ओलंपिक रिपोर्ट | भारत के लिए एन्टी-क्लाइमेक्स का दिन

31 जुलाई | टोक्यो ओलंपिक. प्रतिस्पर्धाओं का आठवां दिन.

ज़िंदगी में उतार-चढाव आते रहते हैं. ये उतार-चढाव कभी ऐसे होते हैं कि आप उन्हें नोटिस भी नहीं कर पाते और कभी इतने तीव्र होते हैं कि आप हैरान हो जाते हैं. आप किसी क्लाइमेक्स का इंतज़ार कर रहे होते हैं और एन्टी-क्लाइमेक्स आ जाता है. टोक्यो में आज का दिन भारत के लिए एन्टी-क्लाइमेक्स का दिन था.

पिछले दो दिनों से हम तमाम खेलों में पदक की ओर मजबूती से क़दम बढ़ा रहे थे कि आज अचानक ब्रेक लग गए और पदक की उम्मीदें कांच की तरह टूट कर बिखर गई. अतानु हारे, सिंधु हारीं, पूजा हारी और अमित पंघाल हारे. मानो भारत की उम्मीद ही हार गई हो.

हां, निराशा के इस घटाटोप में कमलप्रीत का डिस्कस थ्रो के फ़ाइनल में और महिला हॉकी टीम का क्वार्टर फ़ाइनल में पहुंचना सिल्वर लाइनिंग की तरह था.

टोक्यो ओलंपिक खेलों के मुक़ाबले अब दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर गए हैं. पहले सप्ताह में भारत ने एक रजत पदक वेटलिफ्टिंग में जीता. और एक पदक मुक्केबाज़ी में पक्का किया. इस पदक का रंग क्या होगा, यह इसी हफ़्ते पता चलेगा. और यह भी कि भारत के हिस्से में कुल कितने पदक आते हैं.

भारत के लिए आठवें दिन की शुरुआत एक बेहतरीन नोट पर हुई. एथलेटिक्स में डिस्कस थ्रो का आज क्वालिफ़िकेशन राउंड था. इसमें भारत की सीमा पूनिया और कमलप्रीत कौर सहित कुल 31 प्रतिभागी थीं. फ़ाइनल में क्वालीफ़ाई करने के लिए 64 मीटर की थ्रो या बेस्ट 13 में आना ज़रूरी था.

सीमा पूनिया 60.57 मीटर की थ्रो के साथ अपने ग्रुप में 6ठे स्थान पर रहीं और फ़ाइनल राउंड के लिए क्वालीफ़ाई करने में असफल रहीं. लेकिन कमलप्रीत कौर ने अपने तीसरे प्रयास में 64 मीटर डिस्कस फेंक कर फ़ाइनल में प्रवेश किया. वह अभी हाल ही में फ़ेडरेशन कप में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर सुर्ख़ियों में आई थीं. वे अपने ग्रुप में दूसरे स्थान पर रहीं. लेकिन पुरुषों की लंबी कूद में भारत के श्रीशंकर फ़ाइनल के लिए क्वालीफ़ाई नहीं कर सके. वे 7.69 मीटर की छलांग के साथ 25वें स्थान पर रहे.

महिला हॉकी टीम ने आज अपना अंतिम ग्रुप मैच दक्षिण अफ्रीका से खेला. टीम तीन हार और उसके बाद आयरलैंड पर कल 1-0 की जीत से ग्रुप में चौथे स्थान पर थीं. भारतीय टीम को क्वार्टर फ़ाइनल में प्रवेश के लिए आज का मैच जीतना ज़रूरी था. दोनों ही टीमों ने आज शानदार खेल दिखाया.

ये दोनों ही टीमों का इस प्रतियोगिता का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था. भारत की टीम इक्कीस साबित हुई और उसने दक्षिण अफ्रीका का 4-3 से हरा दिया. भारत की वंदना कटारिया ने तीन गोल किए. ओलंपिक में हैटट्रिक करने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.

क्वार्टर फ़ाइनल में प्रवेश करने के लिए भारत को न सिर्फ़ जीतना था बल्कि आज के अंतिम लीग मैच में इंग्लैंड को आयरलैंड से नहीं हारना था. ये मैच इंग्लैंड ने 2-0 से जीतकर भारत का आगे बढ़ने का रास्ता साफ़ कर दिया. भारत दो अगस्त को ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वार्टर फ़ाइनल में खेलेगा.

आज तीरंदाजी में भारत का अभियान अतानु दास की हार के साथ समाप्त हो गया. प्री क्वार्टर फ़ाइनल में आज अतानु का मुक़ाबला जापान के ताकाहारु से था. वे ये मुक़ाबला 4-6 अंकों से हारे. ताकाहारु ने इस स्पर्धा का कांस्य पदक जीता. जबकि स्वर्ण पदक टर्की के मेटे गजोज़ ने और रजत इटली के मैरो नैपोली ने जीता.

निशानेबाज़ी में भारतीय निशानेबाज़ों का ख़राब प्रदर्शन आज भी जारी रहा. 50 मीटर राइफ़ल 3 पोजीशन स्पर्धा में आज अंजुम मौदगिल और तेजस्विनी सावंत भाग ले रही थीं. लेकिन उन्होंने आज भी निराश किया और क्वालिफ़िकेशन राउंड से ही बाहर हो गईं.

सौरभ चौधरी के अलावा कोई भी भारतीय निशानेबाज़ किसी भी स्पर्धा के फ़ाइनल राउंड में नहीं पहुंच सका. आज इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक स्विट्ज़रलैंड की नीना क्रिस्टीन ने जीता. रजत और कांस्य पदक रूस की यूलिया ज्यकोवा और यूलिया करीमोव ने जीता.

निशानेबाज़ों के अलावा मुक्केबाज़ों से अच्छे प्रदर्शन की और पदक की बहुत उम्मीदें थीं. इस उम्मीद पर महिला मुक्केबाज़ तो खरी उतरीं पर पुरुष मुक्केबाज़ नहीं. आज विश्व नंबर एक भारत के अमित पंघल कोलंबिया के मुक्केबाज युबरजेन मार्टिनेज से पहले ही राउंड में 1-4 से हारकर प्रतियोगिता से बाहर हो गए.

उनकी हार से भारत की पदक की उम्मीदों को भारी झटका लगा. वे चौथे भारतीय पुरूष मुक्केबाज़ हैं, जो पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गए. उधर महिलाओं के 69 किलोग्राम वर्ग में आज क्वार्टर फ़ाइनल में पूजा रानी का मुक़ाबला चीन की ली कुआन से था. वे अपना पहले का प्रदर्शन नहीं दोहरा सकीं और आसानी से 0-5 से मुक़ाबला हार गईं.

बैडमिंटन में पदक की बड़ी उम्मीद और विश्व चैंपियन पीवी सिंधु का मुक़ाबला चाइनीज ताइपे ताई जू यिंग से था. पिछली बार उन्होंने रियो में रजत पदक जीता था. वे इस बार अभी तक एक भी गेम नहीं हारी थीं और सभी प्रतिद्वंद्वियों को आसानी से सीधे गेमों में हराया था और जबरदस्त फ़ॉर्म में थीं.

लेकिन आज सिंधु अपने रंग में नहीं दिखी. वे ताई जू यिंग से सीधे सेटों 18-21 और 12-21 से हार गईं. पहले गेम में सिंधु ने अच्छा खेल दिखाया. हर पॉइंट के लिए कड़ा संघर्ष था. पहले गेम में जब स्कोर 18-18 बराबर था, ताई जू ने गियर बदला और गेम 21-18 से जीत लिया.

दूसरे गेम में सिंधु के पास ताई जू के डिसेप्टिव स्ट्रोक्स और नेट के खेल का कोई जवाब नहीं था. और आसानी से 12-21 से हार गईं. जिस आसानी से ताई जू ने अंतिम दो अंक लिए, वे ताई जू की क्लास की ताईद करते हैं और ये भी कि सिंधु ने मैच ख़त्म होने से पहले ही हार मान ली.

इसके विपरीत सिंधु अंतिम समय तक कड़ा संघर्ष करने के लिए जानी जाती हैं. वे कभी भी इस तरह से हार नहीं मानती. निःसन्देह भारत के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा सदमा था. इससे पहले बैडमिंटन के पहले सेमीफ़ाइनल में मुक़ाबला चीन की दो खिलाड़ियों चेन यू फे और ही बाओ जियान के बीच था. फे ने बाओ को 21-16,13-21 और 21-12 से हराकर फ़ाइनल में प्रवेश किया. अब कांस्य पदक के लिए कल सिंधु चीन की ही बाओ जियान से खेलेंगी.

और अब कुछ और बातें टोक्यो ओलंपिक एरीना से

सेलिंग में पुरुषों की आर एस एक्स विंडसर्फिंग स्पर्धा का स्वर्ण पदक नीदरलैंड के किरन बड़लै ने जीता. जबकि इस स्पर्धा का रजत पदक फ्रांस के थॉमस गोयार्ड ने और कांस्य चीन के कुन बी ने जीता.

जिम्नास्टिक में पुरुषों की ट्रंपोलिन स्पर्धा का स्वर्ण पदक बेलारूस के इवान लिट्विनोविच ने लगातार दूसरा बार जीता. इसका रजत पदक चीन के दोंग दोंग ने और न्यूज़ीलैंड के डिलन श्मिट ने कांस्य पदक जीता.

टेनिस का महिला एकल का कांस्य पदक यूक्रेन की एलिना स्वितोलीना ने जीता. उन्होंने कजाकिस्तान की एलिना रीबाक़ीना को 1-67-6(7-5), 6-4 से हराया. वे टेनिस में यूक्रेन के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं.

अगर आज की एथेलेटिक्स की बात करें तो पुरुषों की डिस्कस थ्रो में स्वीडन के डेनियल स्टाल ने स्वर्ण और यहीं के सिमोन पीटरसन ने रजत पदक जीता और ऑस्ट्रिया के लुकास ने कांस्य पदक.

महिलाओं की 100 मीटर दौड़ में जमैका ने क्लीन स्वीप किया. वर्तमान चैंपियन एलेन थॉम्पसन हेराह ने 10.61 सेकंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता. ये इस दौड़ का अब तक का दूसरा सबसे तेज समय है. विश्व रिकॉर्ड 1988 में ग्रिफिथ जोयनर ने 10.49 का बनाया था. शैली एन फ्रेजर ने 10.74 सेकंड के साथ रजत और जैकसन ने 10.76 सेकंड के साथ कांस्य पदक जीता. पोलैंड की टीम ने 4×400 मीटर मिक्स्ड दौड़ पोलैंड ने जीती जबकि डोमिनिकन रिपब्लिक ने रजत और अमेरिका ने ब्रॉन्ज पदक जीता. ट्राईथलॉन मिक्स्ड स्पर्धा का स्वर्ण पदक ब्रिटेन ने जीत लिया है.

फेंसिंग में महिलाओं की साब्रे टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक रूस ने, रजत फ्रांस ने और साउथ कोरिया ने कांस्य पदक जीता.

बैडमिंटन में युगल स्पर्धा का ख़िताब चाइनीज ताइपे के ली यांग और वांग ची लिन की जोड़ी ने चीन की ली जुनहुई और लियु युचेन की जोड़ी को सीधे सेटों में 21-18 21-12से हराकर जीता. मलेशिया की जोड़ी ने कांस्य पदक जीता.

कतर के इब्राहीम एलबाख ने पुरुषों की 96 किलोग्राम वर्ग की वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में 402 किलोग्राम वजन उठाकर नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया. वेनेजुएला के वेलेनिला ने रजत और जॉर्जिया के एंटोन प्लिसनोई ने कांस्य पदक जीता.

और अब बात पदक तालिका की. आज खेल प्रतिस्पर्धाओं की समाप्ति पर पदक तालिका में चीन 21 स्वर्ण पदकों सहित 46 पदक जीत कर पहले स्थान पर, जापान 17 स्वर्ण पदकों सहित कुल 30 पदक लेकर दूसरे पर और अमेरिका 16 स्वर्ण पदक सहित कुल 46 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है. भारत एक रजत के साथ पदक तालिका में अब 60वें स्थान पर पहुंच गया है.

और आज चलते-चलते बात नोवाक जोकोविच की. वे टेनिस के महानतम खिलाडियों में से एक हैं और 20 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुके हैं. इस बार वे गोल्डन ग्रैंड स्लैम के लिए टोक्यो ओलंपिक में थे. सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था. वे बहुत आसानी से सेमीफ़ाइनल तक पहुंच गए थे. और अपने लक्ष्य से केवल दो जीत दूर थे कि जर्मनी के अलेक्जेंडर ज्वेरेव ने उन्हें हरा दिया. उनका सपना टूट गया.

लेकिन उनके लिए शायद इतना काफ़ी नहीं था. आज वे कांस्य पदक के लिए स्पेन के पाब्लो करेन बुस्ता से खेल रहे थे. लेकिन बुस्ता ने उन्हें 3-6, 7-6(8-6), 6-4 से हरा दिया. वे मिश्रित युगल में भी एक पदक जीत सकते थे पर उससे भी कंधे की चोट के कारण नाम वापस ले लिया. उन्होंने बीजिंग, लंदन, रियो और टोक्यो कुल चार ओलंपिक खेलों में भाग लिया. वे केवल एक पदक जीत सके. बीजिंग 2008 में कांस्य पदक.

यही ओलंपिक खेलों का रोमांच है और विशेषता भी. इन खेलों का मिज़ाज एकदम अलग होता है. यहां बड़े बड़े नाम खेत रहते हैं और अनजान खिलाड़ी अपने देश के लिए हीरो बन जाते हैं. यहां खिलाड़ी अपने देश के लिए खेलता है. और उसके पीछे पूरा देश खड़ा होता है. ओलंपिक में पदक जीतना हर खिलाड़ी के सपना होता है. इसीलिए एक खिलाड़ी ने चाहे जो प्रतियोगिता जीती पर ओलंपिक में ज़रूर जीतना चाहता है. यही ओलंपिक आंदोलन की, ओलंपिक खेलों की सफलता है.

कवर | हॉकी इंडिया से साभार/ट्वीटर

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