नाटक | बैकस्टेज ने ‘तीन मोटे’ की प्रस्तुति दी

प्रयागराज | एनसीज़ेडसीसी के खचाखच भरे ऑडिटोरियम में बैकस्टेज के कलाकारों ने बुधवार की शाम को ‘तीन मोटे’ नाटक की प्रस्तुति दी. प्रयोगधर्मी और असरदार रंग-भाषा के लिए पहचानी जाने वाली संस्था बैकस्टेज का यह सुचिंतित मंचन यूरी ओलेशा की रूसी परीकथा ‘थ्री फैट मेन’ पर आधारित था. 1924 में लिखी गई इस परीकथा का नाट्य रूपांतरण अमर सिंह और प्रवीण शेखर ने किया है. निर्देशन प्रवीण शेखर ने किया.

कल्पनाशील रंग-प्रयोगों, रचनात्मक संगीत, प्रभावी अभिनय और प्रकाश योजना, मोहक वेश-भूषा और मंच विन्यास से निर्मित रंग-भाषा की इस प्रस्तुति को देखने वालों ने ख़ूब सराहा. सृजनात्मक युक्तियों से लैस इस नाटक का कथा तत्व यह है कि सत्ता के नशे में चूर कोई तख़्तनशीं जब अपने कर्तव्य भूलकर अवाम की ज़ाती आज़ादी और अना कुचलने पर आमादा हो, तानाशाही पर उतर आए तो उसे जड़ से उखाड़ फेंकना ज़रूरी हो जाता है.

नाटक समाज के आदर्श और असलियत के बीच के फर्क़ को भी रेखांकित करता है. ऐसा दौर जिसमें ग़रीब, किसान, मजदूर और मध्य वर्ग जीने की बुनियादी ज़रूरतों के लिए जूझ रहा है, सत्तालोभी और धनिक वर्ग शासन प्रणाली के सारे नियम-क़ायदों को धता बताकर अपना दबदबा क़ायम रखना चाहता है. किसी काल्पनिक राज्य की सत्ता पर तीन मोटे काबिज़ हैं. राज्य के प्राकृतिक संसाधनों पर उनका एकाधिकार है. जनता पर अत्याचार और शोषण करना मोटे अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते. उत्पादन के सारे संसाधनों पर कब्ज़ा बनाए रखने की लिए तीनों मोटे सारे जतन करते.

उनके ख़िलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ का मुस्तक़बिल जेलख़ाना होता या फिर फांसी का तख्ता. दो नौजवान हथियारसाज़ भीमा और नट राजा इस तानाशाही के ख़िलाफ़ विद्रोह कर देते हैं. वे दोनों अवाम की अगुवाई करते हैं.

संगीत रचना और सहयोगी निर्देशक अमर सिंह हैं. प्रकाश परिकल्पना टोनी सिंह, मंच विन्यास निखिलेश कुमार मौर्य और वेशभूषा परिकल्पना सिद्धार्थ पाल ने की. सतीश तिवारी, सिद्धार्थ पाल, अनुज कुमार, अमर सिंह, आकाश अग्रवाल, प्रज्ञा वर्मा, दिलीप श्रीवास्तव, दिव्यन श्रीवास्तव, प्रत्यूष वर्सने अलग-अलग भूमिकाओं में मंच पर रहे.

इनके साथ नवल किशोर पटेल, अनुराग तिवारी, अनुकूल सिंह, राजवीर सिंह, शुभम मिश्रा, करण कुमार, आयुष केसरवानी, सत्यम मिश्रा, नंदिनी मौर्या, निधि पांडेय, अखिलेश कुमार ने भी सहयोग किया. नाट्य मंचन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से संभव हुआ.

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