पन्ना टाइगर रिज़र्व | बाघिन की मौत के बाद चारों शावकों की तलाश तेज़
बांदा | बुंदेलखंड के इकलौते टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत के बाद उसके चारों शावकों की तलाश तेज़ कर दी गई है. पन्ना टाइगर रिज़र्व पार्क प्रशासन की टीमें इस काम में लगी हैं. बाघिन का पोस्टमार्टम कराकर विसरा रख लिया गया है.
यह आशंका भी जताई जा रही है कि बाघिन की मौत कोरोना के संक्रमण से न हुई हो. हालांकि कोरोना कर्फ़्यू लागू होते ही 16 अप्रैल से पार्क में पर्यटकों के आने-जाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी.
15 मई को बाघिन (पी-213) का शव कोनी नाले में मिला था. उसकी उम्र छह साल थी. छह से आठ महीने के उसके चारो बच्चे लापता हैं. पार्क के कर्मचारियों को इन शावकों के बारे मार्च में तब मालूम हुआ जब बाघिन अपने शावकों के साथ घूमते हुए कैमरे में कैद हो गई.
बाघिन की मौत की वजहों को लेकर अभी कई तरह के कयास हैं. बाघिन के एक पैर में कुछ सूजन भी बताई गई है. जहाँ उसका शव मिला, वहां से आसपास के गांवों के लोगों का गुज़र भी होता है. बमुश्किल एक किलोमीटर दूर कोनी गांव है. कोरोना संक्रमण से भी मौत के कयास लगाए जा रहे हैं. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद असलियत मालूम हो सकेगी.
पन्ना टाइगर रिज़र्व के फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि 12 मई को पता चला कि बाघिन के आगे वाले बाएं पैर में सूजन है. अगले दो दिनों यानी 13 और 14 मई को वन प्राणी चिकित्सक ने उसका इलाज किया था.
फिलहाल शावकों की खोज के लिए सघन अभियान चलाया जा रहा है. यह अंदाज़ भी लगाया जा रहा है कि शावक कहीं पहाड़ या जंगल में हों और उन्हें मां का इंतज़ार हो. जानकार बताते हैं कि शावकों में अनुशासन बहुत होता है. बाघिन उन्हें जहां छिपाकर निकली होगी, शावक वहीं होंगे. बाघिन अपने शावकों को कुछ तरह का आदी बना देती है कि वह कई-कई दिन शावकों से नहीं मिलती. अक्सर रोज़ाना दूध न पिलाकर तीन से पांच दिन के अंतर में दूध पिलाती है.
कवर | ट्रैप कैमरे से मिली बाघिन और उसके शावकों की तस्वीर.
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