महराजगंज | छह महीने बाद फिर गाँव लौटे फ़्रेंच मेहमान

महराजगंज| कोल्हुआ गाँव में पिछले साल मेहमान रहा फ़्रेंच परिवार छह महीने बाद आज शाम को फिर गाँव पहुंचा है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान यहाँ रहते हुए गाँव के लोगों से मिली आत्मीयता और स्नेह की स्मृति उन्हें फिर यहाँ खींच लाई.

फ़्रांस के टूलूज़ शहर के पोलारेज़ पैट्रिस जोसेफ़ और उनका कुनबा जुलाई 2019 में दुनिया की सैर को निकले हैं. हिंदुस्तान के कुछ शहरों से होते हुए पिछले साल 24 मार्च को ये लोग इस इरादे से गाँव पहुंचे थे कि अगले रोज़ सीमा पार करके नेपाल चले जाएंगे. मगर उसी रात लॉकडाउन की घोषणा के बाद नेपाल की सीमा सील हो गई तो पाँच लोगों का यह परिवार कोल्हुआ उर्फ सिहोरवा के शिव मंदिर परिसर में ठहर गया था.

20 सितंबर तक यह परिवार यानी कि पोलारेज़, उनकी पत्नी विरजीनी पोलारेज़, उनकी बेटियां ओफ़िली और लोला ज़ेनिफ़र और बेटा टॉम गाँव में ही रहे. 21 सितंबर को वे दिल्ली चले गए थे. इतवार की शाम को यह परिवार फिर कोल्हुआ पहुँचा तो गाँव के लोगों ने भी ख़ूब गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. उन लोगों ने इस बार भी शिव मंदिर में ही ठहरने का फ़ैसला किया.

पोलारेज़ ने बताया कि घूमने के दौरान मिले कुछ और फ़्रेंच टूरिस्ट के साथ उन लोगों ने हिमाचल प्रदेश की तरफ़ से सीमा पार करके चीन जाने की योजना बनाई मगर उनकी गाड़ी में कुछ गड़बड़ी हो गई और कुछ साथियों की गाड़ियों के परमिट नहीं बन पाए. उनके पास वक़्त था तो उन्होंने सोचा कि एक बार चलकर गाँव में सबसे मिल आएं.

पोलारेज़ पैट्रिस पेशे से मोटर मैकेनिक हैं. उनकी पत्नी विरजीनी स्वास्थ्य सेवा में हैं. पिछली बार गांव में रहते हुए पोलारेज़ दम्पति ने बच्चों के साथ मिलकर पौधरोपण किया था. उनका कहना था कि पौधे गांव में उनके ठहरने के निशानी के तौर पर तो रहेंगे ही, पर्यावरण को बेहतर बनाने में यह उन सबका छोटा-सा योगदान होगा.

पोलारेज़ की शुरुआती योजना तो 24 देशों की यात्रा करने की थी मगर लॉकडाउन के बाद बदले दुनिया के हालात की वजह से उनकी योजना पूरी तरह सिरे नहीं चढ़ पाई है. हालांकि आने से पहले वे यूरोप, तुर्की, जॉर्जिया, ओमान, ईरान और पाकिस्तान घूम आए हैं.

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