जश्न-ए-हबीब का यादगार आयोजन
कोलकाता | संस्कृतिकर्मी हबीब तनवीर की जन्मशती के मौके पर आयोजित तीन दिन के जलसे का इतवार को समापन हुआ. ‘देख रहे हैं नयन’ के नाम से यह जलसा ‘कोलकाता सेंटर फ़ॉर क्रिएटिविटी’ ने आयोजित किया. ‘जश्न-ए-हबीब’ के दौरान फ़ोटो प्रदर्शनी लगाई गई और किताब का लोकार्पण हुआ. इसके साथ ही थिएटर की दुनिया के कई नामवर लोग पैनल डिस्कशन में जुटे, मास्टरक्लास में शिरकत की, ‘नया थिएटर’ के दौर के गाने और संगीत की प्रस्तुतियां हुईं, और उनकी शख़्सियत पर केंद्रित ‘हबीबनामा’ भी.
30 अगस्त से 1 सितंबर, 2024 तक चले ‘जश्न-ए-हबीब’ में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह, हबीब तनवीर की बेटी और ठुमरी गायिका नगीन तनवीर, अभिनेता रघुवीर यादव, फ़िल्मकार सुधीर मिश्रा, अभिनेता एमके रैना, मशहूर क्रिटिक शमीक बंद्योपाध्याय, पटकथा लेखक अतुल तिवारी, कवि अशोक वाजपेई, रंगकर्मी अनुराधा कपूर, सुमन घोष, सुधानवा देशपांडे, लेखिका अंजुम कात्याल और ब्रॉडकास्टर-जर्नलिस्ट सैयद मोहम्मद इरफ़ान समेत भी शरीक हुए. ‘जश्न-ए-हबीब’ का उद्घाटन नसीरुद्दीन शाह ने किया.
हबीब तनवीर और थिएटर में उनकी विरासत : उद्घाटन के फ़ौरन बाद पहले दिन ‘हबीब तनवीर और थिएटर में उनकी विरासत’ पर अंग्रेज़ी की एक किताब जारी की गई. अंजुम कात्याल और जावेद मलिक द्वारा संपादित इस किताब के विमोचन के बाद इस पर विस्तार से बात भी हुई, जिसमें अभिनेता-निर्देशक दानिश हुसैन, अंजुम कात्याल और दूसरे कलाकारों ने हिस्सा लिया.
नगीन तनवीर ने गाने सुनाए : हबीब तनवीर की बेटी नगीन तनवीर ने अपने पिता की याद में कुछ गीत सुनाए. इसमें कुछ छत्तीसगढ़ी लोकगीत भी थे, तो कुछ ग़ज़लें और अतुल प्रसाद का लिखा बांग्ला का एक पुराना गीत भी था.
‘हबीबनामा’ नाटक का हुआ मंचन : शाम को ‘हबीबनामा’ का मंचन भी हुआ. दानिश हुसैन द्वारा निर्देशित यह नाटक हबीब तनवीर की ज़िंदगी पर केंद्रित था, जिसे ‘होशरूबा रेपर्टरी’ ने पेश किया. इससे पहले हबीब साहेब के ‘नया थिएटर’ के दौर के गानों की प्रस्तुति हुई, जिसे छत्तीसगढ़ी ट्रुप ने पेश किया.
नसीर की मास्टरक्लास : तीन दिनी जलसे में ‘मास्टरक्लास’ भी शामिल थी, जिसमें नसीरूद्दीन शाह, गघुवीर यादव और रत्ना पाठक ने अभिनय के हुनर के बाबत प्रतिभागियों से बात की.
इसी शाम एक कार्यक्रम और हुआ, जिसका शीर्षक था ‘हबीब तनवीर को जैसा मैंने देखा’. इसमें नगीन तनवीर ने अपने पिता से जुड़े क़िस्से सुनाए. यह एक दिलचस्प कार्यक्रम था, श्रोताओं को हबीब तनवीर की शख़्सियत के तमाम नए पहलुओं के बारे में मालूम हुआ.
हबीब तनवीर की शख़्सियत और उनके काम को ज़्यादा जानने-समझने के लिहाज़ से ‘हबीब-ए-जश्न’ एक महत्वपूर्ण और यादगार कार्यक्रम था. कायर्क्रम की रूपरेखा और परिकल्पना एमके रैना की थी.
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