राउंड अप | सोलह दिन बाद 32वाँ ओलंपिक पूरा

08 अगस्त 2021 | टोक्यो ओलंपिक | विदा का दिन

उगते सूरज के देश में ढलती, गहराती शाम को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने जैसे ही पेरिस के मेयर एनी हिडाल्गो को ओलंपिक ध्वज सौंपा और 32वें ओलंपिक खेलों के समापन की घोषणा की, विश्व के सबसे बड़े खेल रंगमंच का परदा गिर गया. ठीक तीन साल बाद 2024 में पेरिस में फिर से उठने के लिए. टोक्यो ओलंपिक खेलों का औपचारिक समापन हुआ.

जापान की राजधानी टोक्यो के इस रंगमंच पर 16 दिनों तक विश्व के सर्वश्रेष्ठ खेल कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन कर पूरी दुनिया को चमत्कृत किया और उनका मन मोहा. अपने अद्भुत कला-कौशल से उन्होंने अविस्मरणीय दृश्यों और क्षणों की निर्मिति की और भावनाओं के इंद्रधनुषी रंगों की छटा बिखेरी. अपने सपनों को पाने की चाहत में जी-जान लगा दी और वर्षों के परिश्रम से अर्जित अपने कौशल को भी.

कुछ के सपने पूरे होकर उनके गलों में तमगों के रूप में लहराए तो बाक़ी खिलाड़ियों के सपने अगले कुछ सालों के लिए उनके सीनों में दफ़न हो गए. उगते सूरज के इस देश मे कितनों की क़िस्मत का सूरज उदित हुआ, कितनों का सूरज चमका और कितनों का डूब गया.

इन सोलह दिनों में आंखें सबकी भीगीं. कुछ की मीठे पानी से, कुछ की खारे पानी से. आंखें सबकी बहीं. कुछ की आंखों से ख़ुशियां टपकीं तो कुछ की आंखों से दुःख बह निकला. जीत की मुस्कुराहट से कुछ चेहरे दमके तो हार की उदासी से कुछ चेहरे कुम्हलाए भी. यहां प्रतिद्वंद्विताएं हुई, संघर्ष हुए, मुक़ाबले भी. अगर कुछ न हुई तो दुश्मनी न हुई. यहां सबने एक-दूसरे को ख़ुशी में भी गले लगाया और अफ़सोस के हाल में भी. आख़िर दुनिया तो सबकी साझी है और सबने माना ‘वर्ल्ड वी शेयर’.

खेल के इस रंगमंच पर अपने कौशल के प्रदर्शन के लिए भारत के 126 कलाकारों ने अहर्ता प्राप्त की थी. यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या थी, जिन्हें 18 खेलों की 68 स्पर्धाओं में भाग लेना था. इनमें से कुछ का प्रदर्शन कमाल का रहा. कुछ का फीका. कुछ ने जमा दिया कुछ फिसल गए. कुछ ने देशवासियों को ख़ुशी से खिला दिया कुछ ने निराशा में झुला दिया. कुछ हीरो और बड़े हीरो बन गए. कुछ हीरो ज़ीरो बन कर रह गए. और कुछ ज़ीरो हीरो बन गए.

भारत ने अपने अभियान की शानदार शुरूआत की. मीराबाई चानू ने पहले दिन ही वेटलिफ्टिंग में भारत को रजत पदक दिलाया. यह अब तक की ओलंपिक खेलों की सबसे बेहतरीन शुरुआत थी. लेकिन अगले कई दिनों तक भारत पदक की उम्मीद ही लगाए रहा. फिर लोवलीना ने मुक्केबाज़ी में और सिंधु ने बैडमिंटन में दो और कांस्य दिलाए.

इस बीच हॉकी में लड़कियों और लड़कों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. लड़कों ने एक और कांसे का पदक दिलाया. अब पहलवान दृश्य पर आए और रवि कुमार दाहिया ने भारत को दूसरा रजत दिलाया. लेकिन भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ आख़िरी दिन के लिए रखा. पहले गोल्फ़ में अदिति अशोक केवल एक शॉट से कांस्य चूक गईं. उसके बाद बजरंग पुनिया ने सेमीफ़ाइनल की हार से उबरते हुए शानदार बाउट लड़ी और भारत को चौथा कांस्य और कुल छठा पदक दिलाया.

यहां भारत ने लंदन के प्रदर्शन की बराबरी कर ली और अंत में एक नया इतिहास और इन खेलों का उपसंहार लिखा – 23 साल के युवा एथलीट नीरज चोपड़ा ने. उनके हाथों जेवलिन ने स्वर्णिम उड़ान भरी. भारत का टोक्यो का सातवां पदक सोने का हुआ. एथलेटिक्स का पहला पदक और सोने का 2008 के ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा के बाद दूसरा. ये चानू द्वारा टोक्यो में भारतीय अभियान के रुपहले आरंभ का सुनहरा समापन था.

भारत के दल में सबसे ज़्यादा शूटर थे. कुल मिलाकर 15. इनमें से अधिकतर टॉप रैंकिंग वाले थे. इनसे सबसे ज़्यादा पदकों की उम्मीद थी. पर सबसे निराशाजनक प्रदर्शन निशानेबाज़ों का ही रहा. सौरभ चौधरी को छोड़कर कोई फ़ाइनल राउंड तक नहीं पहुंचा.

मनु भाकर की पिस्टल का स्पर्धा के बीच में ख़राब हो जाना एक घटना थी. ख़राब प्रदर्शन के बाद प्रतिभागियों और प्राशिक्षकों के मतभेद चर्चा का कारण बने और भारतीय राइफ़ल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने खेल के बाद आमूलचूल परिवर्तन की बात कही. अक्सर जिनसे सबसे ज़्यादा उम्मीद होती है, सबसे ज़्यादा निराश भी वही करते हैं.

तीरंदाज़ी में भी निराशा हाथ लगी. विश्व नंबर एक दीपिका सहित तीरंदाज़ों से उम्मीद की जा रही थी. कोई क्वार्टर फ़ाइनल से आगे नहीं बढ़ सका.

पहली वरीयता प्राप्त अमित पंघाल सहित सभी पुरुष मुक्केबाज़ों ने ख़राब प्रदर्शन किया. लेकिन महिला मुक्केबाज़ चमकीं. मेरीकॉम, पूजा कुमारी और लोवलीना ने अच्छा प्रदर्शन किया और एक कांस्य दिलाया.

एथलीटों में कमलप्रीत ने डिस्कस थ्रो और नीरज को छोड़कर कोई फ़ाइनल के लिए क्वालीफ़ाई नहीं कर सका. जेवलिन में अन्नु, डिस्कस में कमलप्रीत और पैदल चाल में प्रियंका अगर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पातीं तो पदक जीत लेतीं और एम पी जाबिर फ़ाइनल में पहुंचते. पर ऐसा नहीं हो सका.

नीरज चोपड़ा ने जेवलिन में इतिहास रचा. हॉकी में लड़के और लड़कियों दोनों ने कोई प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया और अदिति अशोक ने दिल जीता. लड़कियां पहली बार हॉकी के सेमीफ़ाइनल में पहुंची तो लड़कों ने 41 साल बाद पदक पाया. 200वीं रैंकिंग ने टॉप रैंकिंग वाली खिलाड़ियों को ज़बरदस्त चुनौती दी और भविष्य की बड़ी संभावना बनकर उभरी.

इस प्रदर्शन ने बताया कि टैलेंट की कमी नहीं है. कमी हमारी तैयारियों की और खिलाड़ियों को दी जा रही मूलभूत समस्याओं की है. सुविधाओं का प्रचार-प्रसार करना और उनका हकीक़त में होना और खिलाड़ियों तक पहुंचना दो अलग बातें हैं. अभी खेल प्रशासन संवेदनहीन है और गंभीरता का अभाव है.

निशानेबाज़ी में वहां जो कुछ हुआ इसी बात की ताईद करता है. नीरज के जर्मन कोच भारतीय अधिकारियों के ऊपर आरोप लगाते हैं कि नीरज को उनकी उदासीनता के बाद एक निजी स्पोर्ट्स कंपनी के सहयोग से यूरोप प्रशिक्षण के लिए भेजा जा सका. अगर आप खेलों में महाशक्ति बनना चाहते हैं तो अभी बहुत काम किया जाना बाक़ी है.

आज शेष बचे मुक़ाबलों के नतीजे

महिला वॉलीबाल में अमेरिका ने पिछली चैंपियन ब्राज़ील को सीधे सेटों में 3-0 से हरा कर ओलंपिक का पहला गोल्ड जीत लिया. इस स्पर्धा को ओलंपिक में 1964 में शामिल किया गया था. इससे पहले 2008 और 2012 में अमेरिका फ़ाइनल में ब्राज़ील से ही हारी थी. जबकि रियो का सेमीफ़ाइनल सर्बिया से हार गई थी. कांस्य पदक सर्बिया ने दक्षिण कोरिया को 3-0 से हराकर जीता.

वॉलीबाल के साथ ही अमेरिका ने महिला बास्केटबॉल का स्वर्ण पदक भी मेजबान जापान को 90-75 अंकों से हराकर जीत लिया है. अमेरिका ने लगातार सातवीं बार इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता है. अमेरिका की 40 वर्षीया बर्ड और 39 वर्षीया तौरासी लगातार पांच स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली दो खिलाड़ी बन गई हैं.

महिलाओं का हैंडबॉल का स्वर्ण पदक फ्रांस ने रूस को 30-25 गोल से हराकर जीता. ये इस स्पर्धा का फ्रांस का पहला स्वर्ण पदक है.

आज पुरुषों की मैराथन दौड़ लगातार दूसरी बार केन्या के ई किपचोगे ने जीतकर अपना नाम महान एथलीटों में दर्ज करा लिया. उन्होंने 2 घंटे 8 मिनट और 38 सेकंड का समय लिया. रजत पदक नीदरलैंड के ए.नागिये ने और कांस्य बेल्जियम के बी.आब्दी ने जीता.

इस बार लयबद्ध जिम्नास्टिक में रूस का दबदबा ख़त्म हुआ. व्यक्तिगत ऑल राउंड स्पर्धा में इस्राइल ने स्वर्ण जीता तो आज हुए आल राउंड टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक बुल्गारिया ने जीता. रजत रूस और कांस्य इटली ने जीता.

बिना दर्शकों का यह ओलंपिक याद रहेगा

टोक्यो ओलंपिक में बहुत कुछ ऐसा विशिष्ट हुआ, जिसके लिए इसे याद रखा जाएगा.

क्रिस्टीना सिमेनोस्काया ने अपने साथी खिलाड़ियों के साथ अपने देश वापस जाने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि अगर वे अपने देश जाएंगी तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा. इस घटना ने शीत युद्ध के समय की याद दिलाई. उन्होंने पोलैंड से शरण मांगी है.

उधर अमेरिका की स्टार जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स ने टीम स्पर्धा के बीच में ही नाम वापस लेकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया और खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को चर्चा का विषय बना दिया और ‘ट्विस्टीज’ शब्द चर्चा में आया. ये एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें जिम्नास्ट अपनी लैंडिंग को कंट्रोल नहीं कर पाते.

पहली बार औपचारिक रूप से ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को आधिकारिक मान्यता मिली और कनाडा महिला फुटबॉल टीम की सदस्य क्विन पहली आधिकारिक रूप से भाग लेने वाली और पदक जीतने वाली खिलाड़ी बनीं.

इस बार बहुत ज़्यादा रिकॉर्ड टूटे. इटली की कंपनी ने जो ट्रैक बनाया था. उससे खिलाड़ियों के प्रदर्शन में दो प्रतिशत तक बढ़ने का दावा किया गया था. यह भी संयोग था कि इटली ने ट्रैक पर शानदार प्रदर्शन किया और 5 गोल्ड जीते जिसमें पुरुषों की 4×100 मीटर रिले रेस भी शामिल है.

एमा मेकॉन ने इस बार स्विमिंग में सात पदक जीते और कुल 11 पदक जीतकर ऑस्ट्रेलिया की सर्वश्रेष्ठ एथलीट बन गईं. परन्तु तैराकी में अमेरिका का दबदबा बना रहा. अमेरिका की टीम 1996 के बाद पहली बार माइकेल फेल्प्स के पूल में थी पर सेलेब ड्रेसेल ने उनकी कमी नहीं खलने दी. उन्होंने कुल 5 स्वर्ण पदक जीते. अमेरिका ने तैराकी में कुल 30 पदक जीत कर अपना वर्चस्व कायम रखा. ऑस्ट्रेलिया ने उसे कड़ी टक्कर दी औऱ नौ स्वर्ण सहित 21 पदक जीतकर अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन किया.

इस बार रूस प्रतिबंध के कारण भाग नहीं ले सकता था. लेकिन उसके खिलाड़ियों ने रूस ओलंपिक कमेटी के नाम से भाग लिया.

और सबसे बड़ी बात कि यह पहला ओलंपिक था, जिसे कोविड महामारी के कारण एक साल के लिए स्थगित किया गया. इससे पहले के ओलंपिक स्थगित नहीं किए गए बल्कि रद्द किए गए थे. और यह भी कि ये ओलंपिक के इतिहास में पहली बार हो रहा था कि मुक़ाबले बिना दर्शकों के आयोजित किए गए.

हालांकि ज़्यादातर जापानी इसके आयोजन के पक्ष में नहीं थे. लेकिन इसमें उन्होंने बहुत रुचि ली. भले ही स्टेडियमों के दरवाज़े दर्शकों के लिए बंद हों लेकिन आउटडोर मुक़ाबलों को देखने टोक्यो में इमरजेंसी घोषित होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग आए.

पदक तालिका में अंतिम दिन अमेरिका फिर चीन को पीछे छोड़कर शीर्ष पर पहुँच गया. अमेरिका 39 स्वर्ण, 41 रजत और 33 कांस्य पदक सहित कुल 113 पदक जीत कर पहले स्थान पर, चीन 38 स्वर्ण पदक, 32 रजत और और 18 कांस्य सहित कुल 88 पदक लेकर दूसरे पर और जापान 27 स्वर्ण पदक, 14 रजत और 17 कांस्य पदक सहित कुल 58 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर रहा. भारत 01 स्वर्ण 02 रजत और 04 कांस्य सहित कुल 07 पदकों के साथ पदक तालिका में अब 48वें स्थान पर रहा.

इस तरह 16 दिनों के बाद 32वें ओलंपिक खेल पूर्ण हुए. पूर्णता शब्द सकारात्मक होते हुए भी इस मायने में नकारात्मक ध्वनि उत्पन्न करता है कि ये आपको ख़ालीपन के अहसास से भर देता है. जो पूर्ण होता है, उससे बिछोह अनिवार्य है. अब दुनिया के कोने-कोने से आए 10 हज़ार से भी ज़्यादा खिलाड़ी ‘सिटीअस, अल्टीअस, फोर्टिअस’ के महायज्ञ में अपने-अपने हिस्से की आहुति करके एक-दूसरे से विदा ले रहे थे.

उनकी आंखों विदाई की उदासी थी लेकिन सुनहरे भविष्य के सपनों चमक भी थी. मानो वे कह रहे हो यह विदाई बिछड़ने के लिए नहीं है बल्कि फिर से मिलने के लिए है. कि वे कह रहे थे इस बीच ‘और अधिक तेज़ और अधिक ऊंचा और अधिक शक्तिशाली’ बनने के लिए अभ्यास करना है, तुम भी करना. वे कह रहे थे कि फिर मिलेंगे इस बार सपनों के शहर पेरिस में अपने नए सपनों के साथ, सपनों को पूरा करने के लिए. विदा दोस्तो!!

दोनों तस्वीरें | ट्वीटर से साभार

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