गूगल छोड़ आए भाई मुफ़्त ऑक्सीज़न की मुहिम पर
बांदा | अतर्रा के दो भाई इन दिनों ज़रूरतमंदों को मुफ़्त ऑक्सीज़न मुहैया कराने की मुहिम में जुटे हुए हैं. हर रोज़ सवेरे ख़ाली सिलेंडर लेकर रीफिलिंग के लिए कबरई के प्लांट तक जाते हैं और फिर पूरे दिन उन्हें लोगों तक पहुंचाने में लगे रहते हैं. राहुल और रोहित के साथ उनकी ही तरह की सोच वाले कुछ युवाओं की एक टीम है और वाट्सएप पर एक ग्रुप, जिसके ज़रिए ज़रूरतमंद लोग उन तक पहुंच पाते हैं.
बांदा रोड पर रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक रविकांत शुक्ल के बेटे राहुल और रोहित दोनों एमबीए हैं. दोनों ने सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के तौर पर गूगल में एक साथ नौकरी शुरू की. पहले मुंबई और फिर गुरुग्राम में. इसी साल फ़रवरी में दोनों नौकरी छोड़कर अपने घर लौट आए हैं.
महामारी में मरीज़ों और ज़रूरतमंदों के लिए कुछ करने के इरादे से उन्होंने अपनी कार में बुनियादी इंतज़ाम करके उसे एंबुलेंस की तरह बना लिया है. इस तरह इंमरजेंसी की स्थिति में एक मरीज़ को तुरंत ऑक्सीज़न की सहूलियत देकर उसे अस्पताल तक ले जाया सकता है.
उनकी टीम में शामिल मंजुल मयंक द्विवेदी, शिवम द्विवेदी, पदम चौरिहा सरीखे युवक व्हाट्सएप ग्रुप पर आए संदेश के मुताबिक ज़रूरतमंदों के घर तक ऑक्सीज़न का सिलेंडर पहुंचा आते हैं. अभी तक वे तीन सौ से ज्यादा सिलेंडर पहुंचा चुके हैं.
और ज़रूरतमंद का मतलब उनके लिए इतना-सा है कि जिसने उम्मीद से उन्हें संदेश भेजा है, वे या उनकी टीम का कोई साथी जल्दी से जल्दी मदद लेकर उनके पास तक पहुंच सके. तभी तो वे अपने क़स्बे के साथ ही चित्रकूट, सतना, रीवा और मझगवां तक ऑक्सीज़न सिलेंडर पहुंचा पाए हैं.
कवर | राहुल और रोहित
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