कवि-विचारक बद्री नारायण को कन्हैया लाल सेठिया पुरस्कार

जयपुर | ख्यात कवि, समाजशास्त्री और विचारक बद्री नारायण को इस साल का कन्हैया लाल सेठिया पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. उनकी उत्कृष्ट काव्य यात्रा और सामाजिक-राजनीतिक सरोकार की उनकी पहल के लिए उनको यह पुरस्कार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में एक फरवरी को दिया जाएगा.
बद्री नारायण की कविताएं मजलूमों और दबे-कुचले तबके के लोगों की वेदना का स्वर हैं, साथ ही आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़िंदगी और उसकी संवेदना को चित्रित करती हैं. उनके समाजशास्त्रीय अध्ययन के केंद्र में भी लोक और लोक जीवन ही प्रमुखता से मुखर होता है. जीवन की तमाम जटिलताओं और संघर्षों के बीच इंसानी मन की कोमल भावनाओं को वह बहुत सधे ढंग से रेखांकित करते हैं. मामूली लगने वाली बातों और चीज़ों के हवाले से वह गहरे अर्थों वाले बिंब रचते हैं.
उनकी कविताओं के संग्रह ‘सच सुने कई दिन हुए’ (1994), ‘शब्दपदीयम’ (2004), ‘खुदाई में हिंसा’ (2011), और ‘तुमड़ी का शब्द’ (2019) उनकी सृजनशीलता और संवेदनशीलता की नज़ीर हैं. उनकी कविताओं का भारतीय भाषाओं के साथ ही फ़्रेंच और डच ज़बानों में भी अनुवाद हुआ है.
साहित्य अकादमी सम्मान और भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के साथ ही बद्री नारायण को बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, केदार सम्मान, राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार और शमशेर सम्मान भी मिल चुका है.
पुरस्कार चयन समिति में नमिता गोखले, संजय के. रॉय, सुकृता पॉल कुमार, रंजीत होसकोटे और जयप्रकाश सेठिया शामिल रहे. इससे पहले अरुंधती सुब्रमण्यम, के. सच्चिदानंदन और रंजीत होस्कोटे को कन्हैया लाल सेठिया पुरस्कार मिल चुका है.
अपनी राय हमें इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.
अपना मुल्क
-
हालात की कोख से जन्मी समझ से ही मज़बूत होगा अवामः कैफ़ी आज़मी
-
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
-
सहारनपुर शराब कांडः कुछ गिनतियां, कुछ चेहरे
-
अलीगढ़ः जाने किसकी लगी नज़र
-
वास्तु जौनपुरी के बहाने शर्की इमारतों की याद
-
हुक़्क़ाः शाही ईजाद मगर मिज़ाज फ़क़ीराना
-
बारह बरस बाद बेगुनाह मगर जो खोया उसकी भरपाई कहां
-
जो ‘उठो लाल अब आंखें खोलो’... तक पढ़े हैं, जो क़यामत का भी संपूर्णता में स्वागत करते हैं