जुटे रहे. वर्षों की उनकी मेहनत का नतीजा वह चेकलिस्ट है, जिसमें पार्क में मिलने वाली 136 प्रजातियों की तितलियों का ब्योरा है. यह दस्तावेज़ उन्होंने पार्क के अफ़सरों को दिया तो ख़ूब सराहना मिली.

यह पूछने पर कि वन विभाग की नौकरी में तो कितनी ही ड्राइवर हैं तो उनके सिवाय जंगल में और कौन-कौन इतनी दिलचस्पी लेता है, बृजलाल ने कहा, “कहाँ दिलचस्पी लेते हैं, सर! मौज-मस्ती छोड़कर कौन इस झमेले में पड़े. कैमरा लेकर मुझे तितलियों, साँपों या चिड़ियों के पीछे दौड़ते देखकर मेरा मज़ाक उड़ाते. मुझसे पूछते कि यह सब करके तुम्हें क्या मिलता है? मैं उनसे हमेशा कहता – मुझे इससे ख़ुशी मिलती है.”

बृजलाल 53 साल के हो गए हैं. उनकी ख़्वाहिश है कि रिटायर होने के बाद दुधवा पार्क में गाइ़ड के तौर पर काम करें.

कवर | बृजलाल


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