विंडरमेयर रंग-साहित्य उत्सव 24 से 31 जनवरी तक
बरेली | विंडरमेयर रंग उत्सव का 14वाँ संस्करण नए रंग और नए मिजाज़ का होगा. 24 से 31 जनवरी तक चलने वाले उत्सव में इस बार नाटकों की प्रस्तुति के साथ ही साहित्यिक विमर्श के सत्र होंगे, नामचीन लेखकों से मुलाक़ातें होंगी और राग-रंग की महफ़िलें भी जुटेंगी.
पहले रोज़ यानी 24 जनवरी की शाम को उद्घाटन सत्र से पहले वान्या के एकल नाटक ‘बर्डफ़्लाइट’ की प्रस्तुति होगी. उद्घाटन कार्यक्रम में प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल, सुमन केशरी और सुधीर विद्यार्थी शरीक होंगे. सुमन केशरी अपने नाटक ‘गांधारी’ के कुछ अंशों का पाठ करेंगी. उत्सव के दौरान साहित्य के सत्र में मृदुला गर्ग, बाबुषा कोहली, मानव कौल, ख़ालिद जावेद, अमितेश कुमार और आशु मिश्र शामिल होंगे. 31 जनवरी को आयोजित ग़ज़ल संध्या युसरा नक़वी के नाम होगी.
नाटक देखने वालों को इस बार ‘बुक माय शो’ की मार्फ़त पहले से ही टिकट बुक करने की सहूलियत दी गई है, ताकि जगह मिलने को लेकर वे आश्वस्त रहें. इतना ही नहीं, मानव कौल लिखित नाटक ‘तुम्हारे बारे में’, ‘जो डूबा सो पार’ और डी फ़ॉर ड्रामा की प्रस्तुति ‘पटना का सुपर हीरो’ जैसे नाटकों के दो शो भी इसी इरादे से रखे गए हैं, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग नाटक देख सकें. सिर्फ़ नाटकों के लिए टिकट ख़रीदना ज़रूरी होगा, दूसरे कार्य़क्रमों में शामिल होने के लिए किसी टिकट या डोनर-पास की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
हिंदी युग्म और सूर्य प्रकाशन मंदिर की ओर से किताबों के स्टॉल भी उत्सव का हिस्सा होंगे. लेखक से मिलिए कार्यक्रम में मानव कौल और ख़ालिद जावेद लोगों से मिलेंगे, किताबें साइन करेंगे. मृदुला गर्ग आत्मकथात्मक-संस्मरणात्मक किताब ‘वे नायाब औरतें’ के अंश पढ़ेंगी. काव्य-संध्या में बाबुषा कोहली अपनी कविता पढ़ेंगी, आशु मिश्र अपना क़लाम पेश करेंगे. ‘नाटक कैसे देखें’ विषय पर संस्कृतिकर्मी अमितेश कुमार व्याख्यान देंगे.
उत्सव में शामिल नाटकों का संक्षिप्त परिचयः
बर्डफ़्लाइट
लेखक-निर्देशकः वान्या सिंह
बुधवार 24 जनवरी, 2024 | शाम 06:30 बजे
‘बर्डफ़्लाइट’ एकल प्रस्तुति है. यह अंजलि थॉमस नाम की युवती की कहानी है, जिसने तमाम तरह की फ़िक्र के साथ वयस्कता की दहलीज़ में क़दम रखा है. अभूतपूर्व क़िस्म की अनिश्चितताओं से भरी इस दुनिया में, अपनी ज़िंदगी के इस सबसे अनिश्चित दौर में दाख़िल होने का भला क्या मतलब है? घर से बाहर निकलते हुए अंजलि ज़िंदगी में भंगुरता के सवालों जूझती है, घर और अपनेपन के मायने तलाशती है. वह विज़ुअल आर्टिस्ट भी है, जो अपने सृजन में अड़चन की हताशा से पार पाने के लिए छटपटाती रहती है. बाहर की दुनिया में जैसे-जैसे वह नए लोगों से मिलती है, नए तजुर्बे हासिल करती है, अपने आसपास की दुनिया से धीरे-धीरे उसके रिश्ते बनने लगते हैं. अपने घर वालों, दोस्तों, अपनी कला और ख़ुद अपने आप से उसके संबंधों की तलाश तमाम तरह के रूपकों के ज़रिये यह नाटक गढ़ते हैं.
काग़ज़ के गुब्बारे
लेखका-निर्देशकः अनुभा फ़तेहपुरिया
बृहस्पतिवार 25 जनवरी, 2024 | शाम 05:00 बजे
इस्मत चुग़ताई की छह कहानियों – कुंवारी, एक शौहर की ख़ातिर, छुईमुई, घरवाली, पेशा और घूंघट – और उनके लेखों पर आधारित यह प्रस्तुति वाचन, अभिनय, गीत और संगीत का अनूठा तालमेल है.
अवेकनिंग्स
निर्माताः डॉ. बृजेश्वर सिंह
लेखन-निर्देशनः शुभा भट्ट भसीन
शुक्रवार 26 जनवरी, 2024 | शाम 06:30 बजे
ओलिवर सैक की किताब ‘अवेकनिंग्स’ पर आधारित यह नाटक उन अनदेखे-अनजाने हालात की पड़ताल करता है, जब-तब मनुष्यों का जिनसे साबका पड़ता है और यह भी कि उनसे पार पाने के लिए वे कैसे-कैसे जतन करते हैं, कितने जोख़िम भरे साहसिक फ़ैसले करते हैं.
यह ऐसे लोगों के एक समूह की दिलचस्प कहानी है, जो दशकों तक नींद में डूबे रहे थे, जब तक कि डॉ.सैक अपनी ईजाद दवा का उन पर तजुर्बा नहीं करते. उस दवा ने हालाँकि उन्हें लंबी नींद से जगा तो दिया मगर जल्दी ही उन्हें मालूम हो गया कि उनकी गतिविधियाँ न केवल असामान्य हैं, बल्कि उनके क़ाबू के बाहर हैं और इसने उनकी ज़िंदगी में इस क़दर गंभीर क़िस्म का ख़लल पैदा कर डाला है कि ज़िंदगी उन्हें असहनीय लगने लगती है.
तुम्हारे बारे में
लेखकः मानव कौल
शनिवार 27 जनवरी, 2024 | शाम को 05:00 बजे और 08:00 बजे से
एक कैफ़े में जाने और एक कप कॉफ़ी के साथ बैठे हुए अपने अतीत और भविष्य से मिलने की कल्पना करके देखें!
यह नाटक रिश्तों और ख़ालीपन की, संतोष और कल्पनाओं की अनुभूतियों की पड़ताल करता है. इसके किरदार गहन इच्छाओं से प्रेरित हैं. जैसे-जैसे वे अपने रिश्तों की जटिलताओं से निपटते हैं, अपने भीतर के ख़ालीपन और रिश्तों के बीच दरारों को भरने की अपनी कल्पनाओं से जूझते हैं.
जो डूबा सो पार
मानव कौल की प्रस्तुतिः अमीर ख़ुसरो पर संगीतमयी दास्तानगोई
रविवार 28 जनवरी, 2024 | शाम को 06:00 बजे और 08:00 बजे से
‘जो डूबा सो पार’ अमीर ख़ुसरो की शख़्सियत, उनके पीर और उस्ताद हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के साथ उनके रिश्ते और इस हवाले से कव्वाली की शुरुआत को रेखांकित करता है.
कव्वाली के साथ-साथ इस दास्तान में बुने गए दिलचस्प क़िस्से और कहानियां सूफ़ीवाद के सार-तत्व और मानव जाति के बीच प्रेम के शाश्वत-प्रासंगिक संदेश के महत्व के बारे में बताते हैं.
पटना का सुपरहीरो
कलाकार-घनश्याम लालसा
सोमवार 29 जनवरी, 2024 | शाम को 06:00 बजे और 08:00 बजे से
“हमारे हिसाब से दुनिया में तीन ही क्रांतिकारी हुए हैं: कार्ल मार्क्स, भगत सिंह और पिंटू भैया”. पिंटू भैया की दिलचस्प कहानी का आगाज़ इसी तरह से होता है, जिसे इस सदी के शुरुआत दिनों में पटना के एक नौजवान की आंखों से देखा गया था.
पिंटू भैया का परिचय: कुख्यात गैंग लीडर, स्थानीय किंवदंती, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बुरी तरह प्रेम में डूबा हुआ नाउम्मीद मगर आदर्श रोमांटिक. हमारा होनहार और नौजवान कथाकार ‘प्रेम’ का यह आख्यान सुनाता है, छोटे शहर के धोखों और शरारतों और विस्थापित पहचानों की यह कहानी हास्य और चुटीले व्यंग्य से भरपूर है और जिस मासूमियत से वो यह सब बयान करता है, सीधे दर्शकों के दिल में उतर जाता है, आप हंसेंगे और कभी-कभी दिल भर आएगा तो शायद रोना भी आ जाए. (हालाँकि पिंटू भैया ने बोला है कि “रोना नहीं है!”).
मास
लेखक, निर्देशकः ज्योति डोगरा
मंगलवार 30 जनवरी, 2024 | शाम 07:00 बजे
ठसाठस भरी हुई शॉपिंग कार्ट में आप चिप्स के कुछ पैकेट रख रहे हैं, तभी आपकी निगाह सामने लगे होर्डिंग पर पड़ती है, जहाँ से एक दुबला और मांसल उभयलिंगी शख़्स आपको ही घूरता दिखाई देता है. एक और होर्डिंग है, जिसमें केवल एक जोड़ी होंठ हैं, सुर्ख़, रसीले और बेहतरीन, और जो आपको देखकर मुस्कुरा रहे हैं, आप मंत्रमुग्ध होकर उन्हें ताक रहे हैं.
सोशल मीडिया ऐसे देहयष्टियों से भरा पड़ा है, जो तक़रीबन हमेशा ही आपसे अलग क़िस्म की दिखाई देती हैं. हमारे देह विन्यास, बीएमआई या वज़न के बावजूद, इससे पहले कभी हम अपने बारे में इस क़दर जागरूक नहीं रहे हैं – ख़ुद को देखना, तुलना करना, काया में बदलाव करके, कितनी ही तरह के फ़िल्टर के इस्तेमाल से स्व को सार्वजनिक उपभोग के लिए पेश करना. और यह सब करते हुए हम अपने शरीर से गहरा वैयक्तिक जुड़ाव गढ़ते हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से अवैयक्तिक और अटपटा भी होता है.
ज्योति डोगरा की यह एकल प्रस्तुति है.
पुराने चावल
निर्देशकः सुमीत व्यास
कलाकारः कुमुद मिश्रा,शुभ्रज्योति
बुधवार 31 जनवरी, 2024 शाम 05:00 बजे
मुंबई की पृष्ठभूमि में, नील साइमन की ‘द सनशाइन बॉयज़’ का यह हिंदी रूपांतरण कॉमेडी की दो बुज़ुर्गों प्रतिभाओं की दुनिया पर केंद्रित नाटक है, जिन्हें देश में कॉमेडी के सबसे बड़े उत्सव में शामिल होने का न्योता है. और 12 साल के बाद वे दोनों अभिनय के अपने हुनर को दोहराने के लिए एक साथ लाए जाते हैं. मुश्किल बस इतनी-सी है कि वे एक-दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर सकते. वे अपने मतभेदों से किस तरह पार पाते हैं और पुराना जादू जगा पाते हैं, यह जानने के लिए नाटक देखना होगा.
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