वेटिंग फ़ॉर नसीर | हास्य की परतों में अस्तित्व के सवाल

बरेली | विंडरमेयर थिएटर में सोमवार की शाम को बंगलूरु की नाट्य संस्था ‘कहे विदूषक’ के कलाकारों ने ‘वेटिंग फ़ॉर नसीर’ का मंचन किया. नसीरुद्दीन शाह के दीवाने दो कलाकारों की बातचीत के हवाले से यह रंगमंच की दुनिया से संघर्षों, उसकी अंदरूनी सच्चाइयों, नायक पूजा और इसी के समानांतर ज़िंदगी का फ़लसफ़ा असरदार ढंग से बयान करता है.
मुंबई के पृथ्वी थिएटर के कैफ़ेटेरिया में शुरू होने वाली इस कहानी में व्यंग्य-हास्य और हाज़िरजवाबी के कई मौक़े आते हैं, जो दर्शकों को गुदगुदाते है, मगर कचोटते भी कम नहीं. कई तरह के अस्तित्वगत सवालों से जूझता हुआ यह नाटक परत दर परत नई करवट लेकर ईर्ष्या, प्रतिद्वंद्विता, पश्चाताप और सहानुभूति के भाव जगाता है, अपनी लय और गति से दर्शकों पर छाता जाता है और पकड़ मज़बूत बनाए रखता है.
नाटक के निर्देशक श्रीनिवास बीसेट्टी ने बताया कि मुंबई के काला घोड़ा आर्ट्स फ़ेस्टिवल और दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर थिएटर फ़ेस्टिवल सहित देशभर में 40 से अधिक नाट्यशालाओं में प्रस्तुति देने के बाद ‘वेटिंग फ़ॉर नसीर’ उत्तर प्रदेश के सफ़र पर निकला है. इस सफ़र में बरेली का विंडरमेयर थिएटर एक ख़ास पड़ाव है क्योंकि विंडरमेयर का ब्लैक बॉक्स थिएटर और बरेली के दर्शक ऐसे नाटकों के मंचन के लिए बहुत मुफ़ीद हैं.
मौलिक पांडेय, माहिर मुहिउद्दीन और नमन रॉय के अभिनय से सजा यह नाटक युवा लेखिका सपन सरन ने लिखा है. दया दृष्टि चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. बृजेश्वर सिंह ने ‘कहे विदूषक’ के सभी कलाकारों और दर्शकों को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि जल्दी ही विंडरमेयर अपना एक नया प्रोडक्शन शुरू करने जा रहा है. इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के साथ थिएटर वर्कशॉप भी जल्दी ही शुरू होगी.
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