मोनाल के पंख की कलगी तो सज़ा पक्की
शिमला | वन विभाग ने मोनाल के पंख से बनी कलगी टोपी पर लगाना प्रतिबंधित कर दिया है. इसका उल्लंघन करने पर सात साल की जेल हो सकती है, साथ ही भारी जुर्माना भी.
कभी हिमाचल का राज्यपक्षी रहा रुपहला और मोहक हिमालयन मोनाल अब लुप्तप्राय है. हालांकि इनके शिकार का कोई नया मामला पता नहीं चला है फिर भी इसके पंख से बनी कलगी टोपी पर लगाने के चलन को देखते हुए ऐहतियातन रोक लगाई गई है.
सूबे में तो अब जाजुराना राज्य पक्षी है मगर मोनाल अब भी नेपाल का राष्ट्रीय और उत्तराखंड का राज्य पक्षी है. मोनाल का शिखा पंख कुल्लू के लोग अब भी त्योहारों, विवाह और बड़े त्योहारों पर अपनी टोपी को सजाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. लोग सुनारों से मोनाल शिखा के साथ गहने बनाने को कहते हैं. ज्यादातर गांवों के घरों में ऐसे गहने होते हैं. लोग सुनार को शिला देते हैं, जो इसे टोपी पर तय सोने या चांदी के साथ जड़ देते हैं.
मोनाल की कलगी लगाने पर रोक के आदेश का उल्लंघन करने पर तीन से सात साल की जेल और कम से कम दस हज़ार रुपये जुर्माना लग सकता है. पीसीसीएफ (वन्यजीव) डॉ. अर्चना शर्मा ने बताया कि वन्य जीव अधिनियम के तहत मोनाल पक्षी अनुसूची-1 में शामिल है.
ऐसे में मुख्य वन्यजीव संरक्षक की इज़ाज़त के बगैर कलगी या ट्रॉफी अपने पास रखना भी क़ानूनन अपराध है. जिसके पास मुख्य वन्यजीव संरक्षक की ओर से जारी स्वामित्व प्रमाण पत्र होगा, सिर्फ वही जंगली जानवर की ट्रॉफी रख सकता है. केंद्र सरकार ने 2003 में जंगली जानवरों की ट्रॉफी के पंजीकरण पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसे में मोनाल पक्षी की कलगी का सार्वजनिक रूप से किसी उत्सव या खुलेआम टोपी पर लगाकर प्रदर्शन करना अवैधानिक माना जाएगा.
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