ओलंपिक रिपोर्ट | सिंधु को कांस्य, 49 साल बाद हॉकी टीम सेमीफ़ाइनल में
01 अगस्त, 2021 | टोक्यो ओलंपिक. स्पर्धाओं का नवां दिन.
हर रात की एक सुबह होती है. निराशाओं और हताशाओं के बादल चाहे जितने घने हों रोशनी उनसे होकर रास्ता बना ही लेती है. कल की हार की उदासी आज की जीत से हवा में रुई की माफिक़ उड़ गई. आज भारत ने अपने खाते में एक और पदक जमा किया. तो हॉकी ने अपनी खोई प्रतिष्ठा का एक अंश और जमा किया. दीगर बात है कि हॉकी में यह सवेरा एक लंबी रात के बाद हो रहा है. 41 साल लंबी रात. और यह भी कि सतीश ने बताया कि वह एक सच्चे खिलाड़ी और बहादुर सैनिक हैं.
आज बैडमिंटन के महिला एकल स्पर्धा का कांस्य पदक का मुक़ाबला पीवी सिंधु और चीन की ही बिंग जियाओ के बीच खेला गया. पहले पॉइंट के लिए चली लंबी रैली ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि यह मुकाबला संघर्षपूर्ण रहने वाला है. सिंधु ने शुरू में ही 3-0 बढ़त ले ली. लेकिन बिंग ने स्कोर 8-8 किया.
उसके बाद सिंधु ने आक्रामक खेल दिखाया और शानदार स्मैश लगाए और 6 अंकों की साथ बढ़त के साथ स्कोर 14-8 किया. यह अंतर अंत तक बना रहा और पहला गेम 21-13 से जीत लिया. दूसरे गेम में भी सिंधु ने आक्रामक स्मैश लगाए और 5-2 की बढ़त बना ली.
लेकिन लंबी रैलियां हुई और कड़ा संघर्ष. स्कोर 11-11 हुआ. सिंधु ने जल्द ही 4 अंकों की बढ़त से 15-11 स्कोर किया. अंततः इस गेम को 21-15 से जीतकर एक नया इतिहास रचा. स्कोर से मैच के संघर्ष का पता नहीं चलता. बिंग ने कड़ा संघर्ष किया और पूरे मैच में लंबी रैलियां खेली गई.
यह सिंधु की संघर्ष से अर्जित की जीत थी. आज वे इतना आक्रामक खेल रहीं थी और इतने तेज स्मैश लगा रहीं थी मानो वो कल की हार का ग़ुस्सा निकाल रही हों और उसका बदला ले रही हों. वे दो ओलंपिक मेडल जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी (सुशील कुमार के बाद) और पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.
इस तरह भारत को इस ओलंपिक का दूसरा पदक मिला. इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक चीन की चेन यू फेई ने चाइनीज ताइपे की ताई जू यिंग को 21-18, 19-21, 21-18 से हराकर जीत लिया.
बैड़मिंटन की एकल पुरुष स्पर्धा में डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसेन का मुकाबला चीन के चेन लांग से होगा. चेन लांग इंडोनेशिया के एंथोनी जिंटिंग को 21-16, 21-11 से हराया. जबकि दूसरे सेमीफ़ाइनल में एक्सेलसेन ने गुआटेमाला के केविन कोर्डिन को 21-18, 21-11 से हराया.
आज टोक्यो में हॉकी के क्वार्टर फ़ाइनल मुक़ाबले सम्पन्न हुए. पहले क्वार्टर फ़ाइनल में जर्मनी ने अर्जेंटीना को 3-1 से हराया. दूसरे क्वार्टर फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने रेगुलर टाइम में 2-2 से बराबरी के बाद पेनाल्टी शूटआउट में नीदरलैंड को 3-0 से हराया. तीसरे क्वार्टर फ़ाइनल में बेल्जियम ने स्पेन को 3-1 से हराया.
चौथा क्वार्टर फ़ाइनल भारत और ग्रेट ब्रिटेन से था. ये भारत के लिए बहुत अहम मुक़ाबला था और 49 साल में पहली बार अंतिम चार में जगह बनाने और खोई प्रतिष्ठा पाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था. इस मैच में भारत ने बहुत ही शानदार शुरुआत की. और आठवें मिनट में ही दिलप्रीत ने फ़ील्ड गोल करके 1-0 की बढ़त दिला दी.
उसके बाद दूसरे क्वार्टर में गुरजंत ने एक और फ़ील्ड गोल्ड कर भारत की 2-0 की बढ़त बना दी. हाफ़ टाइम के बाद इंग्लैंड की टीम ने भारत पर दबाव बनाया और इसका उन्हें फ़ायदा मिला. तीसरे क्वार्टर में बिल्कुल अंतिम एक गोल कर स्कोर 2-1 कर दिया. चौथे क्वार्टर में ख़राब अंपायरिंग के कारण अंतिम 7 मिनट के रहते कप्तान हरमनप्रीत येलो कार्ड से बाहर कर दिए गए.
भारत ने फिर भी शानदार खेल दिखाया और 57वें मिनट में हार्दिक ने एक गोल और करके भारत की बढ़त 3-1 की कर दी. यही अंतिम स्कोर लाइन रही और 49 साल बाद भारत ने ओलंपिक हॉकी के सेमीफ़ाइनल में प्रवेश किया.
इससे पहले 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में सेमीफ़ाइनल खेली थी और पाकिस्तान से 2-0 से हार गई थी. हालांकि 1980 में भारत ने मास्को ओलंपिक में स्वर्ण जीता था. पर इसमें पश्चिमी देशों के बहिष्कार के कारण केवल छह टीमों ने भाग लिया था और सेमीफ़ाइनल फ़ॉरमेट नहीं था. अब सेमीफ़ाइनल में भारत का मुक़ाबला बेल्जियम से होगा.
आज मुक्केबाज़ी में भारत का एक मुक़ाबला था. सुपर हैवीवेट वर्ग में क्वार्टर फ़ाइनल में सतीश कुमार का मुक़ाबला वर्तमान एशियन और विश्व चैंपियन उज़्बेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव से था. ये मुक़ाबला वे 0-5 से हार गए.
लेकिन सतीश कुमार की तारीफ़ करनी होगी कि माथे में सात टांके लगे होने के बावजूद वे रिंग में उतरे और पूरा मुक़ाबला खेला. पिछले मुक़ाबले में उन्हें चोट लग गयी थी. उनके इस मुक़ाबले में उतरने में संदेह था. मेडिकल में परीक्षण के बाद उन्हें खेलने की अनुमति मिल गयी.
वे भले ही हार गए हों लेकिन खेल जीत-हार भर नहीं होते, वे एक खिलाड़ी का साहस, उसका दृढ़ निश्चय और खेल के प्रति उसकी प्रतिबद्धता भी होते हैं. आज सतीश ने रिंग में उतरकर यह साबित किया. वे एक खिलाड़ी ही नहीं, एक सैनिक भी हैं. उन्हें वहां आख़िरी दम तक लड़ना सिखाया जाता है. और उन्होंने यहां एक सैनिक और एक खिलाड़ी की सच्ची भावना का प्रदर्शन किया. ये ओलंपिक भावना की जीत थी.
गोल्फ़ में भारत के अनिर्बान लाहिरी तीसरे राउंड के बाद 43वें और उदयन माने 56वें स्थान पर थे. चौथे राउंड के बाद भी स्थिति में कोई अंतर नहीं आया. लाहिरी 42वें और माने 56वें स्थान पर रहे.
टोक्यो से ही कुछ और ख़बरें
टेनिस में पुरूष एकल का स्वर्ण पदक जर्मनी के अलेक्जेंडर ज्वेरेव ने रूस के करें खाचानोव को 6-3,6-1 से हराकर जीत लिया. ज्वेरेव ने सेमीफ़ाइनल में जोकोविच को हराया था. छह फुट छह इंच के ज्वेरेव ने अपनी दमदार सर्विस और विश्वास से भरे बैकहैंड से मैच पर नियंत्रण बनाए रखा. उन्होंने पूरे मैच के दौरान 25वीं रैंकिंग के खाचनोव को कोई मौका नहीं दिया. कांस्य स्पेन के बुस्ता ने जीता.
और एथेलेटिक्स की पुरुषों की 100 मीटर दौड़ जमैका के धावकों की अनुपस्थिति में इटली के लमोंत मार्सेल जैकब्स ने 10.80 सेकंड का समय निकाल कर जीत ली. अमेरिका के फ्रेड केरले ने 10.84 सेकंड निकालकर रजत और कनाडा के आंद्रे ग्रास ने 10.89 सेकंड का समय लेकर कांस्य पदक जीता. 1996 के अटलांटा ओलंपिक के बाद यह पहला मौक़ा है, जब अमेरिका और जमैका के अलावा किसी और देश के धावक ने यह दौड़ जीती है. अटलांटा में कणाद के डोनावेल वैली ने ये स्पर्धा जीती थी.
वेनेजुएला की दो बार की विश्व चैंपियन युलिमार रोजस ने नए विश्व रिकॉर्ड के साथ महिलाओं की ट्रीपल जम्प में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने 15.67 मीटर की जम्प के साथ यूक्रेन की इनेसा क्रवेट द्वारा 1995 में बनाया 15.50 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ा. इस स्पर्धा का रजत पुर्तगाल की पैट्रिशिया ममोना ने और कांस्य स्पेन की एना पेलेटीरो ने जीता .
क़तर के मुताज़ ईसा बरशिम ने इटली के जिनमार्को तांबेरी के साथ संयुक्त रूप से पुरुषों का ऊंची कूद का स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने 2.37 मीटर ऊंची कूद लगाई. हालांकि बेलारूस के मक्सिम नेदसेकौ ने भी 2.37 मीटर ऊंची कूद लगाई पर उनके असफल प्रयास अधिक होने के कारण उन्हें कांस्य पदक पर संतोष करना पड़ा.
महिलाओं की शॉटपुट स्पर्धा का स्वर्ण चीन की एल जे गोंग ने 20.58 मीटर गोला फेंक कर जीता. अमेरिका की आर सॉन्डर्स ने 19.79मीटर की थ्रो के साथ रजत और न्यूज़ीलैंड की वी एडम्स ने 19.62 की थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता.
और अब बात पदक तालिका की. आज खेल प्रतिस्पर्धाओं की समाप्ति पर पदक तालिका में चीन 24 स्वर्ण पदकों सहित 51 पदक जीत कर पहले स्थान पर, अमेरिका 20 स्वर्ण पदकों सहित कुल 59 पदक लेकर दूसरे पर और जापान 17 स्वर्ण पदक सहित कुल 31 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है. भारत एक रजत और एक कांस्य सहित कुल दो पदकों के साथ पदक तालिका में अब 59वें स्थान पर पहुंच गया है.
और आज फिर पदकों की उम्मीद का भार लड़कियों के कंधों ने उठाया. एक सलाम सिंधु को और निःसन्देह राष्ट्रीय खेल के गौरव के एक अंश को प्रतिष्ठापित करने के लिए एक सलाम लड़कों को भी.
दोनों तस्वीरें | ट्वीटर से साभार.
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