ओलंपिक रिपोर्ट | 41 बरस बाद पूरी हुई साध

05 अगस्त 2021 | टोक्यो ओलंपिक. स्पर्द्धाओं का 13वां दिन.

बहुत बार ऐसा होता है कि एक छोटी-सी इच्छा पूरी न होने से और लंबे समय तक उसका इंतज़ार बने रहने से वो हमारी सबसे बड़ी चाहना बन जाती है. वह इतना बड़ा आकार ले लेती हैं कि उसके सामने बड़ी से बड़ी इच्छाएं बौनी हो जाती हैं. यहां तक कि दूसरी बड़ी उपलब्धियां भी उस चाहना को ख़त्म या रिप्लेस नहीं कर पातीं. हॉकी की हमारी एक गौरवशाली विरासत थी, जिसे हम संभाल नहीं सके. उसे संभालने के प्रयास में मिली एक जीत बाकी सारी जीतों को किस तरह आच्छादित कर लेती है, यह हॉकी में आज की जीत बताती है.

आज भारत ने टोक्यो में अपने अभियान की अब तक की सबसे शानदार शुरुआत की. आज कांस्य पदक के लिए भारत की पुरूष हॉकी टीम का मुक़ाबला जर्मनी से था. बहुत ही रोमांचक और संघर्षपूर्ण मैच में भारत ने जर्मनी को 5-4 से हरा दिया और कांस्य पदक जीत लिया.

जिस खेल में आपने 08 स्वर्ण पदक जीते हों, देखा जाए तो उसमें कांसे का पदक जीत लेना बहुत बड़ी बात नहीं मानी जाएगी. लेकिन किसी जीत का महत्व इस बात से निर्धारित नहीं होता कि तमग़े का रंग क्या है बल्कि इस बात से होता है वे तमग़े किस समय और परिस्थितियों में जीते गए हैं.

यह 41 साल लंबे इंतज़ार का अंत था. यह पुराने गौरव के एक अंश को पुनः प्रतिष्ठापित कर देना था. यह ध्यानचंद की विरासत को स्थापित करने का और राष्ट्रीय खेल के खोए गौरव को पुनर्स्थापित करने का प्रयास था. आज का मैच खेल की ऊंचाइयों को छू रहा था. इसमें वह सब कुछ था जो आज की हॉकी में लोग देखना चाहते हैं. अशोक कुमार कहते हैं कि यह एक ऐसा मैच था कि अब से सारे कोच इस मैच की वीडियो रेफरेंस के लिए अपने पास रखेंगे.

पहला गोल जर्मनी ने किया. खेल शुरू होते ही जर्मनी ने भारत पर 1-0 से बढ़त ले ली. दूसरे क्वॉर्टर के शुरुआत में ही भारत के सिमरनजीत ने गोल दागकर स्कोर बराबर कर लिया. इसके बाद जर्मनी ने भी दूसरा गोल दाग दिया और 2-1 से आगे हो गया. यही नहीं दूसरे क्वॉर्टर के ख़त्म होने से 6 मिनट पहले जर्मनी ने स्कोर 3-1 कर दिया.

भारत इससे हतोत्साहित नहीं हुआ. और दूसरा क्वार्टर ख़त्म होते-होते हार्दिक सिंह और हरमनप्रीत सिंह ने गोल कर भारत को 3-3 की बराबरी दिला दी. तीसरे क्वॉर्टर के तीसरे मिनट में रुपिंदर पाल सिंह ने पेनाल्टी स्ट्रोक पर गोल दागकर भारत को 4-3 से बढ़त दिला दी और फिर सिमरनजीत ने भारत की बढ़त को 5-3 कर दिया. उसके बाद जर्मनी ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी.

यहां तक कि आख़िरी चार मिनट में तो गोलकीपर की जगह एक और खिलाड़ी को उतार कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की. अंततः भारत ने मुक़ाबला 5-4 से जीतकर इस ओलंपिक का चौथा पदक अपनी झोली में डाला. एक बार फिर श्रीजेश ने शानदार रक्षण किया और जीत में अहम योगदान दिया. उम्मीद की जानी चाहिए कि यह जीत भारतीय हॉकी में नए युग की शुरुआत साबित हो.

इस स्पर्धा के फ़ाइनल में बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया के बीच भी रोमांचक मैच खेला गया. रेगुलर टाइम में 1-1 मुक़ाबला बराबरी पर रहने के कारण पेनाल्टी शूट आउट में बेल्जियम ने ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से परास्त कर स्वर्ण पदक जीत जीता.

कल जहां कुश्ती में भारतीय पहलवानों ने ख़ुश होने के मौके दिए, वहां आज सुबह एक ख़राब शुरुआत की. पहले अंशु मलिक रेपीचेज में रूस की वेलेरिया कोबालोव से 1-5 से हार गईं और इस स्पर्धा में अंशु की निराशाजनक चुनौती ख़त्म हुई. कुश्ती में भारत को विनेश फोगाट से बड़ी उम्मीदें थीं. 53 किलोग्राम वर्ग में उन्हें पहली वरीयता मिली थी. उन्होंने अपने अभियान की शुरुआत भी अच्छी की और पहले राउंड में स्वीडन की सोफिया मैटसन को आसानी से 7-1 अंकों से हराया था.

लेकिन अपना क्वार्टर फ़ाइनल मुक़ाबला रूस की वेनेसा कालाजिनस्काया से 3-9 से हार गईं. और इस तरह उनका इस ओलंपिक का अभियान ख़त्म हुआ. कुश्ती में सबसे बड़ी जिज्ञासा इस बात को लेकर थी कि रवि कुमार दहिया गोल्ड जीत पाएंगे या नहीं. पर आज वे भी असफल रहे. 57 किलोग्राम बर्फ की इस स्पर्धा के फ़ाइनल में रूस के विश्व चैंपियन जेड. युगेव से कड़ा मुक़ाबला किया पर 4-7 अंकों से हार गए और रजत पदक जीता.

ओलंपिक में कुश्ती का पदक जीतने वाले वे 5वें भारतीय पहलवान हैं. आज कुश्ती में अंतिम चुनौती 86 किलोग्राम में दीपक पुनिया की थी, जो कांस्य पदक के लिए सान मोरिनो के माइल्स एमिली से खेल रहे थे. यह एक बहुत ही क़रीबी और कड़ा मुक़ाबला था. अंतिम एक मिनट पहले तक दीपक 2-1 अंकों से आगे थे. समाप्ति के 5 सेकंड पहले एमिली ने दो अंक जीतकर दीपक को 4-2 अंकों से परास्त कर दीपक को कांस्य पदक से वंचित कर दिया. एमिली को अंतिम दो अंक दिए जाने को भारत ने चैलेंज भी किया पर उसको स्वीकार नहीं किया गया. इस स्पर्द्धा का स्वर्ण पदक अमेरिका के डेविड टेलर ने ईरान के हसन यज़दानीचरती को हराकर जीता.

कासुमिगासेकी कंट्री क्लब में चल रही गोल्फ़ स्पर्धा में दूसरे राउंड में भी अदिति अशोक का शानदार प्रदर्शन जारी है और वे पदक की दौड़ में बनी हुई हैं. दूसरे राउंड के बाद 09 अंडर 133 स्कोर के साथ डेनमार्क की कोरेट्ज़ मड़सेन और एमिली क्रिस्टीन के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर बनी हुई हैं. पहले स्थान पर विश्व नंबर एक अमेरिका की नैली कोरडा हैं जिन्हें चार स्ट्रोक्स की बढ़त हासिल है.

टोक्यो ओलंपिक से ही कुछ और ख़बरें

ओलंपिक स्टेडियम में चल रही एथलेटिक्स स्पर्द्धाओं में पुरुषों की ट्रिपल जम्प स्पर्धा पुर्तगाल के पी. पिकार्डो ने 17.98 मीटर लंबी छलांग लगाकर जीत ली है. चीन के वाई.एम.झू ने 17.57 मीटर की छलांग के साथ रजत और बुर्किना फासो के एच. जंगो ने 17.47 मीटर की छलांग लगाकर कांस्य पदक जीता.

पुरुषों की शॉटपुट स्पर्धा का स्वर्ण पदक अमेरिका ने नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ जीता. उन्होंने 23.30 मीटर की थ्रो की. 22.65 मीटर थ्रो के साथ अमेरिका के ही जे. कोवेक्स ने रजत और 22.47 मीटर की थ्रो के साथ न्यूज़ीलैंड के टी. वाल्श ने कांस्य पदक जीता.

पुरुषों की 20 किलोमीटर पैदल चाल स्पर्धा इटली के एम.स्टानो ने जीती. उन्होंने 01 घंटा 21 मिनट और 05 सेकंड का समय लिया. जापान के के.इकेदा दूसरे स्थान पर और जापान के ही टी. यामानिशि तीसरे स्थान पर रहे. इस स्पर्धा में भारत के तीन खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे थे. संदीप कुमार ने 01 घंटे 25 मिनट और 07 सेकंड में दूरी पूरी की और 23वें स्थान पर रहे. राहुल 47वें स्थान पर और के.टी.इरफान 51वें स्थान पर रहे.

पुरुषों की 110 मीटर बाधा दौड़ में जमैका के एच पार्चमेंट ने 13.04 सेकंड में स्वर्ण पदक जीता. अमेरिका के जी. होलोवे ने 13.09 सेकंड के समय के साथ दूसरे और जमैका के आर.लेवी 13.10 सेकंड के समय के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

अमेरिका की केटी नेगोटे महिलाओं की पोलवॉल्ट स्पर्धा 4.90 मीटर ऊंची छलांग लगाकर जीती. रूस की ए.सिदोरोवा ने 4.85 मीटर के साथ सिल्वर और ब्रिटेन होली ब्रॉडशॉ ने कांस्य पदक जीता.

कनाडा के डेमियन वार्नर ने पुरुषों की डिकेथलॉन स्पर्द्धा का स्वर्ण,फ्रांस के केविन मेयर ने रजत और ऑस्ट्रेलिया के ऐश मोलोनी ने कांस्य पदक जीता.

पुरुषों की चार सौ मीटर स्पर्धा बहामास के स्टीवन गार्डिनर ने जीत ली है. कोलंबिया के एंथोनी जामब्रानो ने दूसरा और ग्रेनाडा के किरानी जेम्स ने तीसरा स्थान प्राप्त किया. उधर महिलाओं की हेप्टाथलॉन स्पर्धा नफी थिएम नीदरलैंड की अनॉक वेटर ने रजत और एमे ओस्टरवेगेल ने कांस्य पदक जीता.

आज बास्केटबॉल के पुरुषों के सेमीफ़ाइनल मैच खेले गए. पहले मैच में अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया को 97-78 से हराकर फ़ाइनल में प्रवेश किया. अब उनका मुक़ाबला फ्रांस से होगा जिसने दूसरे सेमीफ़ाइनल में स्लोवेनिया को 90-89 अंकों से हराया.

2019 की विश्व कप विजेता और टोक्यो में महिला फुटबॉल स्पर्धा जीतने की सबसे प्रबल दावेदार अमेरिका की टीम ने सेमीफ़ाइनल में कनाडा के हाथों अप्रत्याशित हार के बाद आज ऑस्ट्रेलिया को 4-3 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया. जबकि फ़ाइनल मैच गर्मी के कारण अब बाद में होगा.

चीन की 14 वर्षीया कुआन होंग चान ने 10 मीटर प्लेटफार्म डाइविंग में शानदार प्रदर्शन किया और 3 डाइव में परफेक्ट 10 अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीता. वो टोक्यो में चीन की सबसे कम उम्र की एथलीट हैं. इसका रजत पदक भी चीन की यू ज़ी ने जीता.

पदक तालिका
आज खेल प्रतिस्पर्धाओं की समाप्ति पर पदक तालिका में चीन 34 स्वर्ण पदकों सहित 74 पदक जीत कर पहले स्थान पर, अमेरिका 29 स्वर्ण पदकों सहित कुल 91 पदक लेकर दूसरे पर और जापान 22 स्वर्ण पदक सहित कुल 46 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर है. भारत 02 रजत और 03 कांस्य सहित कुल 05 पदकों के साथ पदक तालिका में अब 65वें स्थान पर पहुंच गया है.

और चलते-चलते
बात रेफरियों और निर्णायकों की. कई विशेषज्ञों का मानना है कि आज 57 किलोग्राम कैटेगरी के फ़ाइनल में अगर सही निर्णय होता तो परिणाम कुछ और होता. आज की बाउट में एक बार रूस का पहलवान रेड जोन में गया पर वक पॉइंट रवि को नहीं दिया गया.

ऐसे ही एक टैकल पर दो अंक रवि को नहीं दिए गए. अगर ये 3 अंक रवि को दिए गए तो परिणाम शायद अलग होता. यu इसी ओलंपिक का कोई अकेला ऐसा मुक़ाबले नहीं है जिसमें ख़राब निर्णय हुआ हो. मेरी कॉम की बाउट में भी एक राउंड हारने और दो राउंड जीतने के बाद भी निर्णय उनके ख़िलाफ़ गया.

भारत के हॉकी मैचों में भी बहुत ख़राब अंपायरिंग हुई. यह कहना मुश्किल है कि भारत के ख़िलाफ़ ख़राब निर्णय ख़ास मानसिकता के कारण आते हैं या मानवीय सीमाओं के कारण ऐसा होता है. अब टेक्नोलॉजी का समावेश हो गया है और ज़्यादातर खेलों में रेफेरल सिस्टम आ गया है. उसके बावजूद हो रही ख़राब अंपायरिंग निश्चय ही चिंता की बात है.

आपको याद होगा कि एक अंपायर ने सचिन के ख़िलाफ़ पूर्वाग्रह के कारण गलत निर्णय दिए हैं. सभी रेफरी और अंपायर आख़िरकार इंसान होते हैं और मानवीय क्षमता की अपनी सीमाएं हैं. अगर ये अपनी इन सीमाओं के कारण ग़लत और ख़राब निर्णय होते हैं तो इन्हें खेल का स्वाभाविक और अनिवार्य अंग मानकर इग्नोर किया जा सकता है लेकिन ऐसे निर्णय किसी पूर्वाग्रह के कारण होते हैं तो ये चिंतनीय होना चाहिए.

सभी तस्वीरें | ट्वीटर से साभार

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