खेल | दो बार के ओलंपिक चैंपियन लिन डान की विदाई

एक ऐसे समय में जब अपने पड़ोसी मुल्क के विरुद्ध भावनाएं बहुत तीव्र और विरोधी हों तो उससे संबंधित किसी के बारे में भी लिखने के अपने ख़तरे हैं. लेकिन जब आप प्रेम में होते हैं, वो भी खेल के प्रेम में, तो उसके खिलाड़ियों के प्रेम में भी आप होते हैं और उनके लिए ऐसे ख़तरे उठाए जा सकते हैं.

तो आज बात बैडमिंटन के ‘सुपर डान’ लिन डान के बारे में.

लिन डान खेल के बाहर जिन चीजों के लिए जाने गए उनमें एक है उनके शरीर पर गुदे टैटू. 2012 के ओलंपिक के दौरान उनके शरीर के अलग अलग भागों पर पांच टैटू दीख रहे थे. उनके दाएं हाथ के ऊपरी भाग पर एक टैटू था ‘अन्टिल द एण्ड ऑफ़ वर्ल्ड’ यानि ‘दुनिया के ख़त्म होने तक’. बाद में उसी वर्ष इसी नाम से उनकी आत्मकथा आई. शायद उन्हें ये पदबंध बहुत प्रिय था और वे ये अच्छी तरह समझते थे कि इस जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं होता. यहां हर चीज़ नश्वर है जिसे अनिवार्यतः समाप्त होना है. फिर वो चाहे जीवन हो या खिलाड़ी का खेल जीवन हो. और ये भी कि इसके अंत तक इसे भरपूर जियो, शिद्दत से जियो और कुछ ऐसा करो जो इस जीवन के पार पहुंचे, इस नश्वरता से परे की चीज़ हो, जो जीवन के ख़त्म होने पर भी बची रह जाए.

तो उनका खेल जीवन भी खत्म होना था. चार जुलाई को उन्होंने खेल को अलविदा कह दिया. इस घोषणा के साथ ही 2000 से 2020 तक का बीस वर्ष का अंतरराष्ट्रीय कॅरियर अपने अंजाम को प्राप्त हुआ. पिछले कुछ दिनों से अपनी बढ़ती उम्र और चोटों के चलते वे खेल के ढलान पर थे. हांलाकि वे 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे. पर कोरोना के संकट चलते जब ये खेल एक साल के लिए टल गए तो उन्होंने खेल से सन्यास लेने का फ़ैसला किया. इसका सीधा सा अर्थ है कि बैडमिंटन का जादूगर अब कभी भी बैडमिंटन के मंच पर नहीं दिखाई देगा. अब न तो उसका जादू सरीखा खेल मैदान में देखा जा सकेगा और न ही उसके द्वारा रैकेट और शटल कॉक से निर्मित संगीत कोर्ट के कंसर्ट में सुना जा सकेगा. पर इन बीस वर्षों को उन्होंने भरपूर जिया और उत्कृष्टता के नए पैमाने और निशान स्थापित किए. ये निशान खेल के शरीर पर समय के पार जाकर हमेशा के लिए चस्पां हो गए हैं, जिसे आने वाली पीढ़ी हमेशा देखती रहेगी. इस दौरान उन्होंने इस खेल के संगीत के ऐसे उत्कृष्ट पैमाने बनाए जिनसे निसृत संगीत की गूंज आने वाली पीढ़ियों के कानों में गूंजती रहेंगी.

14 अक्टूबर 1983 में चीन के लोगियान फुजियान में जन्मे लिन के माता-पिता चाहते थे कि वे पियानो बजाना सीखे और संगीत में प्रशिक्षित हों. लेकिन लिन ने हाथ में पियानो के बजाय बैडमिंटन का रैकेट थामा क्योंकि इस बालक को आगे चलकर पियानो के की-बोर्ड पर सात सुरों को साधने के बजाए स्मैशेज, प्लेसिंग, क्रोसकोर्ट, फोरहैंड, बैकहैंड जैसे शॉट्स के सुरों को अपनी पावर और स्टेमिना की साधना से रैकेट और शटल कॉक के वाद्ययंत्रों से जीत के कालजयी संगीत की रचना जो करनी थी. और निसन्देह उन्होंने जीत की जो बंदिशें रची उस तरह की बंदिशें रचना किसी और के लिए शायद ही संभव हो. उन्होंने 2008 और 2012 में दो ओलंपिक गोल्ड, 2005 और 2006 के विश्व कप में गोल्ड, 2006, 2007, 2009, 2011, 2013 की विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड सहित कुल 66 एकल खिताब जीते. उन्होंने अपने खेल कॅरियर में कुल 666 जीत हासिल की. वे खेल इतिहास के पहले और एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने विश्व की सभी नौ बड़ी प्रतियोगिताएं- ओलंपिक, विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप, थॉमस कप, सुदीरमन कप,एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप, सुपर सीरीज़ फ़ाइनल्स और ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतकर 28 वर्ष की उम्र में ही सुपर ग्रैंड स्लैम पूरा किया. इतना ही नहीं खेल के वे एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने बैक टू बैक दो ओलंपिक गोल्ड जीते.

व्यक्ति स्वभावतः अतीत जीवी होता है. वो हमेशा अतीत की ओर ताकता है. उसका सर्वश्रेष्ठ अतीत में हो चुका होता है. अतीत की स्मृतियां उसके मानस पटल पर इतनी गहरी खुदी होती हैं जो भविष्य की किसी भी चकाचौंध से धुँधली नहीं होतीं. रूड़ी हार्तोनो का खेल जीवन 1979 के आसपास समाप्त होता है और लिएम स्वि किंग का 1986 के आसपास. ये बैडमिंटन के सार्वकालिक महानतम खिलाड़ियों में से हैं. इनके खेल के जादू की स्मृतियां मन में बहुत गाढ़ी थीं जो बचपन से युवावस्था के दौरान अपना आकार गढ़ रही थीं. इन दो महान खिलाड़ियों ने स्मृतियों का इतना बड़ा स्पेस घेर लिया था कि किसी और के लिए जगह नहीं बचती थी. इस खेल में उनके बाद कोई ऐसा जादूगर नहीं हुआ जो इसको रिप्लेस कर सके. लेकिन अजूबे होते हैं. आपका बेस्ट आपके अतीत के बजाय आपके वर्तमान में हो जाता है. लिन डान जो आता है. 2004 से 2012 का समय ऐसा है जब लिन अपने सर्वोच्च पर होते हैं. उसके खेल का सम्मोहन आपकी सारी स्मृतियों को ओवरपॉवर कर लेता है. आपकी स्मृतियों की इबारत को धुंधला कर देता है. रूडी हार्तोनो और लिएम स्वि किंग जैसे खेल के मिथक सरीखे पात्रों के स्पेस को सिकोड़ कर अगर कोई छोटा कर दे और अपने लिए एक बड़ा स्पेस बना ले तो आप समझ सकते हैं कि खिलाड़ी कितना बड़ा और शानदार है. लिन डान ऐसे ही खिलाड़ी हैं.

वे लेफ्टी थे. लेफ्टी के खेल में एक एलिगेंस होता है जो उसके खेल को बेहद दर्शनीय बना देता है. उस एलिगेंस के कारण उस खिलाड़ी को खेलते देखना एक ट्रीट होता है. वो एलिगेंस पावर की रुक्षता को एक लय प्रदान करती है. उसमें एक संगीत बहता-सा प्रतीत होता है. आप उसके खेल के साथ बहे चले जाते हैं जैसे किसी नदी में उसके बहाव के साथ कोई तैराक. लिन के साथ भी ऐसा ही था.

एक खिलाड़ी के रूप में पावर और स्टेमिना उनकी सबसे बड़ी ताकत थी. और लेफ्टी की एलिगेंस उनके खेल की एक लय बनाती थी. वे बेहद आक्रामक खिलाड़ी थे जो विपक्षी को अपने ताबड़तोड़ स्मैशेज से हतप्रभ कर देते थे. लेकिन उनके खेल की ये विशेषता भी थी और ताकत भी कि वे खेल को नियंत्रित करना जानते थे. वे आक्रामक खेल कर लगातार कई अंक अर्जित कर लेते और उसके बाद अचानक खेल के पेस को धीमा कर देते. उनका फुटवर्क और कोर्ट में मूवमेंट गज़ब का था. वे किसी भी स्थान से शटल को रिटर्न करने के बाद बहुत ही तीव्र गति से अपनी बेसिक पोजिशन पर लौट आते और विपक्षी के रिटर्न को फिर से आसानी से खेलने की पोजिशन में होते. खेल में जीत के लिए आपका नेट का खेल बहुत अच्छा होना चाहिए. वे नेट पर भी कमाल खेलते थे. वे नेट पर तेजी से आते और बहुत जल्द ही शटल को टैप कर अंक हासिल कर लेते.

उनके खेल की एक बड़ी विशेषता उनके शॉट्स की गूढ़ता होती. उनके शॉट्स बेहद डिसेप्टिव होते थे. विपक्षी उनके शॉट्स की दिशा का अनुमान नहीं लगा सकते थे. वे एक निश्चित दिशा में शटल तक आते और अंतिम क्षण में अपने शॉट की दिशा बदल देते. दूसरी तरफ उनके अनुमान करने की अद्भुत क्षमता थी. वे विपक्षी का दिमाग पढ़ने में सक्षम थे. इसीलिए शटल पर उनकी पहुंच बहुत आसान होती और मनचाहे रिटर्न और प्लेसिंग में वे सक्षम होते. दरअसल 20×44 फ़ीट के बैडमिंटन कोर्ट में वे जब भी प्रवेश करते वो उनकी जागीर बन जाता जिसमें उनकी मर्जी से परिंदा (शटल कॉक) पर भी नहीं मार सकता था. वे अतिरिक्त ऊंचाई हासिल करने के लिए एक ऊंची जम्प लगाते और जोरदार स्मैशेज मारते. वे कहते थे ‘हर ज़ोरदार पावरफुल छलांग जीत की महत्वाकांक्षा होती भरी होती है’.

हर महान खिलाड़ी के खेल जीवन में कुछ महान प्रतिद्वंद्विताएँ होती हैं. दरअसल ये प्रतिद्वंद्विताएँ एक दूसरे के खेल को समृद्ध करती चलती है और ये दोनों मिलकर अंततः खेल को समृद्ध करती हैं. खेलों की कुछ महान प्रतिद्वंद्विताओं को देखिए. मुक्केबाजी में मोहम्मद अली बनाम जो फ्रैजियर, टेनिस में मार्टिना नवरातिलोवा बनाम क्रिस एवर्ट या फेडरर बनाम राफेल नडाल, गोल्फ में अर्नाल्ड पामर बनाम जैक निकलस या फिर बास्केटबॉल में लॉरी बर्ड बनाम मैजिक जॉनसन.ऐसी और भी हैं. व्यक्तिगत भैया और दलगत भी. ठीक इसी तरह लिन डान और ली चोंग वेई की प्रतिद्वंद्विता भी बैडमिंटन इतिहास की सबसे बड़ी और जग प्रसिद्ध प्रतिद्वंद्विता थी जिसने न केवल एक दूसरे के खेल को समृद्ध किया बल्कि खेल को भी समग्र रूप में. वे दोनों 40 बार एक दूसरे से भिड़े लेकिन 28 के मुकाबले 12 जीत से पलड़ा लिन का भारी रहा. इनमें से वे 22 बार फ़ाइनल में और 15 बार सेमी-फ़ाइनल में खेले. लेकिन इस तीव्र प्रतिद्वंद्विता के बावज़ूद उनमें कोई कटुता नहीं थी.वे एक दूसरे का मुकाबला करने के लिए लगातार अपने खेल अपनी नीतियों में परिवर्तन करते रहे और खेल को समृद्ध. लेकिन महत्वपूर्ण बात ये कि खेल मैदान की ये प्रतिद्वंद्विता व्यक्तिगत जीवन में नहीं आई. वे एक दूसरे का सम्मान करते थे. जब लिन ने अपने सन्यास की घोषणा की तो सबसे मार्मिक ट्वीट उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी ली ने ही किया कि

‘हम जानते थे कि ये दिन आएगा
हमारे ज़िन्दगी का एक भारी क्षण
आपने बहुत ही औदार्य से पर्दा गिराया है
आप वहां के राजा थे जहां हम गर्व से लड़े थे
आपकी ये विदाई की अंतिम लहरें
शुष्क आंसुओं की खामोशी में
विलुप्त हो जाएंगी.’

और ये प्रतिद्वंद्वी ही अभी कुछ दिन पहले लिन के बारे में कहता है कि ‘लिन डान लेजेंड है. उसके ख़िताब उसकी कहानी का बयान ख़ुद हैं. हमें उसका आदर करना ही पड़ेगा.’

निःसंदेह लिन डान हमारे समय के महानतम खिलाड़ी हैं. उनकी मैदान से विदाई उनके खेल से निर्मित जादुई उल्लासमय संगीत को एक उदास धुन में परिवर्तित कर देगी. उनके खेल जीवन की समाप्ति घोषणा दरअसल बैडमिंटन के सबसे चमकदार युग की समाप्ति की घोषणा है.

खेल के मैदान से अलविदा बैडमिंटन के ‘सुपर डान’ लिन डान.

कवर फ़ोटो | बीडब्ल्यूएफ़ ओलम्पिक से साभार


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