बेटा खोये छह बरस बीते, उदयराजी ने आस नहीं छोड़ी
कानपुर | 67 साल की उम्र, लेकिन आराम नहीं. बस, बेटे की चिंता और उसकी तलाश…इसीलिए आजमगढ़ से हर महीने कानपुर आती हैं उदयराजी. बल्कि यूं कहें कि साल में 15-20 चक्कर लगा जाती हैं और यह क्रम पिछले छह साल से बना हुआ है.
किराये-भाड़े का पैसा जैसे ही उनके पास जुटता है, वह अपना झोला उठाकर निकल पड़ती हैं. कल भी वह शहर आईं और बेटे की फोटो दिखाकर लोगों से पूछती रहीं- इसको कहीं देखा है?… उनकी याचना, उनके स्वर की कातरता ऐसी कि सुनने वाले अपनी आंखों की नमी नहीं रोक पाते. कुछ तो उदयराजी को नाश्ता-पानी कराए बिना जाने नहीं देते.
29 अक्तूबर 2015 की रात उदयराजी के लिए बहुत पीड़ादायी रात साबित हुई थी. उदयराजी अपने मानसिक बीमार बेटे ओम प्रकाश यादव का इलाज कराने हैलट आई थीं. उस दिन शाम को घर लौटने में देर हुई तो रायपुरवा इलाक़े में एक पेड़ के नीचे बैठ गईं. थकान थी, आंख लगते देर न लगी.
जब नींद टूटी तो बेटे को वहां न देख परेशान हो गईं. हर गली, हर सड़क छानी. बेटा कहां गायब हो गया, कुछ समझ न सकीं. रोते-रोते थाने पहुंचीं. पुलिस ने रिपोर्ट लिख ली और वह अकेले ही आजमगढ़ लौट गईं. यह डर और खाए जा रहा था कि घर पहुंचेंगी तो लोग न जाने क्या-क्या सुनाएंगे.
पति की मौत के बाद इकलौता बेटा ही उनके बुढ़ापे का सहारा था. खेती के लालच में उनके भाई ने ही नशीली दवाएं खिला-खिलाकर उसे मानसिक रूप से बीमार कर दिया था. उसी का इलाज कराने उन्हें कानपुर हैलट आना पड़ता था. अब किसके सहारे वे ज़िंदा रहेंगी, बेटे की तलाश करते हुए अक्सर उनके मुंह से यह निकल जाता है.
वो यह भी मानने को तैयार नहीं कि उनका बेटा उन्हें अब नहीं मिलेगा.
उदयराजी का एक भतीजा शिवकुमार यहीं दादा नगर में रहता है. बक़ौल शिवकुमार, बेटे को खोजने के लिए चाची ने अख़बार में इश्तिहार निकलवाया था. पिछले साल हैलट से उनके पास फ़ोन आया तो वह चाची को साथ लेकर पहुंचे. वहां भर्ती एक मानसिक रोगी को देखा. वह चाची का बेटा नहीं था.
चाची को बहुत समझाया, लेकिन वह मानती ही नहीं. कहीं से भी थोड़े बहुत पैसे जुटा लेती हैं तो भागती यहीं चली आती हैं. यहां मोहल्ला-मोहल्ला टहलती हैं. बेटे का फ़ोटो दिखाती हैं. शुरुआत में रिश्तेदार साथ देते थे, लेकिन अब उन्होंने भी उम्मीद छोड़ दी है.
अपनी ममता में उदयराजी ख़ुद मानसिक रोगी होती जा रही हैं, यह समझना मुश्किल नहीं, लेकिन आपको अगर उनके बेटे का पता चले तो मेहरबानी करके उन्हें ख़बर ज़रूर कर दें.
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