वर्ल्डकप | यूएई की जीत, अर्जेंटीना की उम्मीद अभी बाक़ी

जीवन में अनहोनी खाने में नमक की तरह है.

अनहोनी जीवन में ठहराव नहीं लाती, बल्कि उसे कुछ और गतिशील बनाती है.

खेल जीवन का एक हिस्सा है और इस नाते अनहोनी भी.

क़तर में चल रहे फ़ुटबॉल विश्व कप में सऊदी अरब की टीम ने मेस्सी की अर्जेंटीना को 2-1 से हरा दिया है.

‘ग्रीन फॉलकन्स’ ने ‘ला अलबिसेलेस्टे’ का शिकार कर विश्व कप का सबसे बड़ा उलटफेर कर दिया है.

अर्जेंटीना के समर्थकों और मेस्सी के चाहने वालों के लिए ये किसी गहरे सदमे सा है. किसी वज्रपात-सा आघात है. लेकिन इस परिणाम ने अब ग्रुप सी को पूरी तरह ओपन कर दिया है और इस ग्रुप के मुक़ाबलों को और रोचक बना दिया है, ये भी सच है.

बीती रात क़तर की राजधानी दोहा से लगभग 40 किलोमीटर दूर लुसैल स्टेडियम में इस बार विश्व कप जीतने के प्रमुख दावेदारों में एक अर्जेंटीना सऊदी अरब की टीम के विरुद्ध पहला विश्व कप मैच खेल रही है. दसवें मिनट में मेस्सी पेनाल्टी से गोल कर अर्जेंटीना को 1-0 की बढ़त दिला देता है. 1930 में उरुग्वे के विरुद्ध फ़ाइनल मैच के बाद ‘ला अलबिसेलेस्टे’ पहले हॉफ़ में बढ़त बनाने के बाद कोई मैच नहीं हारा था. इतना ही नहीं, वो पिछले 36 मैच से अजेय था और इटली के 37 मैचों में अजेय रहने के रिकॉर्ड से एक मैच कम. लेकिन विश्व की 51 वीं रैंकिंग वाली सऊदी अरब इतिहास बनाने मैदान में उतरी थी.

पहले गोल के बाद भी अर्जेंटीना ने लगातार दबाव बनाए रखा और तीन बार गेंद गोल पोस्ट में अंदर डाली पर तीनों बार ऑफ़ साइड करार दिए गए, एक बार मेस्सी और दो बार लोरेटो मार्टिनेज. लेकिन दूसरे हॉफ़ में कहानी बदल गयी. 4-1-4-1 के फार्मेशन से रक्षात्मक खेल रही सऊदी अरब ने अर्जेंटीना पर दबाव बनाया और 48वें मिनट सालेह अल शेहरी ने बराबरी का गोल किया और फिर 53वें मिनट में सालेम अल दौसरी ने बढ़त दिलाकर विश्व कप फ़ुटबॉल के सबसे बड़े उलटफेर को अंजाम दिया.

सऊदी अरब के लिए ये 1994 के इतिहास की पुनरावृत्ति थी, जब उसने बेल्जियम को 1-0 से हराया था और अर्जेंटीना के लिए 1990 के इतिहास की, जब माराडोना की टीम को कैमरून ने 1-0 से हराया था.

याद कीजिए, 2018 के विश्व कप के अर्जेंटीना और फ़्रांस के प्री क्वार्टर फ़ाइनल मैच की. एमबापे के खेल ने मेस्सी और अर्जेंटीना के विश्व कप को जीतने का सपना तोड़ दिया था. मैच की अंतिम सीटी बजते ही मेस्सी धीमे-धीमे क़दमों से मैदान से बाहर चल दिए थे. उन्होंने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा था. क्योंकि वे जानते थे कि क़जान स्टेडियम में उनके विश्व कप का सफ़र ख़त्म हो चुका है.

लेकिन लुसैल स्टेडियम में 103 मिनट बाद जब मैच की अंतिम सीटी बजी तो वे बीच मैदान में खड़े नीचे ज़मीन को निहार रहे थे. वे मैदान छोड़कर नहीं गए. क्योंकि वे जानते थे ये सफ़र का अंत नहीं है. क़जान में नॉक आउट हो गए थे, यहां लीग मैच था. आगे बढ़ने और विश्व कप जीतने की उम्मीदें और अवसर अभी बरकरार हैं.

मैच समाप्त होने के बाद मैस्सी मैदान को देख रहे थे तो शायद वे उन संभावनाओं को तलाश कर रहे होंगे कि क्या वे एक बार फिर 18 दिसंबर को वे वहां होंगे. फ़ाइनल इसी मैदान पर 18 दिसंबर को जो होना है. वे उस हरी घास के नीचे के रेगिस्तान की रेत में पानी के कुछ कण देखने की कोशिश में रहे होंगे और उनमें विश्व कप जीतने की उम्मीदों का अक्स खोज रहे होंगे.

और उस रेत में निश्चय ही उन्हें कुछ पानी की बूंदे दिखाई दी होंगी. और ये भी उन्हें अहसास हुआ होगा कि वे बूंदे विदाई के दुख से निकली बूंदे नहीं होगी,बल्कि मेस्सी के सपने के टूट जाने की आशंका से निकले स्वेद कण भर होंगे.

मैच के बाद एंजेल डि मारियो कह रहे थे ‘विश्व कप शुरु होने से पहले न हम सर्वश्रेष्ठ थे और न हैजेर के बाद हम निकृष्टम.’ उम्मीद अभी कायम है, मेस्सी की भी, अर्जेंटीना की भी और उनके चाहने वालों की भी.


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